लखनऊ: प्रवासी मजदूरों को बस सेवा उपलब्ध कराने के मुद्दे पर योगी सरकार और कांग्रेस के बीच सोमवार मंगलवार की रात्रि पत्रों का आदान-प्रदान जारी रहा. देर रात सरकार की ओर से बसों को राजधानी लखनऊ में उपलब्ध कराने के निर्देश पर प्रियंका गांधी ने सरकार से पूछा कि जब मजदूर गाजियाबाद में फंसे हैं तो खाली बसों को लखनऊ क्यों मंगाया जा रहा है. उन्होंने राजधानी लखनऊ के बजाय गाजियाबाद-नोएडा के बॉर्डर पर बसों को उपलब्ध कराने की बात कही है.
इस सिलसिले में 18 मई शाम को 4 बजे व्हाट्सएप पर पत्र आपसे प्राप्त हुआ था, जिसमें आपकी ओर से 1000 बसों के चालक परिचालक के नाम और अन्य विवरणों को मांगा गया था जो कुछ अंतराल में आपको ईमेल के माध्यम से उपलब्ध करा दिए गए थे. उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री ने टीवी पर साक्षात्कार में कहा कि पिछले 2 दिनों से बसों की सूची मांग रहे थे. अभी देर रात 11:40 बजे ईमेल पर आपका एक आकस्मिक पत्र प्राप्त हुआ, जिसमें आपने 1000 बसों को दस्तावेज सहित लखनऊ में सुबह 10:00 बजे हैंडओवर करने की अपेक्षा की है.
सरकार के निर्देश पर सवाल उठाते हुए पत्र में कहा गया है कि कोरोना महामारी के इस भयानक संकट में फंसे प्रवासी मजदूर उत्तर प्रदेश के विभिन्न सीमाओं खासतौर पर दिल्ली उत्तर प्रदेश के बॉर्डर गाजियाबाद-नोएडा में मौजूद हैं. यहां फंसे प्रवासी मजदूरों की संख्या लाखों में है. मीडिया के माध्यम से ही विकट हालत पूरा देश देख रहा है. ऐसी स्थिति में जब हजारों मजदूर सड़क पर पैदल चल रहे हैं तब 1000 खाली बसों को लखनऊ भेजना समय और संसाधन की बर्बादी है. बल्कि हर दर्जे के अमानवीयता है और एक घोर गरीबी विरोधी मानसिकता की उपज है. पत्र में उन्होंने यह भी आरोप लगाया है कि आपकी यह मांग पूरी तरह राजनीति से प्रेरित है. ऐसा लगता है कि आपकी सरकार विपदा के मारे उत्तर प्रदेश के श्रमिक भाई-बहनों की मदद करना नहीं चाहती है. ऐसे में बसों को केवल गाजियाबाद और नोएडा के बॉर्डर पर उपलब्ध कराया जा सकता है. सरकार अपने अधिकारियों को निर्देश देकर बसें प्राप्त कर सकती है.