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अधिकारियों का कारनामा: 50 किलोवाट के लोड पर दे दिया 24 किलोवाट का कनेक्शन

राजधानी लखनऊ में बिजली विभाग के अधिकारियों का नया कारनामा सामने आया है. अधिकारियों ने पुराने लखनऊ के तमाम इलाकों में साल भर के अंदर ऐसे अपार्टमेंट और कांप्लेक्स को अलग-अलग मीटर लगाकर बिजली कनेक्शन दे दिए, जबकि इनका लोड 45 किलोवाट से लेकर 50 किलोवाट था और इनको कनेक्शन 24 किलोवाट का दिया गया.

उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड
उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड
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Published : Jan 16, 2021, 12:27 AM IST

लखनऊ: बिजली विभाग के अधिकारी पैसे कमाने के चक्कर में लोड को आधा दिखाकर उपभोक्ता को कनेक्शन दे देते हैं. इतना ही नहीं बकाए पर कनेक्शन देने का कोई प्रावधान नहीं, लेकिन अगर अधिकारियों की जेब गर्म की तो बकाया खुद-ब-खुद माफ हो जाता है और उपभोक्ता को कनेक्शन दे दिया जाता है.

चोरी की बिजली भी बिजली विभाग के अधिकारी ही जलवाते हैं. तमाम अधिकारी सस्पेंड हो चुके हैं. कई पर जांच चल रही हैं, बावजूद इसके नए-नए खुलासे हो रहे हैं. पुराने लखनऊ के कई इलाकों में बिजली विभाग के अधिकारियों ने अवैध कनेक्शन दे डाले. यूपी पावर कारपोरेशन के नियम को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया.

24 किलोवाट में तब्दील कर दिए कनेक्शन
चौक खण्ड के अंदर पुराने लखनऊ के तमाम इलाकों में साल भर के अंदर ऐसे अपार्टमेंट और कांप्लेक्स को अलग-अलग मीटर लगाकर बिजली कनेक्शन दे दिए गए. इनका लोड 45 किलोवाट से लेकर 50 किलोवाट था. ऐसे अपार्टमेंट और कॉम्प्लेक्स को दलालों की सांठ-गांठ से 24-24 किलोवाट का विद्युत कनेक्शन विद्युत लोड स्वीकृत करके उनको अलग-अलग देने की सुविधा दे दी गई. नियम ये है कि ऐसे अपार्टमेंट और कॉम्प्लेक्स का सही तरीके से विद्युत लोड की गणना करने के बाद बिल्डर को अपने खर्चे पर ट्रांसफार्मर लगाना होता है. ऐसा कुछ भी नहीं किया गया और पैसे अधिकारियों के जेब में चले गए.

अफसरों के विश्वास में फंसे इंजीनियर
चौक बिजली बिल संशोधित प्रकरण यानी लाखों रुपये के बिजली बिल हजारों रुपये के बनाने में सहायक अभियंता (मीटर) रवि यादव अपने अभियंता के विश्वास में फंस गए. यह अलग बात कि इस पूरे खेल में रवि यादव संलिप्त नहीं हैं. जांच में उनका सिर्फ एक ऐसा मामला सामने आया, जिसकी एमआरआई करने के बाद रिपोर्ट देनी चाहिए थी. उसको उनके सहयोगियों ने शिविर में जल्दबाजी में ब्राटिंग करा कर रिपोर्ट लगवा ली.

लखनऊ: बिजली विभाग के अधिकारी पैसे कमाने के चक्कर में लोड को आधा दिखाकर उपभोक्ता को कनेक्शन दे देते हैं. इतना ही नहीं बकाए पर कनेक्शन देने का कोई प्रावधान नहीं, लेकिन अगर अधिकारियों की जेब गर्म की तो बकाया खुद-ब-खुद माफ हो जाता है और उपभोक्ता को कनेक्शन दे दिया जाता है.

चोरी की बिजली भी बिजली विभाग के अधिकारी ही जलवाते हैं. तमाम अधिकारी सस्पेंड हो चुके हैं. कई पर जांच चल रही हैं, बावजूद इसके नए-नए खुलासे हो रहे हैं. पुराने लखनऊ के कई इलाकों में बिजली विभाग के अधिकारियों ने अवैध कनेक्शन दे डाले. यूपी पावर कारपोरेशन के नियम को पूरी तरह दरकिनार कर दिया गया.

24 किलोवाट में तब्दील कर दिए कनेक्शन
चौक खण्ड के अंदर पुराने लखनऊ के तमाम इलाकों में साल भर के अंदर ऐसे अपार्टमेंट और कांप्लेक्स को अलग-अलग मीटर लगाकर बिजली कनेक्शन दे दिए गए. इनका लोड 45 किलोवाट से लेकर 50 किलोवाट था. ऐसे अपार्टमेंट और कॉम्प्लेक्स को दलालों की सांठ-गांठ से 24-24 किलोवाट का विद्युत कनेक्शन विद्युत लोड स्वीकृत करके उनको अलग-अलग देने की सुविधा दे दी गई. नियम ये है कि ऐसे अपार्टमेंट और कॉम्प्लेक्स का सही तरीके से विद्युत लोड की गणना करने के बाद बिल्डर को अपने खर्चे पर ट्रांसफार्मर लगाना होता है. ऐसा कुछ भी नहीं किया गया और पैसे अधिकारियों के जेब में चले गए.

अफसरों के विश्वास में फंसे इंजीनियर
चौक बिजली बिल संशोधित प्रकरण यानी लाखों रुपये के बिजली बिल हजारों रुपये के बनाने में सहायक अभियंता (मीटर) रवि यादव अपने अभियंता के विश्वास में फंस गए. यह अलग बात कि इस पूरे खेल में रवि यादव संलिप्त नहीं हैं. जांच में उनका सिर्फ एक ऐसा मामला सामने आया, जिसकी एमआरआई करने के बाद रिपोर्ट देनी चाहिए थी. उसको उनके सहयोगियों ने शिविर में जल्दबाजी में ब्राटिंग करा कर रिपोर्ट लगवा ली.

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