लखनऊ : बिजली विभाग ने उपभोक्ताओं के लिए मुआवजा कानून तो लागू कर दिया, लेकिन उसमें इतने पेंच फंसा दिए कि उपभोक्ता को मुआवजा मिलना तो दूर बात तक करना गुनाह है. पॉवर कॉरपोरेशन की 1912 हेल्पलाइन नंबर पर शिकायतों के समाधान को लेकर भी उपभोक्ताओं की शिकायत पर अब ओटीपी की भी व्यवस्था किए जाने की तैयारी हो रही है. उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉर्पोरेशन (Uttar Pradesh Power Corporation) ऑटो जेनरेटेड मुआवजा क्लॉज का नंबर जारी करने पर मंथन कर रहा है. उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन से उपभोक्ताओं के हित में ऑटो जेनरेटेड मुआवजा क्लॉज नंबर और शिकायत के समाधान के लिए ओटीपी की व्यवस्था करने की मांग की है, जिस पर पॉवर काॅरपोरेशन ने तैयारी भी शुरू कर दी है.
उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जहां पर ऊर्जा विभाग ने उपभोक्ताओं के लिए मुआवजा कानून लागू किया है. यह मुआवजा विभिन्न तरह की शिकायत और उपभोक्ताओं के विभिन्न कामों को समय से न किए जाने पर बिजली विभाग की तरफ से उपभोक्ता को दिए जाने की व्यवस्था की गई है, हालांकि मुआवजा का लाभ उपभोक्ता को मिलने में दिक्कत हो रही है. शिकायत कर मुआवजा के हकदार होने के बावजूद उपभोक्ता के बिलों में मुआवजा जुड़कर नहीं आ रहा है. ऐसे में इसे लेकर उपभोक्ताओं की तरफ से मांग उठने लगी है. उपभोक्ताओं ने उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा से अपील की है कि वह उत्तर प्रदेश पाॅवर काॅरपोरेशन के सामने मुआवजा मिलने में हो रही दिक्कतों से संबंधित कंज्यूमर्स की शिकायत रखें और समाधान के लिए सुझाव भी दें. 1912 हेल्पलाइन नंबर पर फर्जी शिकायतों के समाधान को लेकर भी उपभोक्ताओं की मांग पर परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने पाॅवर कॉरपोरेशन के सामने उपभोक्ताओं की मांग रखी और अपने सुझाव दिए. उन्होंने बताया कि पाॅवर काॅरपोरेशन ने इस पर अमल करना शुरू कर दिया है. बहुत जल्द उपभोक्ताओं को ऑटो जेनरेटेड मुआवजा क्लॉज नंबर की सुविधा देगा और शिकायत का समाधान तभी माना जाएगा जब उपभोक्ता 1912 की तरफ से समस्या के समाधान होने पर ओटीपी मांगने पर देगा. इससे फर्जी शिकायतों का समाधान नहीं होगा, वास्तविक समाधान होगा. उपभोक्ताओं की परेशानी इससे दूर होगी.'
जानिए मुआवजा कानून में क्या है व्यवस्था | |
घरेलू बिजली कनेक्शन के लिए 50 रुपये प्रतिदिन. | काॅल सेंटर से रिस्पान्स न मिलने और शिकायत नंबर न देने पर 50 रुपए. |
श्रेणी एक शहरी क्षेत्रों में कम आपूर्ति पर 20 रुपये प्रति किलोवाट प्रति घंटे. | ग्रामीण क्षेत्रों में कम आपूर्ति पर 10 रुपये प्रति किलोवाट प्रति घंटे. |
स्थायी विच्छेदन, री कनेक्शन पर 50 रुपए प्रतिदिन. | सिक्योरिटी रिफंड, अदेयता प्रमाण पत्र पर 50 रुपए प्रतिदिन. |
बिल संबंधी शिकायत पर 50 रुपए प्रतिदिन. | लोड घटाने बढ़ाने, कनेक्शन खत्म कराने पर 50 रुपए प्रतिदिन. |
उसी परिसर में शिफ्टिंग पर 50 रुपए प्रतिदिन. | मीटर रीडिंग पर 200 रुपए प्रतिदिन. |
खराब, जला मीटर बदलने पर 50 रुपए प्रतिदिन. | सामान्य फ्यूज उड़ने पर 50 रुपए प्रतिदिन. |
ओवरहेड लाइन भूमिगत केबल पर 100 रुपए प्रतिदिन. | ग्रामीण ट्रांसफार्मर पर 150 रुपये प्रतिदिन. |
ट्रांसफार्मर से वोल्टेज समस्या पर 50 रुपए प्रतिदिन. | वोल्टेज के लिए नई लाइन की जरूरत पर 100 रुपए प्रतिदिन. |
वोल्टेज के लिए उपकेंद्र की जरूरत पर 250 रुपए प्रतिदिन. | छह फीसद कम व ज्यादा लो वोल्टेज पर 50 रुपए प्रतिदिन. |
नौ फीसद कम व छह फीसद ज्यादा हाइवोल्टेज पर 50 रुपए प्रतिदिन. | 12.5 फीसद कम और 10 फीसद ज्यादा ईएचवी पर 50 रुपए प्रतिदिन. |
जहां नई लाइन बनानी हो 250 रुपए प्रतिदिन. | अस्थायी कनेक्शन पर 100 रुपए प्रतिदिन. |
यूपीपीसीएल के पास मौजूद उपभोक्ताओं का डाटा : अभी तक उत्तर प्रदेश पाॅवर कॉरपोरेशन के पास उपभोक्ताओं के नंबर नहीं थे, लेकिन ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने प्रदेश भर में उपकेंद्रों पर शिविर आयोजित कराकर उपभोक्ताओं के नंबर कलेक्ट कराए. अब उत्तर प्रदेश देश का ऐसा पहला राज्य है जिसके पास सबसे ज्यादा उपभोक्ताओं का डाटा है. हालांकि इस सबके बावजूद उपभोक्ताओं को अभी भी इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. न रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर वाले उपभोक्ताओं के पास बिजली बिल से संबंधित मैसेज ही पहुंच पा रहे हैं और न ही विभाग से संबंधित जरूरी जानकारी. बिजली विभाग तो रजिस्टर्ड नंबरों पर अपना काम निकाल ले रहा है पर उपभोक्ताओं को अपनी बात रखने के लिए कोई प्लेटफार्म मुहैया नहीं करा रहा है, इसे लेकर अब सवाल उठ रहे हैं. मांग की जा रही है कि उपभोक्ताओं के लिए भी अब ओटीपी की व्यवस्था की जाए. जब उपभोक्ता को शिकायत के समाधान में संतुष्टि मिल जाए तब वह अपना वन टाइम पासवर्ड बिजली विभाग को उपलब्ध कराए. अब इस दिशा में उपभोक्ताओं की मांग पर पावर कारपोरेशन ने काम करना शुरू किया है.