लखनऊः इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल-2021 और निजीकरण के विरोध में गुरुवार को उत्तर प्रदेश समेत देश के 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर कार्य बहिष्कार पर रहे. राजधानी के शक्ति भवन पर बुधवार को काफी संख्या में विभागीय अधिकारी और कर्मचारी सरकार की इस नीति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने पहुंचे. इस दौरान संगठन के पदाधिकारियों ने पावर कारपोरेशन प्रबंधन को ज्ञापन भी सौंपा.
प्रदर्शन कर सरकार को दी चेतावनी
केन्द्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में एवं अन्य प्रमुख समस्याओं के समाधान के लिए सभी उर्जा निगमों में कार्य बहिष्कार किया गया. उत्पादन, पारेषण और सिस्टम ऑपरेशन में पाली में कार्य करने वाले कर्मी सांकेतिक कार्य बहिष्कार से अलग रहे. विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने इस आन्दोलन के समर्थन में हिस्सा लेने का पहले ही एलान किया था.
विद्युत आपूर्ति रही सुचारू
शक्ति भवन पर तीन घंटे तक बिजली कर्मियों ने कार्य बहिष्कार रखा. इस दौरान वह कार्य से अलग रहे. हालांकि वितरण व्यवस्था में कोई भी कार्य बहिष्कार नहीं किया गया. विद्युत आपूर्ति सुचारू रूप से बहाल रहे इसका पूरा ख्याल रखा गया. सांकेतिक प्रदर्शन के दौरान अधिकारियों और कर्मचारियों ने सरकार को निजीकरण न करने की चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर ऐसा किया गया तो बिजली कर्मी सड़क पर उतरेंगे.
आंदोलन तेज करने की चेतावनी
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे और उत्तर प्रदेश बिजली बोर्ड इम्प्लाइज यूनियन के अध्यक्ष भगवान मिश्रा, महामंत्री विश्वम्भर सिंह और उपाध्यक्ष सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार इस बिल को वापस नहीं लेती है तो आन्दोलन तेज किया जाएगा.