लखनऊ: उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए शनिवार को राज्य स्तरीय पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन अथॉरिटी के सदस्य सचिव ने पर्यावरणीय मंजूरी (EC) जारी कर दी है. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय भारत सरकार की अधिसूचना-2006 के अंतर्गत शेड्यूल में आच्छादित प्रोजेक्ट्स के निर्माण से पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी प्राप्त करना जरूरी होता है. इसी अधिसूचना के तहत यूपीडा ने गंगा एक्सप्रेस-वे के निर्माण के लिए पर्यावरणीय मंजूरी ली है. गंगा एक्सप्रेसवे के लिए टेण्डर की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है. टेण्डर की प्रक्रिया पूर्ण कर शीघ्र ही एक्सप्रेस-वे का निर्माण कार्य शुरू किया जाएगा.
इस एक्सप्रेस-वे परियोजना की कुल अनुमानित लागत 36230 करोड़ रुपए है. इस परियोजना के विकास के लिए पीपीपी (टॉल) मोड पर डिजाइन, बिल्ड, फाइनेन्स, ऑपरेट व ट्रान्सफर (डीबीएफओटी) पद्वति पर निविदाएं आमंत्रित की गई हैं. यह एक्सप्रेस-वे 594 किलोमीटर लम्बा पूरी तरह प्रवेश नियंत्रित होगा, जो मेरठ-बुलन्दशहर मार्ग (NH-334) पर मेरठ के बिजौली गांव से शुरू होकर प्रयागराज बाइपास (NH-19) पर प्रयागराज के जुडापुर दांदू ग्राम के करीब समाप्त होगा.
यह एक्सप्रेस-वे 12 जिलों मेरठ, हापुड़, बुलन्दशहर, अमरोहा, सम्भल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, प्रतापगढ और प्रयागराज से होकर गुजरेगा. यह एक्सप्रेसवे 6 लेन चौड़ा (8 लेन विस्तारणीय) होगा. इस एक्सप्रेसवे परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण का कार्य प्रगति में है, अब तक लगभग 94 प्रतिशत भूमि खरीदी व अधिग्रहित की जा चुकी है. इस एक्सप्रेसवे परियोजना के अंतर्गत लगभग 140 नदी/धारा/नहर/नाला, शामिल हैं. इसके अलावा सात आरओबी, 17 इंटरचेंज, 14, मेजर ब्रिज, 126 माइनर ब्रिज, 28 फ्लाई ओवरी, 50 वीयूपी, 171 एलवीयूपी, 160 एसवीयूपी और 946 पुलियों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है.
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इस एक्सप्रेस-वे परियोजना के निर्माण से रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे. इस एक्सप्रेसवे परियोजना के निर्माण के दौरान लगभग 12000 व्यक्तियों को अस्थायी रूप से नियोजित किया जाएगा जबकि टोल प्लाजा के निर्माण से लगभग 100 व्यक्तियों को स्थायी आधार पर नियोजित किया जाएगा.
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