लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने सरकार द्वारा सुन्नी वक्फ बोर्ड के बढ़ाए गए कार्यकाल को रद्द करते 28 फरवरी से पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड का चुनाव कराने का आदेश दिया है. ऐसे में शासन से नोटिफिकेशन जारी होते ही यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में सदस्यों और चेयरमैन पद का चुनाव कराकर नए बोर्ड का गठन होगा. बोर्ड के चुनाव से पहले जानिये सुन्नी वक्फ बोर्ड में कौन बनता है सदस्य और किसको है चेयरमैन चुनने का अधिकार.
सुन्नी वक्फ बोर्ड में होते हैं 12 सदस्य
उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में चेयरमैन पद के अलावा 12 सदस्य होते हैं, जो वक्फ बोर्ड का संचालन करते हैं. वक्फ बोर्ड के सदस्य चेयरमैन का चुनाव करते हैं. बोर्ड के सदस्यों के लिए दो सुन्नी मुस्लिम सांसद, दो सुन्नी मुस्लिम विधानसभा या विधान परिषद के सदस्य, दो बार काउंसिल के सदस्य, दो मुतावल्ली कोटे के सदस्यों का चुनाव होता है. इसके अलावा राज्य सरकार एक या फिर दो मौलाना, एक सामाजिक कार्यकर्ता और एक पीसीएस रैंक के सुन्नी मुस्लिम अधिकारी को नामित करती है.
वक्फ बोर्ड के सदस्य चुनते हैं चेयरमैन
सुन्नी वक्फ बोर्ड में मुतावल्ली कोटे से चुनकर आने वाले दोनों सदस्यों का चुनाव वह मुतावल्ली करते हैं, जिनकी वक्फ औकाफ की सालाना आय एक लाख रुपये से अधिक होती है. इसके बाद यह सदस्य चुनकर आये मुतावल्लियों में से किसी एक को बोर्ड के चेयरमैन के लिए चुनते है. वक्फ बोर्ड का कार्यकाल पांच साल का होता है.
बसपा सरकार में बने उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जुफर फारूकी समाजवादी पार्टी की अखिलेश सरकार के दौरान भी चेयरमैन पद पर बने रहे. वहीं सूबे की योगी सरकार में अब तक जुफर फारूकी ही चेयरमैन पद पर मौजूद रहे हैं. ऐसे में अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद नए बोर्ड के गठन के बाद देखना होगा कि कौन सदस्य बनता है और कौन चेयरमैन.