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निजीकरण के विरोध में कार्य बहिष्कार करेंगे बिजली कर्मी - कार्य बहिष्कार करेंगे बिजली कर्मी

लखनऊ में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में तीन फरवरी को एक दिवसीय सांकेतिक कार्य बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी इस बहिष्कार में भागीदारी करेंगे.

कार्य बहिष्कार करेंगे बिजली कर्मी.
कार्य बहिष्कार करेंगे बिजली कर्मी.
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Published : Jan 20, 2021, 2:13 PM IST

लखनऊ : केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए बिजली कर्मी कार्यबहिष्कार करने की योजना बना रहे हैं. देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी अगले माह की तीन फरवरी को होने वाले इस बहिष्कार में भागीदारी करेंगे. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इसकी पुष्टि की है.

केंद्र और प्रदेश सरकार को भेज दिया संदेश
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में और कर्मचारियों की ज्वलंत समस्याओं के निराकरण के लिए आगामी तीन फरवरी को एक दिवसीय सांकेतिक कार्य बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. संघर्ष समिति ने इसका नोटिस केंद्रीय ऊर्जा मंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार को भेज दिया है. उन्होंने बताया कि निजीकरण का प्रयोग उड़ीसा, ग्रेटर नोएडा और आगरा में बुरी तरह विफल हो चुका है. फिर भी केंद्र सरकार ने बिजली के निजीकरण के लिए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेट) बिल 2020 एवं स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी किया है. इससे देशभर के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है.

केंद्र सरकार के निर्देश पर केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़ और पांडिचेरी में बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया तीव्र गति से चल रही है. जिसके विरोध में उत्तर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता आगामी तीन फरवरी को देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ एक दिवसीय सांकेतिक कार्य बहिष्कार करेंगे. उन्होंने बताया कि बिजली कर्मचारी किसान आंदोलन को नैतिक समर्थन प्रदान कर रहे हैं. जिनकी मांगों में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 की वापसी प्रमुख है.

बिजली कर्मचारियों की प्रमुख मांग
- इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और स्टैन्डर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट वापस लेना.
- निजीकरण की सारी प्रक्रिया निरस्त करना.
- ग्रेटर नोएडा का निजीकरण और आगरा फ्रेंचाइजी का करार समाप्त करना.
- विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण निगमों को एकीकृत कर यूपीएसईबी लिमिटेड का गठन करना.
- सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करना.
- तेलंगाना की तरह संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और सभी रिक्त पदों विशेषतया क्लास 3 और क्लास 4 के रिक्त पदों को प्राथमिकता पर भरना.
- सभी संवर्ग की वेतन विसंगतियां दूर करना और तीन पदोन्नत पद का समयबद्ध वेतनमान प्रदान करना.

लखनऊ : केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में और अन्य समस्याओं के समाधान के लिए बिजली कर्मी कार्यबहिष्कार करने की योजना बना रहे हैं. देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ उत्तर प्रदेश के बिजली कर्मचारी अगले माह की तीन फरवरी को होने वाले इस बहिष्कार में भागीदारी करेंगे. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इसकी पुष्टि की है.

केंद्र और प्रदेश सरकार को भेज दिया संदेश
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि केंद्र सरकार की निजीकरण की नीतियों के विरोध में और कर्मचारियों की ज्वलंत समस्याओं के निराकरण के लिए आगामी तीन फरवरी को एक दिवसीय सांकेतिक कार्य बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. संघर्ष समिति ने इसका नोटिस केंद्रीय ऊर्जा मंत्री और उत्तर प्रदेश सरकार को भेज दिया है. उन्होंने बताया कि निजीकरण का प्रयोग उड़ीसा, ग्रेटर नोएडा और आगरा में बुरी तरह विफल हो चुका है. फिर भी केंद्र सरकार ने बिजली के निजीकरण के लिए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेट) बिल 2020 एवं स्टैंडर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट जारी किया है. इससे देशभर के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है.

केंद्र सरकार के निर्देश पर केंद्र शासित प्रदेशों चंडीगढ़ और पांडिचेरी में बिजली के निजीकरण की प्रक्रिया तीव्र गति से चल रही है. जिसके विरोध में उत्तर प्रदेश के सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजली कर्मचारी, जूनियर इंजीनियर और अभियंता आगामी तीन फरवरी को देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ एक दिवसीय सांकेतिक कार्य बहिष्कार करेंगे. उन्होंने बताया कि बिजली कर्मचारी किसान आंदोलन को नैतिक समर्थन प्रदान कर रहे हैं. जिनकी मांगों में इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 की वापसी प्रमुख है.

बिजली कर्मचारियों की प्रमुख मांग
- इलेक्ट्रीसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 और स्टैन्डर्ड बिडिंग डॉक्युमेंट वापस लेना.
- निजीकरण की सारी प्रक्रिया निरस्त करना.
- ग्रेटर नोएडा का निजीकरण और आगरा फ्रेंचाइजी का करार समाप्त करना.
- विद्युत उत्पादन, पारेषण और वितरण निगमों को एकीकृत कर यूपीएसईबी लिमिटेड का गठन करना.
- सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन बहाल करना.
- तेलंगाना की तरह संविदा कर्मचारियों को नियमित करना और सभी रिक्त पदों विशेषतया क्लास 3 और क्लास 4 के रिक्त पदों को प्राथमिकता पर भरना.
- सभी संवर्ग की वेतन विसंगतियां दूर करना और तीन पदोन्नत पद का समयबद्ध वेतनमान प्रदान करना.

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