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बिजली चोरी पर एफआईआर को लेकर इंजीनियरों और प्रबंधन के बीच 'नोटिस' बढ़ा रही दूरियां

बिजली चोरी पकड़े जाने पर 24 घंटे के अंदर एफआईआर दर्ज न कराने को लेकर पावर कारपोरेशन प्रबंधन बिजली विभाग के इंजीनियरों को नोटिस भेजी जा रहा है. वहीं, जबकि इंजीनियरों का कहना है कि उनकी इसमें गलती नहीं है.

पावर कारपोरेशन
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Published : May 19, 2022, 8:07 PM IST

लखनऊः पावर कारपोरेशन प्रबंधन और बिजली विभाग के इंजीनियरों के बीच 'नोटिस' दायरा बढ़ा रही है. दरअसल, प्रबंधन की तरफ से प्रदेश भर के 1800 से ज्यादा इंजीनियरों को बिजली चोरी पकड़े जाने पर 24 घंटे के अंदर एफआईआर दर्ज न कराने को लेकर नोटिस भेजी जा रहा है. सैकड़ो इंजीनियरों को नोटिस मिल रही है. इसके बाद इस नोटिस पर प्रबंधन और इंजीनियरों के बीच दूरियां बढ़ने लगी हैं. प्रबंधन एफआईआर दर्ज न करने को लेकर इंजीनियरों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है. वहीं, इंजीनियरों का कहना है कि समय पर तहरीर देने के बाद भी बिजली थानों पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई, उनकी गलती नहीं है. अगर प्रबंधन ने कोई कार्रवाई की तो बिल्कुल भी सही नहीं होगा.

बिजली विभाग के इंजीनियरों पर शिकंजा कसने की तैयारी.

यह है नियमः विद्युत अधिनियम 2003 के तहत बिजली चोरी के मामलों में हरहाल में इंजीनियर को 24 घंटे में उपभोक्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की व्यवस्था की गई है, लेकिन अभियंता ऐसा करते नहीं है. ज्यादातर मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के बजाय मामला रफा-दफा करने में लग जाते हैं. जब कुछ काम नहीं बनता है तब एफआईआर कराते हैं. इस पर विद्युत नियामक आयोग सख्त है. पिछले माह नियामक आयोग ने बिजली चोरी के दौरान उपभोक्ताओं के उत्पीड़न के मामले को गंभीरता से लिया था. नियामक आयोग ने कानूनन 24 घंटे में रिपोर्ट दर्ज कराने के जिम्मेदार पाए गए 1882 इंजीनियरों के खिलाफ पावर कारपोरेशन प्रबंधन को कार्रवाई के लिए आदेश दिया था. नियामक आयोग ने इलाहाबाद के एक ऐसे ही मामले में किसान की शिकायत का संज्ञान लिया था. इसके बाद बिजली कंपनियों से पिछले पांच सालों के दौरान बिजली चोरी के मामलों में रिपोर्ट भी तलब की है.

इंजीनियरों पर शिकंजा कसने की तैयारीः बिजली विभाग के सूत्रों के मुताबिक तकरीबन एक लाख इंजीनियरों ने 24 घंटे के अंदर बिजली चोरी पकड़ने के बावजूद उपभोक्ता के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई. अब बिजली विभाग भी ऐसे इंजीनियरों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है. उधर प्रबंधन की किसी तरह की कार्रवाई के लिए बिजली विभाग के इंजीनियर भी तैयार हैं. उनका कहना है कि ऐसे मामले है ही नहीं, जिनमें चोरी पकड़े जाने के बाद उपभोक्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस को तहरीर दी गई हो. बिजली थानों की तरफ से ही मुकदमा लिखने में देरी की गई है. अब इसके लिए इंजीनियरों को जिम्मेदार ठहराना बिल्कुल भी सही नहीं है.
इसे भी पढ़ें-बिजली चोरी की FIR दर्ज न कराने वाले किसी भी इंजीनियर पर नहीं हुई कार्रवाई?


24 घंटे में मुकदमा दर्ज कराने में तकनीकी कमीः उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष जीवी पटेल का कहना है कि इंजीनियर सही समय पर अपना काम करते हैं. 24 घंटे के अंदर जहां तक एफआईआर दर्ज कराने की बात है तो हमेशा इंजीनियरों की ये कोशिश रहती है कि उपभोक्ता के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज हो जाए, लेकिन इसमें कई तकनीकी दिक्कतें सामने आती हैं. जिसकी वजह से देरी होती है. बिजली चोरी पकड़ने पर बिजली थाने पर सही समय पर शिकायत करने के बावजूद कभी बिजली थाने पांच बजे बंद हो जाते हैं, तो कभी छुट्टी के दिन बिजली थाने खुलते नहीं हैं. वहीं सुदूर क्षेत्रों में बिजली थाने होते हैं, ऐसे में कभी-कभी देरी हो जाती है. इंजीनियरों के इसमें कोई गलती नहीं है. उन्होंने कहा कि कभी-कभी पोर्टल नहीं चलता है, जिसकी वजह से सही समय पर शिकायत दर्ज नहीं हो पाती. बिजली थानों की तरफ से देरी होती है जिसके चलते 24 घंटे में एफआईआर दर्ज नहीं हो पाती. अगर प्रबंधन अभियंताओं को नोटिस दे रहा है तो वे अपना जवाब भी दे रहे हैं. हमें पूरी उम्मीद है कि प्रबंधन इंजीनियरों की जो दिक्कतें हैं उन्हें जरूर समझेगा और किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करेगा.

लखनऊः पावर कारपोरेशन प्रबंधन और बिजली विभाग के इंजीनियरों के बीच 'नोटिस' दायरा बढ़ा रही है. दरअसल, प्रबंधन की तरफ से प्रदेश भर के 1800 से ज्यादा इंजीनियरों को बिजली चोरी पकड़े जाने पर 24 घंटे के अंदर एफआईआर दर्ज न कराने को लेकर नोटिस भेजी जा रहा है. सैकड़ो इंजीनियरों को नोटिस मिल रही है. इसके बाद इस नोटिस पर प्रबंधन और इंजीनियरों के बीच दूरियां बढ़ने लगी हैं. प्रबंधन एफआईआर दर्ज न करने को लेकर इंजीनियरों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है. वहीं, इंजीनियरों का कहना है कि समय पर तहरीर देने के बाद भी बिजली थानों पर एफआईआर दर्ज नहीं की गई, उनकी गलती नहीं है. अगर प्रबंधन ने कोई कार्रवाई की तो बिल्कुल भी सही नहीं होगा.

बिजली विभाग के इंजीनियरों पर शिकंजा कसने की तैयारी.

यह है नियमः विद्युत अधिनियम 2003 के तहत बिजली चोरी के मामलों में हरहाल में इंजीनियर को 24 घंटे में उपभोक्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने की व्यवस्था की गई है, लेकिन अभियंता ऐसा करते नहीं है. ज्यादातर मामलों में एफआईआर दर्ज कराने के बजाय मामला रफा-दफा करने में लग जाते हैं. जब कुछ काम नहीं बनता है तब एफआईआर कराते हैं. इस पर विद्युत नियामक आयोग सख्त है. पिछले माह नियामक आयोग ने बिजली चोरी के दौरान उपभोक्ताओं के उत्पीड़न के मामले को गंभीरता से लिया था. नियामक आयोग ने कानूनन 24 घंटे में रिपोर्ट दर्ज कराने के जिम्मेदार पाए गए 1882 इंजीनियरों के खिलाफ पावर कारपोरेशन प्रबंधन को कार्रवाई के लिए आदेश दिया था. नियामक आयोग ने इलाहाबाद के एक ऐसे ही मामले में किसान की शिकायत का संज्ञान लिया था. इसके बाद बिजली कंपनियों से पिछले पांच सालों के दौरान बिजली चोरी के मामलों में रिपोर्ट भी तलब की है.

इंजीनियरों पर शिकंजा कसने की तैयारीः बिजली विभाग के सूत्रों के मुताबिक तकरीबन एक लाख इंजीनियरों ने 24 घंटे के अंदर बिजली चोरी पकड़ने के बावजूद उपभोक्ता के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं कराई. अब बिजली विभाग भी ऐसे इंजीनियरों पर शिकंजा कसने की तैयारी कर रहा है. उधर प्रबंधन की किसी तरह की कार्रवाई के लिए बिजली विभाग के इंजीनियर भी तैयार हैं. उनका कहना है कि ऐसे मामले है ही नहीं, जिनमें चोरी पकड़े जाने के बाद उपभोक्ता के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के लिए पुलिस को तहरीर दी गई हो. बिजली थानों की तरफ से ही मुकदमा लिखने में देरी की गई है. अब इसके लिए इंजीनियरों को जिम्मेदार ठहराना बिल्कुल भी सही नहीं है.
इसे भी पढ़ें-बिजली चोरी की FIR दर्ज न कराने वाले किसी भी इंजीनियर पर नहीं हुई कार्रवाई?


24 घंटे में मुकदमा दर्ज कराने में तकनीकी कमीः उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद जूनियर इंजीनियर्स संगठन के केंद्रीय अध्यक्ष जीवी पटेल का कहना है कि इंजीनियर सही समय पर अपना काम करते हैं. 24 घंटे के अंदर जहां तक एफआईआर दर्ज कराने की बात है तो हमेशा इंजीनियरों की ये कोशिश रहती है कि उपभोक्ता के खिलाफ थाने में मुकदमा दर्ज हो जाए, लेकिन इसमें कई तकनीकी दिक्कतें सामने आती हैं. जिसकी वजह से देरी होती है. बिजली चोरी पकड़ने पर बिजली थाने पर सही समय पर शिकायत करने के बावजूद कभी बिजली थाने पांच बजे बंद हो जाते हैं, तो कभी छुट्टी के दिन बिजली थाने खुलते नहीं हैं. वहीं सुदूर क्षेत्रों में बिजली थाने होते हैं, ऐसे में कभी-कभी देरी हो जाती है. इंजीनियरों के इसमें कोई गलती नहीं है. उन्होंने कहा कि कभी-कभी पोर्टल नहीं चलता है, जिसकी वजह से सही समय पर शिकायत दर्ज नहीं हो पाती. बिजली थानों की तरफ से देरी होती है जिसके चलते 24 घंटे में एफआईआर दर्ज नहीं हो पाती. अगर प्रबंधन अभियंताओं को नोटिस दे रहा है तो वे अपना जवाब भी दे रहे हैं. हमें पूरी उम्मीद है कि प्रबंधन इंजीनियरों की जो दिक्कतें हैं उन्हें जरूर समझेगा और किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं करेगा.

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