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ETV BHARAT पर 'कोरोना योद्धाओं' की कहानी, जानिए उनकी जुबानी - पीजीआई अस्पताल

देशभर में कोरोना से जंग लड़ रहे 'कोरोना योद्धाओं' को सम्मानित किया जा रहा है. डॉक्टर्स, पैरामेडिकल स्टाफ और अन्य सभी कोरोना योद्धा जी-जान से महामारी को खत्म करने में डटे हुए हैं. कुछ ऐसे ही कोरोना योद्धाओं से ईटीवी भारत ने बातचीत कर जानी उनकी कहानी.

ईटीवी भारत ने जानी कोरोना योद्धाओं की कहानी.
ईटीवी भारत ने जानी कोरोना योद्धाओं की कहानी.
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Published : May 7, 2020, 5:19 PM IST

लखनऊ: देश में कोरोना है और हमारे देश के डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ उससे जंग लड़ रहे हैं. पीटीई किट पहनकर लगातार सात दिनों तक आठ घंटे या उससे ज्यादा समय तक की ड्यूटी करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं उसके बाद क्वारंटाइन होकर 14 दिनों के लिए अपने परिवार और बाहर की दुनिया से अलग हो जाना. उसके बाद फिर से नए जोश के साथ वापस उसी काम पर लौटना यह वाकई काबिले तारीफ है.

कोरोना योद्धाओं से बात करते ईटीवी भारत संवाददाता.

कोरोना योद्धाओं ने साझा किए अपने अनुभव
डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ के लोग कई कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को ठीक कर उनको घर भेज चुके हैं. वहीं कुछ डॉक्टर खुद भी इस खतरनाक वायरस का शिकार हो गए, लेकिन इनका जोश कम होने के बजाय और बढ़ता चला जा रहा है. कुछ ऐसे ही कोरोना योद्धाओं से ईटीवी भारत ने बात कर कोरोना से लड़ाई में उनके अनुभवों को जाना.

इस जंग का अंजाम है भयानक
राजधानी लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में बनाए गए कोविड-19 सेंटर में पैरामेडिकल स्टाफ के रूप में कंचन और नीरज सिंह कार्यरत हैं. इन्होंने अपनी ड्यूटी और क्वारंटाइन समय की यादें ईटीवी भारत से साझा की. इनका कहना है कि जब यह महामारी धीरे-धीरे फैल रही थी तो इन्हें आभास हो गया था कि वह किस जंग में शरीक होने जा रही हैं और इसका अंजाम क्या हो सकता है.

पीपीई किट पहनकर काम करने में होती है परेशानी
कोविड-19 हॉस्पिटल में स्टाफ नर्स के रूप में कार्यरत कंचन ने बताया कि सबसे ज्यादा परेशानी पीपीई किट पहनकर काम करने में है. इसे पहनने में 45 मिनट लग जाते हैं और उतारने में भी इतना ही समय लगता है. इस दौरान वह कुछ भी खा-पी न सकते हैं. पीपीई किट पहनने से करीब एक घंटे पहले खाना-पीना सब छोड़ देना पड़ता है. इसे पहनकर आठ घंटे की ड्यूटी करना काफी मुश्किल है. इस दौरान सही से सांस भी नहीं ले सकते हैं.

घरवालों की याद पर भारी उनकी सुरक्षा
वहीं डायलिसिस डिपार्टमेंट की पैरामेडिकल स्टाफ के रूप में कार्यरत नीरज सिंह ने बताया कि यह एक बहुत ही नया एक्सपीरियंस रहा है. उन्होंने बताया कि ड्यूटी करना और उसके बाद क्वारंटाइन समय को पूरा करना, ऐसे में घरवालों की याद भी आती थी, लेकिन उनसे दूरी बनाकर रखना ज्यादा जरूरी था.

क्वारंटाइन समय पूरा होने के 1 दिन पहले होता है परीक्षण
नीरज सिंह ने बताया कि क्वारंटाइन समय पूरा होने के एक दिन पहले उन सभी का परीक्षण किया जाता है. कोरोना की सैंपलिंग के लिए उन्हें क्वारंटाइन सेंटर से पीजीआई कोविड-19 हॉस्पिटल ले जाया जाता है, जहां उन्हें उसी लाइन में खड़ा किया जाता है, जिसमें बाहरी लोग अपनी सैंपलिंग कराते हैं. ऐसे में क्वारंटाइन समय पूरा होने के एक दिन पहले वायरस का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है.

देश की सेना और देशवासियों को धन्यवाद
कोरोना योद्धाओं का सम्मान किए जाने पर इन कोरोना योद्धाओं ने देशवासियों और सेना को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि हम सभी देशवासियों और खास तौर पर अपनी सेना को धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने पुष्प वर्षा कर हमें और ताकत दी है, जिससे हम इस महामारी से डटकर मुकाबला कर सकें.

ईटीवी भारत करता है 'कोरोना योद्धाओं' को सलाम
कोरोना वायरस महामारी के दौर में जिस तरह से कोरोना योद्धा अपना घर परिवार छोड़कर जी-जान से जुटे हुए हैं, ऐसे सभी कोरोना योद्धाओं को ईटीवी भारत सलाम करता है.

लखनऊ: देश में कोरोना है और हमारे देश के डॉक्टर्स और पैरामेडिकल स्टॉफ उससे जंग लड़ रहे हैं. पीटीई किट पहनकर लगातार सात दिनों तक आठ घंटे या उससे ज्यादा समय तक की ड्यूटी करना पड़ रहा है. इतना ही नहीं उसके बाद क्वारंटाइन होकर 14 दिनों के लिए अपने परिवार और बाहर की दुनिया से अलग हो जाना. उसके बाद फिर से नए जोश के साथ वापस उसी काम पर लौटना यह वाकई काबिले तारीफ है.

कोरोना योद्धाओं से बात करते ईटीवी भारत संवाददाता.

कोरोना योद्धाओं ने साझा किए अपने अनुभव
डॉक्टर और पैरामेडिकल स्टॉफ के लोग कई कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों को ठीक कर उनको घर भेज चुके हैं. वहीं कुछ डॉक्टर खुद भी इस खतरनाक वायरस का शिकार हो गए, लेकिन इनका जोश कम होने के बजाय और बढ़ता चला जा रहा है. कुछ ऐसे ही कोरोना योद्धाओं से ईटीवी भारत ने बात कर कोरोना से लड़ाई में उनके अनुभवों को जाना.

इस जंग का अंजाम है भयानक
राजधानी लखनऊ के पीजीआई अस्पताल में बनाए गए कोविड-19 सेंटर में पैरामेडिकल स्टाफ के रूप में कंचन और नीरज सिंह कार्यरत हैं. इन्होंने अपनी ड्यूटी और क्वारंटाइन समय की यादें ईटीवी भारत से साझा की. इनका कहना है कि जब यह महामारी धीरे-धीरे फैल रही थी तो इन्हें आभास हो गया था कि वह किस जंग में शरीक होने जा रही हैं और इसका अंजाम क्या हो सकता है.

पीपीई किट पहनकर काम करने में होती है परेशानी
कोविड-19 हॉस्पिटल में स्टाफ नर्स के रूप में कार्यरत कंचन ने बताया कि सबसे ज्यादा परेशानी पीपीई किट पहनकर काम करने में है. इसे पहनने में 45 मिनट लग जाते हैं और उतारने में भी इतना ही समय लगता है. इस दौरान वह कुछ भी खा-पी न सकते हैं. पीपीई किट पहनने से करीब एक घंटे पहले खाना-पीना सब छोड़ देना पड़ता है. इसे पहनकर आठ घंटे की ड्यूटी करना काफी मुश्किल है. इस दौरान सही से सांस भी नहीं ले सकते हैं.

घरवालों की याद पर भारी उनकी सुरक्षा
वहीं डायलिसिस डिपार्टमेंट की पैरामेडिकल स्टाफ के रूप में कार्यरत नीरज सिंह ने बताया कि यह एक बहुत ही नया एक्सपीरियंस रहा है. उन्होंने बताया कि ड्यूटी करना और उसके बाद क्वारंटाइन समय को पूरा करना, ऐसे में घरवालों की याद भी आती थी, लेकिन उनसे दूरी बनाकर रखना ज्यादा जरूरी था.

क्वारंटाइन समय पूरा होने के 1 दिन पहले होता है परीक्षण
नीरज सिंह ने बताया कि क्वारंटाइन समय पूरा होने के एक दिन पहले उन सभी का परीक्षण किया जाता है. कोरोना की सैंपलिंग के लिए उन्हें क्वारंटाइन सेंटर से पीजीआई कोविड-19 हॉस्पिटल ले जाया जाता है, जहां उन्हें उसी लाइन में खड़ा किया जाता है, जिसमें बाहरी लोग अपनी सैंपलिंग कराते हैं. ऐसे में क्वारंटाइन समय पूरा होने के एक दिन पहले वायरस का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है.

देश की सेना और देशवासियों को धन्यवाद
कोरोना योद्धाओं का सम्मान किए जाने पर इन कोरोना योद्धाओं ने देशवासियों और सेना को धन्यवाद दिया. उन्होंने कहा कि हम सभी देशवासियों और खास तौर पर अपनी सेना को धन्यवाद करते हैं कि उन्होंने पुष्प वर्षा कर हमें और ताकत दी है, जिससे हम इस महामारी से डटकर मुकाबला कर सकें.

ईटीवी भारत करता है 'कोरोना योद्धाओं' को सलाम
कोरोना वायरस महामारी के दौर में जिस तरह से कोरोना योद्धा अपना घर परिवार छोड़कर जी-जान से जुटे हुए हैं, ऐसे सभी कोरोना योद्धाओं को ईटीवी भारत सलाम करता है.

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