लखनऊ: पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के निजीकरण के प्रस्ताव के विरोध में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय के जन्मदिन 25 सितंबर से 2 अक्टूबर तक ज्ञापन दो अभियान चलाने का निर्णय लिया है. 25 सितंबर से प्रारंभ हो रहे ज्ञापन दो अभियान के अंतर्गत बिजलीकर्मी प्रदेश भर में लोकसभा और राज्यसभा के सभी सांसदों, विधान सभा और विधान परिषद के सदस्यों को ज्ञापन सौंपेंगे. संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबंधन की विफलता की ओर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ध्यान आकर्षित करते हुए अपील की है. उनका कहना है कि महामारी के दौरान कोरोना योद्धा की तरह निर्बाध बिजली आपूर्ति बनाए रखने वाले बिजली कर्मियों पर भरोसा रखा जाए, निजीकरण का प्रस्ताव निरस्त किया जाए.
संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने दी चेतावनी
सोमवार को मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के मुख्यालय पर विरोधसभा आयोजित हुई. संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने चेतावनी दी कि अगर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के विघटन और निजीकरण की दिशा में एक भी और कदम उठाया गया तो बिना और कोई नोटिस दिए सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजलीकर्मी उसी क्षण अनिश्चितकालीन आंदोलन, जिसमें पूर्ण हड़ताल भी होगी, प्रारम्भ कर देंगे. सभा को सम्बोधित करते हुए विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबंधन पूरी तरह से विफल हो गया है. अपनी विफलता छिपाने के लिए पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का निजीकरण किया जा रहा है. ऊर्जा क्षेत्र में अनावश्यक टकराव पैदा किया जा रहा है.
ऊर्जा निगम के शीर्ष प्रबंधन ने लगाया धमकी देने का आरोप
संघर्ष समिति ने आरोप लगाया कि ऊर्जा निगमों का प्रबंधन बिजली कर्मचारियों, जूनियर इंजीनियरों और अभियंताओं को हड़ताल के रास्ते पर धकेल रहा है. उन्होंने कहा कि निजीकरण के विरोध में संघर्ष समिति ने 24 अगस्त को ही नोटिस दे दिया था और प्रदेश भर में विरोध सभा चल रही है. लेकिन ऊर्जा निगम के शीर्ष प्रबंधन ने संघर्ष समिति से वार्ता करने के बजाय नोटिस पर हस्ताक्षर करने वाले सभी अट्ठारह पदाधिकारियों को धमकी भरा पत्र भेजा है. उन्होंने बताया कि पत्र में लिखा गया है कि विरोध सभाएं करने पर आवश्यक सेवा अधिनियम के तहत एक साल की सजा, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत एक साल की सजा जिसे दो साल और बढ़ाया जा सकता है और पैनडेमिक एक्ट के तहत जुर्माने की सजा बिजली कर्मचारियों को दी जाएगी. इस प्रकार ऊर्जा निगमों का शीर्ष प्रबंधन धमकी की भाषा का प्रयोग कर ऊर्जा क्षेत्र में औद्योगिक अशांति पैदा कर रहा है. समिति ने प्रदेश सरकार और प्रबंधन से विगत में किए गए निजीकरण के प्रयोगों की विफलता की समीक्षा करने की अपील की.