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विद्युत परिषद अभियंता संघ ने दी 29 से कार्यबहिष्कार और हड़ताल की चेतावनी - हड़ताल

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ ने बैठक कर ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन पर अलोकतांत्रिक, स्वेच्छाचारी, दमनकारी, नकारात्मक और उत्पीड़न का आरोप लगाया है. अभियंता संघ ने घोषणा की है कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की तरफ से हड़ताल का आह्वान होते ही सभी विद्युत अभियंता तत्क्षण हड़ताल पर चले जाएंगे.

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Published : Nov 28, 2022, 9:33 AM IST

लखनऊ. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ (Uttar Pradesh State Electricity Board Engineer's Association) ने लखनऊ में आपातकालीन बैठक कर ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन पर अलोकतांत्रिक, स्वेच्छाचारी, दमनकारी, नकारात्मक और उत्पीड़न का आरोप लगाया है. अभियंता संघ ने घोषणा की है कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की तरफ से हड़ताल का आह्वान होते ही प्रदेश के सभी विद्युत अभियंता तत्क्षण हड़ताल पर चले जाएंगे.


राज्य विद्युत अभियंता संघ के अध्यक्ष राजीव सिंह (Rajeev Singh, President of State Electrical Engineers Association) और महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर (General Secretary Jitendra Singh Gurjar) ने कहा कि ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन के पक्षपातपूर्ण, अलोकतांत्रिक, स्वेच्छाचारी, दमनकारी, नकारात्मक और विद्वेषपूर्ण रवैये के कारण ऊर्जा निगमों की परफॉर्मेंस गिर रही है. बढ़ती नकारात्मकता और अव्यावहारिक लक्ष्यों को प्राप्त करने का अत्यधिक दबाव और मानसिक तनाव देने वाली कार्यप्रणाली के कारण अभियंताओं का स्वास्थ्य गिर रहा है. ऐसी कार्यप्रणाली को समाप्त करने के लिए संघर्ष किए जाने की आवश्यकता को देखते हुए आपातकालीन महासभा आहूत की गई.

महासभा में ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन के अलोकतांत्रिक, स्वेच्छाचारी, दमनकारी और उत्पीड़नात्मक रवैये से ऊर्जा निगमों में उत्पन्न नकारात्मक कार्य प्रणाली के चलते ऊर्जा निगमों की घटती परफॉर्मेंस एवं अभियन्ताओं के गिरते मनोबल के दृष्टिगत अन्याय का प्रतिकार करने के लिए उठाये जाने वाले लोकतांत्रिक कदमों पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ. महासभा में बिजली अभियन्ताओं ने ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन की कार्यप्रणाली और अभियन्ताओं की ज्वलन्त समस्याओं के प्रति उपेक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाये जाने पर प्रबन्धन के प्रति गम्भीर आक्रोष व्यक्त किया. मांगों के समाधान कराने के लिए हड़ताल करने का निर्णय लिया. साथ ही वर्तमान में शान्तिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से चल रहे संघर्ष के क्रम में 29 नवंबर से प्रस्तावित कार्य बहिष्कार सफल बनाने का संकल्प लिया गया.


आपातकालीन महासभा (emergency general assembly) में मुख्य अतिथि के रूप में ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन इं. शैलेन्द्र दुबे (Chairman of All India Power Engineers Federation. Shailendra Dubey) उपस्थित रहे. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (Electricity Employees Joint Struggle Committee) के विभिन्न श्रम/सेवा संगठनों के विभिन्न पदाधिकारी शामिल हुए. इनमें जय प्रकाश, सुहेल आबिद, महेन्द्र राय, केएस रावत, पीएन तिवारी प्रमुख हैं.

यह भी पढ़ें : चेकिंग दस्ता देख बीच सड़क पर बस छोड़ कर भाग गया ड्राइवर, सवारियों में मची अफरातफरी

लखनऊ. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ (Uttar Pradesh State Electricity Board Engineer's Association) ने लखनऊ में आपातकालीन बैठक कर ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन पर अलोकतांत्रिक, स्वेच्छाचारी, दमनकारी, नकारात्मक और उत्पीड़न का आरोप लगाया है. अभियंता संघ ने घोषणा की है कि विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की तरफ से हड़ताल का आह्वान होते ही प्रदेश के सभी विद्युत अभियंता तत्क्षण हड़ताल पर चले जाएंगे.


राज्य विद्युत अभियंता संघ के अध्यक्ष राजीव सिंह (Rajeev Singh, President of State Electrical Engineers Association) और महासचिव जितेंद्र सिंह गुर्जर (General Secretary Jitendra Singh Gurjar) ने कहा कि ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन के पक्षपातपूर्ण, अलोकतांत्रिक, स्वेच्छाचारी, दमनकारी, नकारात्मक और विद्वेषपूर्ण रवैये के कारण ऊर्जा निगमों की परफॉर्मेंस गिर रही है. बढ़ती नकारात्मकता और अव्यावहारिक लक्ष्यों को प्राप्त करने का अत्यधिक दबाव और मानसिक तनाव देने वाली कार्यप्रणाली के कारण अभियंताओं का स्वास्थ्य गिर रहा है. ऐसी कार्यप्रणाली को समाप्त करने के लिए संघर्ष किए जाने की आवश्यकता को देखते हुए आपातकालीन महासभा आहूत की गई.

महासभा में ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन के अलोकतांत्रिक, स्वेच्छाचारी, दमनकारी और उत्पीड़नात्मक रवैये से ऊर्जा निगमों में उत्पन्न नकारात्मक कार्य प्रणाली के चलते ऊर्जा निगमों की घटती परफॉर्मेंस एवं अभियन्ताओं के गिरते मनोबल के दृष्टिगत अन्याय का प्रतिकार करने के लिए उठाये जाने वाले लोकतांत्रिक कदमों पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ. महासभा में बिजली अभियन्ताओं ने ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन की कार्यप्रणाली और अभियन्ताओं की ज्वलन्त समस्याओं के प्रति उपेक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाये जाने पर प्रबन्धन के प्रति गम्भीर आक्रोष व्यक्त किया. मांगों के समाधान कराने के लिए हड़ताल करने का निर्णय लिया. साथ ही वर्तमान में शान्तिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से चल रहे संघर्ष के क्रम में 29 नवंबर से प्रस्तावित कार्य बहिष्कार सफल बनाने का संकल्प लिया गया.


आपातकालीन महासभा (emergency general assembly) में मुख्य अतिथि के रूप में ऑल इंडिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन इं. शैलेन्द्र दुबे (Chairman of All India Power Engineers Federation. Shailendra Dubey) उपस्थित रहे. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति (Electricity Employees Joint Struggle Committee) के विभिन्न श्रम/सेवा संगठनों के विभिन्न पदाधिकारी शामिल हुए. इनमें जय प्रकाश, सुहेल आबिद, महेन्द्र राय, केएस रावत, पीएन तिवारी प्रमुख हैं.

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