लखनऊ: अगर आप फिट रहने और प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिए साइकिल चलाना चाहते हैं तो एक बार जरूर सोच लें, क्योंकि राजधानी में साइकिल चलाना आज के समय में आसान नहीं है. राजधानी में साइकिल चलाने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर ही नहीं है. अगर साइकिल से एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाना है तो उन्हीं सड़कों से गुजरना होगा, जहां पर तेज रफ्तार चार पहिया और दो पहिया वाहन गुजरते हैं. ऐसी स्थिति में साइकिल चलाना घातक साबित हो सकता है.
साइकिल चालकों की मजबूरी
शहर में मौजूद कुछ साइकिल ट्रैक पर अतिक्रमण हो गया है. वहीं कुछ अन्य ट्रैक क्षतिग्रस्त हो गए हैं. लिहाजा, साइकिल चलाने के लिए साइकिल चालकों को मजबूरी में उन्हीं सड़कों का सहारा लेना पड़ रहा है, जहां पर तेज रफ्तार चार पहिया और दोपहिया वाहन गुजरते हैं.
राजधानी लखनऊ में प्रदूषण के बढ़ रहे स्तर से जिम्मेदार अधिकारियों का सिरदर्द बना हुआ है. दूसरी ओर लखनऊ में लगातार चार पहिया और दोपहिया वाहनों की संख्या में इजाफा हो रहा है. वाहनों से निकलने वाले धुएं से लगातार प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. आलम यह है कि राजधानी का प्रदूषण रेट 308 एयर क्वॉलिटी इंडेक्स (एक्यूआर) है. दूसरी तरफ मात्र दिखावे के तौर पर अधिकारियों ने साइकिल चलाने और गाड़ियों के प्रयोग से बचने की बात कही है.
साइकिल ट्रैक पर अतिक्रमण
वैसे तो राजधानी लखनऊ में बड़े पैमाने पर साइकिल ट्रैक मौजूद हैं, लेकिन इन साइकिल ट्रैक पर या तो अतिक्रमण हो चुका है या फिर वे क्षतिग्रस्त हो चुके हैं. ऐसे में तेज रफ्तार चार पहिया और दोपहिया वाहनों के बीच मुख्य मार्ग पर साइकिल चलाना साइकिल चालकों के लिए मजबूरी बनी हुई है. अब हजरतगंज के माल एवेन्यू जैसे वीआईपी क्षेत्र में लोगों ने साइकिल ट्रैक पर पंचर बनाने की दुकानें खोल रखी हैं.
हजरतगंज, लालबाग, आलमबाग, कपूरथला, महानगर, बादशाह नगर, इंदिरा नगर, विकासनगर, जानकीपुरम और कुर्सी रोड में साइकिल ट्रैक बाधित कर दिए गए हैं. इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे पर साइकिल ट्रैक पर फूड कॉर्नर लगाए जाते हैं और यह सब नगर निगम और पुलिस अधिकारियों व कर्मचारियों की जानकारी में है. इस बारे में जब लखनऊ नगर आयुक्त अजय द्विवेदी से बातचीत की गई तो उन्होंने कहा कि उनकी टीम इस बात की ओर विचार कर रही है. जल्द ही साइकिल ट्रैकों से अतिक्रमण को हटाने की कार्रवाई की जाएगी.
सपा ने पूरे शहर में बनाए थे साइकिल ट्रैक
समाजवादी पार्टी शासन के दौरान राजधानी में लगभग 100 किमी साइकिल ट्रैक का निर्माण किया गया था, लेकिन सपा की सत्ता जाने के बाद यह ट्रैक उपयोगी नहीं रहे. बड़ी संख्या में लोग साइकिल ट्रैक का प्रयोग पार्किंग के तौर पर करते हैं. ऐसे में साइकिल चालक साइकिल ट्रैक का प्रयोग नहीं कर पा रहे हैं और उन्हें मजबूरी में मुख्य मार्ग पर साइकिल चलाकर अपने गंतव्य पर जाना पड़ रहा है, जो कि उनके लिए काफी असुरक्षित है.
नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस कर रही अनदेखी
राजधानी में साइकिल ट्रैक का निर्माण समाजवादी पार्टी सरकार में किया गया था, लेकिन प्रदेश में भाजपा सरकार आने के बाद लखनऊ नगर निगम और ट्रैफिक पुलिस लगातार साइकिल ट्रैक को लेकर अनदेखी कर रहा है. यदि नगर निगम साइकिल ट्रैक की मरम्मत कराये ओर ट्रैक से अवैध अतिक्रमण को हटाया तो साइकिल चालकों के लिए साइकिल ट्रैक उपयोगी साबित हो सकते हैं.
क्या कहते हैं साइकिल चालक
साइकिल चालकों का कहना है कि साइकिल मध्यम वर्गीय और निम्न वर्गीय परिवार के लिए किफायती होती है. एक तरफ इससे आने-जाने का खर्चा बचता है तो वहीं इंसान भी फिट रहता है. साइकिल के प्रयोग से प्रदूषण को भी नुकसान नहीं पहुंचता, लेकिन राजधानी की सड़कों पर साइकिल चलाना अब खतरे से खाली नहीं है. आए दिन कोई न कोई सड़क दुर्घटना होती रहती है. वहीं जो साइकिल ट्रैक बनाए गए थे, वे भी अब पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं.
सड़कों पर चलने वाली साइकिल से जहां ट्रैफिक व्यवस्था प्रभावित होती है. वहीं दूसरी ओर मुख्य मार्ग पर साइकिल चालक के चलने से उसकी सुरक्षा भी खतरे में पड़ती है. साइकिल ट्रैक पर बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है. इस बारे में नगर निगम अगर साइकिल ट्रैक से अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करता है तो यह सुनिश्चित किया जायेगा कि साइकिल चालक साइकिल ट्रैक पर ही चलें.
पूर्णेंदु सिंह, एडीसीपी ट्रैफिक, लखनऊ