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कोरोना काल में भी इन अस्पतालों ने महिलाओं की कराई नॉर्मल डिलीवरी

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Published : Jul 10, 2021, 9:17 PM IST

यूपी के पिछले कुछ सालों में सिजेरियन की प्रवृत्ति काफी बढ़ी हैं. इसे लेकर क्वीन मेरी अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ रेखा सचान ने बताया कि कोरोना के कारण किसी भी महिला का ऑपरेशन से प्रसव नहीं कराया गया है. सिर्फ उन्हीं महिलाओं का ऑपरेशन से प्रसव कराया गया है, जिन्हें किसी अन्य अस्पताल से रेफर किया गया है या फिर कोई हाई रिस्क केस हो.

क्वीन मेरी अस्पताल
क्वीन मेरी अस्पताल

लखनऊ: प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान ऑपरेशन से प्रसव की संख्या अपेक्षाकृत काफी अधिक है. क्वीन मेरी अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ रेखा सचान ने बताया कि कोरोना के कारण किसी भी महिला का ऑपरेशन से प्रसव नहीं कराया गया है. सिर्फ उन्हीं महिलाओं का ऑपरेशन से प्रसव कराया गया है, जिन्हें किसी अन्य अस्पताल से रेफर किया गया है या फिर कोई हाई रिस्क केस रहा है.

राजधानी के अलग-अलग महिला अस्पताल से अलग-अलग आंकड़े सामने आए हैं. क्वीन मेरी अस्पताल में सिजेरियन से प्रसव की संख्या ज्यादा है तो किसी अस्पताल में नार्मल प्रसव अधिक कराया गया हैं. हालांकि एक निजी संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कोरोना काल में 8235 गर्भवती महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी हुई है, जबकि 2371 गर्भवती महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी कराई गई है.

जानकारी देती क्वीन मेरी अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ.

क्वीन मेरी अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ रेखा सचान बताती हैं कि अस्पताल में 55 फीसदी सिजेरियन विधि द्वारा महिलाओं का प्रसव कराया जाता है और 45 फीसदी नॉर्मल डिलीवरी होती है. पिछले कुछ महीनों से अस्पताल में ऐसा ही रिज्यूम बना हुआ है. रोजाना के हिसाब से अगर अस्पताल में 30 महिलाओं की डिलीवरी होनी है तो इसमें से 17 से 18 महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियन ही हो रही हैं. सिजेरियन के द्वारा प्रसव होने का एकमात्र कारण यही है कि अस्पताल में बहुत सारी प्रसूताएं अन्य अस्पतालों से रेफर होकर भर्ती होती हैं, जिनकी कंडीशन बेहद खराब रहती है, इसलिए उनका सिजेरियन प्रसव कराया जाता है. उन्होंने बताया कि इस समय ओपीडी में भारी संख्या में महिलाएं चेकअप कराने आ रही हैं. उन्होंने बताया कि जून 2021 में 143 सिजेरियन डिलीवरी जबकि 40 नॉर्मल डिलीवरी हुई.

वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. अंजना खरे ने बताया कि लॉकडाउन में निजी अस्पताल बंद थे, जिसकी वजह से सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं की संख्या बढ़ी थी. सरकारी अस्पतालों में नार्मल डिलीवरी के आंकड़ों में बहुत फर्क नहीं आया है. जिला अस्पताल में केवल उसी महिला का ऑपरेशन किया जाता है, जिसे वास्तव में दिक्कत होती है. जून महीने में 119 गर्भवती महिलाओं की नार्मल डिलीवरी हुई, जबकि 54 गर्भवती महिलाओं की सिजेरियन विधि द्वारा प्रसव कराया गया है. इस समय रोजाना 30 से 40 गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है जिसमें लगभग 16 महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी होती है और 10 महिलाओं की सिजेरियन से प्रसव कराया जाता है.

नॉर्मल डिलीवरी के फैक्टर्स

  • गर्भवती महिला को किसी तरह की कोई बीमारी न हो.
  • अगर गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, हीमोग्लोबिन यह सारी चीजें कंट्रोल में है तो डिलीवरी के समय कोई दिक्कत नहीं होती है.
  • अगर आप पूरी प्रेगनेंसी के दौरान फिजिकली एक्टिविटी करती रहती है तो इससे बच्चे का मूवमेंट होता रहता है और नॉर्मल डिलीवरी के चांस ज्यादा होते हैं.
  • गर्भवती महिला ओवरवेट नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा होता है तो नॉर्मल डिलीवरी की संभावना कम हो जाती है.
  • अगर किसी गर्भवती महिला की पहली डिलीवरी नॉर्मल हुई है तो दूसरी डिलीवरी भी नॉर्मल ही होती है.

लखनऊ: प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान ऑपरेशन से प्रसव की संख्या अपेक्षाकृत काफी अधिक है. क्वीन मेरी अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ रेखा सचान ने बताया कि कोरोना के कारण किसी भी महिला का ऑपरेशन से प्रसव नहीं कराया गया है. सिर्फ उन्हीं महिलाओं का ऑपरेशन से प्रसव कराया गया है, जिन्हें किसी अन्य अस्पताल से रेफर किया गया है या फिर कोई हाई रिस्क केस रहा है.

राजधानी के अलग-अलग महिला अस्पताल से अलग-अलग आंकड़े सामने आए हैं. क्वीन मेरी अस्पताल में सिजेरियन से प्रसव की संख्या ज्यादा है तो किसी अस्पताल में नार्मल प्रसव अधिक कराया गया हैं. हालांकि एक निजी संस्था की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर प्रदेश में कोरोना काल में 8235 गर्भवती महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी हुई है, जबकि 2371 गर्भवती महिलाओं की सिजेरियन डिलीवरी कराई गई है.

जानकारी देती क्वीन मेरी अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ.

क्वीन मेरी अस्पताल की महिला रोग विशेषज्ञ रेखा सचान बताती हैं कि अस्पताल में 55 फीसदी सिजेरियन विधि द्वारा महिलाओं का प्रसव कराया जाता है और 45 फीसदी नॉर्मल डिलीवरी होती है. पिछले कुछ महीनों से अस्पताल में ऐसा ही रिज्यूम बना हुआ है. रोजाना के हिसाब से अगर अस्पताल में 30 महिलाओं की डिलीवरी होनी है तो इसमें से 17 से 18 महिलाओं की डिलीवरी सिजेरियन ही हो रही हैं. सिजेरियन के द्वारा प्रसव होने का एकमात्र कारण यही है कि अस्पताल में बहुत सारी प्रसूताएं अन्य अस्पतालों से रेफर होकर भर्ती होती हैं, जिनकी कंडीशन बेहद खराब रहती है, इसलिए उनका सिजेरियन प्रसव कराया जाता है. उन्होंने बताया कि इस समय ओपीडी में भारी संख्या में महिलाएं चेकअप कराने आ रही हैं. उन्होंने बताया कि जून 2021 में 143 सिजेरियन डिलीवरी जबकि 40 नॉर्मल डिलीवरी हुई.

वीरांगना झलकारी बाई महिला अस्पताल की सीएमएस डॉ. अंजना खरे ने बताया कि लॉकडाउन में निजी अस्पताल बंद थे, जिसकी वजह से सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं की संख्या बढ़ी थी. सरकारी अस्पतालों में नार्मल डिलीवरी के आंकड़ों में बहुत फर्क नहीं आया है. जिला अस्पताल में केवल उसी महिला का ऑपरेशन किया जाता है, जिसे वास्तव में दिक्कत होती है. जून महीने में 119 गर्भवती महिलाओं की नार्मल डिलीवरी हुई, जबकि 54 गर्भवती महिलाओं की सिजेरियन विधि द्वारा प्रसव कराया गया है. इस समय रोजाना 30 से 40 गर्भवती महिलाओं का प्रसव कराया जाता है जिसमें लगभग 16 महिलाओं की नॉर्मल डिलीवरी होती है और 10 महिलाओं की सिजेरियन से प्रसव कराया जाता है.

नॉर्मल डिलीवरी के फैक्टर्स

  • गर्भवती महिला को किसी तरह की कोई बीमारी न हो.
  • अगर गर्भवती महिला का ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर, हीमोग्लोबिन यह सारी चीजें कंट्रोल में है तो डिलीवरी के समय कोई दिक्कत नहीं होती है.
  • अगर आप पूरी प्रेगनेंसी के दौरान फिजिकली एक्टिविटी करती रहती है तो इससे बच्चे का मूवमेंट होता रहता है और नॉर्मल डिलीवरी के चांस ज्यादा होते हैं.
  • गर्भवती महिला ओवरवेट नहीं होनी चाहिए. अगर ऐसा होता है तो नॉर्मल डिलीवरी की संभावना कम हो जाती है.
  • अगर किसी गर्भवती महिला की पहली डिलीवरी नॉर्मल हुई है तो दूसरी डिलीवरी भी नॉर्मल ही होती है.
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