लखनऊ: कोरोना काल में राजधानी लखनऊ के चिकित्सा संस्थानों में अजब-गजब खेल चल रहे हैं. डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में पहले कोरोना काल में नर्स, वेंटिलेटर टेक्नीशियन सहित 100 से ज्यादा पदों पर नियुक्तियां कर दी गई और उसके महीने भर बाद कर्मचारियों की कुशलता परखी जा रही है. इस पूरे मामले की जांच के लिए 5 सदस्यीय कमेटी गठित कर दी गई है.
104 पदों पर की गई थी नियुक्तियां
डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में 1 महीने पहले 104 पदों नर्स, वेंटिलेटर टेक्नीशियन और कुछ अन्य पदों पर नियुक्तियां कर दी गई. नियुक्तियों के समय किसी भी कर्मचारी की न तो परीक्षा ली गई और न ही एक्सपीरियंस की पूछताछ हुई. लेकिन एक महीने बाद अचानक सभी कर्मचारियों की कुशलता परखने का निर्णय ले लिया गया. जिससे अब इन कर्मचारियों की नौकरी पर तलवार लटक गई है.
कोविड-19 वार्ड में भी लगाई ड्यूटी
जुलाई के महीने में 104 पदों पर नियुक्त किए गए कर्मचारियों में 50 को नर्सिंग स्टाफ और वेंटीलेटर टेक्नीशियन के पद पर नियुक्त कर दिया गया. इनमें से कुछ कर्मचारियों से कोविड-19 वार्ड में ड्यूटी भी करवाई गई. 1 महीने की ड्यूटी करने के बाद इन सभी कर्मचारियों पर उनके एक्सपीरियंस और कार्यकुशलता पर शक होने के चलते अब उनकी परीक्षा लेने का निर्णय लिया गया है.
ठीक से ड्यूटी न करने की मिली शिकायत
दरअसल, कोविड-19 अस्पताल में एक हेल्थ केयर वर्कर द्वारा सही ढंग से ड्यूटी न करने की शिकायत वहां के डॉक्टर ने अस्पताल के नोडल अफसर से की है. इसके बाद मामले की जानकारी संस्थान के निदेशक डॉ. नुजहत हुसैन तक पहुंची. इसके बाद नर्सिंग स्टाफ और वेंटिलेटर टेक्नीशियन के पद पर नियुक्त किए गए 50 कर्मचारियों की कार्यकुशलता परखने का निर्णय लिया गया है.
पांच सदस्यीय कमेटी की अध्यक्ष बनीं चीफ नर्सिंग ऑफिसर सुमन सिंह
डॉक्टर नुजहत हुसैन ने इन सभी हेल्थ केयर वर्कर्स की लिखित और मौखिक परीक्षा करवाने का निर्णय लिया है. इसके लिए उन्होंने एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है. इस कमेटी को निर्देश दिया है कि सभी कर्मचारियों को परीक्षाओं के आधार पर ही नियुक्त किया जाए. इन सभी कर्मचारियों में से 24 हेल्थ केयर वर्कर्स की 28 अगस्त को एक लिखित परीक्षा करवाई गई है. इसका रिजल्ट 31 अगस्त को बताया जाने वाला है. खास बात तो यह है कि इस पांच सदस्यीय कमेटी की अध्यक्ष चीफ नर्सिंग ऑफिसर सुमन सिंह बनाई गईं हैं. यह वहीं ऑफिसर हैं, जिन पर फर्जी नियुक्ति का आरोप लगा हुआ है और वह विवादों में घिरी हुई हैं.
इस पूरे मामले पर डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के निदेशक डॉ. नुजहत हुसैन का कहना है कि अस्पताल में कार्यरत कई नर्सिंग स्टाफ के काम को लेकर शिकायत मिली थी. जिसके बाद यह निर्णय लिया गया कि उनकी परीक्षाएं करवाई जाएंगी. अब यहां बड़ा सवाल यह है कि नियुक्तियों के समय ही उन कर्मचारियों की योग्यता क्यों नहीं परखी गई.