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घोसी उपचुनाव में ऊर्जा मंत्री ने झोंक दी थी पूरी ताकत, नतीजा सिफर अब कुर्सी जाने का डर!

घोसी उप-चुनाव (Ghosi By-Election 2023) में ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने पूरी ताकत झोंकी दी थी. इसके बावजूद बीजेपी प्रत्याशी दारा सिंह चौहान हार गये. यहां ऊर्जा मंत्री की प्रतिष्ठा इसलिए भी दांव पर लगी थी, क्योंकि यह उनका गृह क्षेत्र है.

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bjp election घोसी उपचुनाव में ऊर्जा मंत्री घोसी उपचुनाव में ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा Ghosi by election 2023 Energy Minister Arvind Kumar Sharma बीजेपी प्रत्याशी दारा सिंह चौहान BJP candidate Dara Singh Chauhan
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 9, 2023, 8:26 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा (Energy Minister Arvind Kumar Sharma) ने घोसी उपचुनाव में पार्टी के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान (BJP candidate Dara Singh Chauhan) को जिताने के लिए भरपूर ऊर्जा खपाई, लेकिन उनकी ऊर्जा किसी काम न आई. पार्टी का प्रत्याशी हार गया और ऊर्जा मंत्री की ऊर्जा बेकार चली गई. इस उपचुनाव में ऊर्जा मंत्री की प्रतिष्ठा इसलिए भी दांव पर लगी थी क्योंकि यह उनके गृह क्षेत्र का ही चुनाव था. ऊर्जा मंत्री मऊ से ही ताल्लुक रखते हैं इसलिए उन्होंने इस चुनाव में पूरा जोर भी लगाया.

लगातार में घोसी में ही जमे रहे, लेकिन उनकी किसी भी अपील का मतदाताओं पर कोई असर नहीं हुआ. उनकी मेहनत का नतीजा सिफर रहा. अब जब उनके परफॉर्मेंस खराब हुई तो उन्हें अपनी कुर्सी जाने का भी डर सताने लगा है. चर्चाएं तेज हो गई है कि योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल का अगर विस्तार हुआ तो फिर नगर विकास मंत्री के साथ ही ऊर्जा मंत्री का भी दायित्व निभा रहे अरविंद कुमार शर्मा से ऊर्जा का कार्यभार छीनकर किसी और को दिया जा सकता है.

कई नेताओं की साख दांव पर थी: वैसे तो घोसी उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं की साख दांव पर लगी थी, लेकिन इन सबके बीच पार्टी के एक कद्दावर मंत्री की प्रतिष्ठा उनके गृह क्षेत्र की विधानसभा सीट होने के नाते सबसे ऊपर थ. खास बात यह भी है कि इन मंत्री के पास ऐसे विभाग भी है जिनका सीधे तौर पर जनता से ताल्लुक है. यह मंत्री हैं योगी सरकार के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा. साफ-सफाई और स्वच्छ पेयजल की सुविधा के साथ ही बिजली जैसी आधारभूत आवश्यकता की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है.

ऐसे में जनता से सीधा जुड़ाव रखने वाले इन मंत्री जी को योगी सरकार ने इस चुनाव में खास तौर पर आगे किया था. ऊर्जा मंत्री लगातार पूरी ऊर्जा के साथ इस चुनाव में जुटे भी रहे. उन्होंने प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के पक्ष में घोसी में डेरा डाल दिया. तमाम जनसभाएं और रैली भी कीं, लेकिन जब नतीजा आया तो जनता से जुड़ाव वाले मंत्री को जनता ने सिरे से खारिज कर दिया. दारा सिंह बुरी तरह से चुनाव हारे हैं और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह बड़े मतों के अंतर के साथ चुनाव जीतने में सफल हुए हैं. सपा के प्रत्याशी की जीत और अपनी पार्टी के उम्मीदवार की हार के साथ ही नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा की ऊर्जा मंत्री के रूप में कुर्सी बचा पाने की उम्मीद अब कम रह गई है.

लागू कर देते ओटीएस योजना तो जुड़ सकती थी जनता: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जुलाई माह में ही निर्देश दिए थे कि जल्द से जल्द ऊर्जा विभाग उपभोक्ताओं के हित में एकमुश्त समाधान योजना लागू करे जिससे उपभोक्ताओं को बकाया जमा करने में लाभ मिल सके, लेकिन ऊर्जा मंत्री ने इसमें कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखाई. अभी तक ओटीएस योजना लागू ही न हो पाई.

अब चर्चा यह भी है कि अगर इस उपचुनाव से पहले ऊर्जा मंत्री एकमुश्त समाधान योजना लागू कर देते तो घोसी के उपचुनाव पर भी इसका असर जरूर पड़ता. जनता को बकाया चुकाने में लाभ मिलता और इसके एवज में जनता भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में वोट कर उन्हें जीत का तोहफा दे सकती थी. जब ots लागू नहीं हुई तो जनता ने बीजेपी को वोट देने से भी दूरी बना ली.

ये भी पढ़ें- जुए में दो लाख हारने पर दांव जीतने वाले के सामने पति ने पेश की पत्नी, बोला-खुश कर देगी तो रकम माफ हो जाएगी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार में ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा (Energy Minister Arvind Kumar Sharma) ने घोसी उपचुनाव में पार्टी के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान (BJP candidate Dara Singh Chauhan) को जिताने के लिए भरपूर ऊर्जा खपाई, लेकिन उनकी ऊर्जा किसी काम न आई. पार्टी का प्रत्याशी हार गया और ऊर्जा मंत्री की ऊर्जा बेकार चली गई. इस उपचुनाव में ऊर्जा मंत्री की प्रतिष्ठा इसलिए भी दांव पर लगी थी क्योंकि यह उनके गृह क्षेत्र का ही चुनाव था. ऊर्जा मंत्री मऊ से ही ताल्लुक रखते हैं इसलिए उन्होंने इस चुनाव में पूरा जोर भी लगाया.

लगातार में घोसी में ही जमे रहे, लेकिन उनकी किसी भी अपील का मतदाताओं पर कोई असर नहीं हुआ. उनकी मेहनत का नतीजा सिफर रहा. अब जब उनके परफॉर्मेंस खराब हुई तो उन्हें अपनी कुर्सी जाने का भी डर सताने लगा है. चर्चाएं तेज हो गई है कि योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल का अगर विस्तार हुआ तो फिर नगर विकास मंत्री के साथ ही ऊर्जा मंत्री का भी दायित्व निभा रहे अरविंद कुमार शर्मा से ऊर्जा का कार्यभार छीनकर किसी और को दिया जा सकता है.

कई नेताओं की साख दांव पर थी: वैसे तो घोसी उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेताओं की साख दांव पर लगी थी, लेकिन इन सबके बीच पार्टी के एक कद्दावर मंत्री की प्रतिष्ठा उनके गृह क्षेत्र की विधानसभा सीट होने के नाते सबसे ऊपर थ. खास बात यह भी है कि इन मंत्री के पास ऐसे विभाग भी है जिनका सीधे तौर पर जनता से ताल्लुक है. यह मंत्री हैं योगी सरकार के नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा. साफ-सफाई और स्वच्छ पेयजल की सुविधा के साथ ही बिजली जैसी आधारभूत आवश्यकता की आपूर्ति करने की जिम्मेदारी इन्हीं के कंधों पर है.

ऐसे में जनता से सीधा जुड़ाव रखने वाले इन मंत्री जी को योगी सरकार ने इस चुनाव में खास तौर पर आगे किया था. ऊर्जा मंत्री लगातार पूरी ऊर्जा के साथ इस चुनाव में जुटे भी रहे. उन्होंने प्रत्याशी दारा सिंह चौहान के पक्ष में घोसी में डेरा डाल दिया. तमाम जनसभाएं और रैली भी कीं, लेकिन जब नतीजा आया तो जनता से जुड़ाव वाले मंत्री को जनता ने सिरे से खारिज कर दिया. दारा सिंह बुरी तरह से चुनाव हारे हैं और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी सुधाकर सिंह बड़े मतों के अंतर के साथ चुनाव जीतने में सफल हुए हैं. सपा के प्रत्याशी की जीत और अपनी पार्टी के उम्मीदवार की हार के साथ ही नगर विकास एवं ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा की ऊर्जा मंत्री के रूप में कुर्सी बचा पाने की उम्मीद अब कम रह गई है.

लागू कर देते ओटीएस योजना तो जुड़ सकती थी जनता: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जुलाई माह में ही निर्देश दिए थे कि जल्द से जल्द ऊर्जा विभाग उपभोक्ताओं के हित में एकमुश्त समाधान योजना लागू करे जिससे उपभोक्ताओं को बकाया जमा करने में लाभ मिल सके, लेकिन ऊर्जा मंत्री ने इसमें कोई दिलचस्पी ही नहीं दिखाई. अभी तक ओटीएस योजना लागू ही न हो पाई.

अब चर्चा यह भी है कि अगर इस उपचुनाव से पहले ऊर्जा मंत्री एकमुश्त समाधान योजना लागू कर देते तो घोसी के उपचुनाव पर भी इसका असर जरूर पड़ता. जनता को बकाया चुकाने में लाभ मिलता और इसके एवज में जनता भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के पक्ष में वोट कर उन्हें जीत का तोहफा दे सकती थी. जब ots लागू नहीं हुई तो जनता ने बीजेपी को वोट देने से भी दूरी बना ली.

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