लखनऊ : केजीएमयू में नर्सिंग, पैरामेडिकल और कर्मचारियों की हड़ताल से मरीजों की जान सांसत में पड़ गई है. मंगलवार को हड़ताल के चलते 1500 से अधिक मरीजों को ओपीडी में इलाज नहीं मिल सका. तड़पते मरीज बिना इलाज के लौटने को मजबूर हुए. दूर-दराज से आने वाले मरीज हड़ताली कर्मचारियों के सामने रोते-गिड़गिड़ाते रहे लेकिन कर्मचारियों का दिल नहीं पसीजा.
पीजीआई के समान वेतन और कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर सुबह करीब 8.30 बजे कर्मचारी ओपीडी ब्लॉक पहुंचे. यहां संविदा कर्मचारी मरीजों का पर्चा बना रहे थे. जांच के लिए शुल्क जमा किया जा रहा है. कई कमरों में डॉक्टर आ चुके थे.
इसी दौरान केजीएमयू कर्मचारी परिषद के पदाधिकारी सैकड़ों की संख्या में ओपीडी में पहुंचे. इससे ओपीडी ब्लॉक में अफरा-तफरी मच गई. प्रदर्शनकारियों ने पर्चा काउंटर पर कामकाज ठप करा दिया. जांच के लिए नमूना लेने का काम भी रुकवा दिया. सीटी स्कैन, एक्सरे समेत दूसरी जांच भी ठप करा दी.
इस बीच ओपीडी में इलाज के लिए आए मरीज बेहाल रहे. इलाज के लिए मरीज अस्पताल कर्मियों से मिन्नतें करते रहे पर उनकी एक न सुनी गई. इस दौरान पैरामेडिकल स्टाॅफ का प्रदर्शन जारी रहा.
गौरतलब है कि किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में ज्यादातर मरीज अन्य जिलों से रेफर होकर आते हैं. ऐसे में पैरामेडिकल स्टॉफ और कर्मचारियों की ओर से किए जा रहे धरना प्रदर्शन का असर सीधे मरीजों पर पड़ रहा है.
इस दौरान मंगलवार को यूपी के हरदोई, वाराणसी, भदोही, गाजीपुर, कानपुर और गोरखपुर से आए मरीज बेहद परेशान हुए. सुबह-सुबह धरना प्रदर्शन करने का नतीजा मरीजों को भुगतना पड़ा. परिजन अपने मरीजों को लेकर अस्पताल के चारों ओर चक्कर लगाते दिखाई दिए.
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वहीं, ओपीडी में समय से डॉक्टर भी मौजूद नही रहे. डॉक्टर सुबह 10:35 बजे आए लेकिन मरीजों का पर्चा न बनने से वे खाली बैठे रहे. पीजीआई के समान वेतन और कैडर पुनर्गठन की मांग को लेकर केजीएमयू कर्मचारी परिषद के आह्वान पर हड़ताल शुरू हुई. सबसे पहले कर्मचारी ओपीडी पहुंचे. आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को काम से रोक दिया. मरीजों को डॉक्टर की सलाह नहीं मिल पाई. खून की जांच ठप रही. रेडियोलाॅजी संबंधी जांच में ठप रही.
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रायबरेली निवासी कालीदास ने बताया कि पेट में दर्द की वजह से वह अस्पताल पहुंचा था. कर्मचारियों ने पर्चा नहीं बनने दिया. इसी तरह खून की जांच के लिए पहुंचे ठाकुरगंज निवासी हारून को भी लौटा दिया गया. हरदोई के नितिन भारद्वाज को भी इलाज नहीं मिल सका.
कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष प्रदीप गंगवार ने कहा कि 5 साल से हम लोग मांगों के लिए संघर्ष कर रहे हैं. प्रशासन के अफसर हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं. इससे उन लोगों को काफी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है.