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जानिए यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर किसको मिल सकती हैं कितनी सीटें - लखनऊ खबर

उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव होने है. इनमें से आठ सीट भाजपा और एक सपा के खाते में जानी तय है. बची हुई एक सीट पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संघर्ष है.

यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर किसको मिल सकती हैं जानिए कितनी सीटें
यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर किसको मिल सकती हैं जानिए कितनी सीटें
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Published : Oct 21, 2020, 9:58 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश कोटे से राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव प्रक्रिया जारी है. इनमें से आठ सीट भाजपा और एक सपा के खाते में जानी तय है. बची हुई एक सीट पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संघर्ष है. नामांकन की आखिरी तारीख 27 अक्टूबर है. भाजपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. वहीं सपा से रामगोपाल यादव ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है.

यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर किसको मिल सकती हैं जानिए कितनी सीटें

यूपी बीजेपी अध्यक्ष जा सकते राज्यसभा
राज्य और केंद्र की सत्ता में काविज भारतीय जनता पार्टी के समक्ष 2022 का विधानसभा चुनाव है. पार्टी हर हाल में वापसी करना चाहेगी. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी ऐसे चेहरों को ही राज्यसभा भेजेगी, जो सामाजिक समीकरण साधने में कारगर हों. ऐसे में पिछड़ों को तरजीह मिलना तो तय है. माना जा रहा है कि भाजपा की सबसे अधिक सीटें इसी वर्ग को जाएंगी. पार्टी सूत्रों की मानें तो यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह भी राज्यसभा के लिए नामांकन कर सकते हैं. इसके अलावा अरुण सिंह, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा का भी नाम है.

ब्राह्मण चेहरे लक्ष्मीकांत बाजपेयी के नाम पर लग सकती मुहर
प्रदेश में ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने के लिए इस समाज से और वह भी उत्तर प्रदेश से कोई न कोई उच्च सदन जरूर भेजा जाएगा. पार्टी ऐसे चेहरे पर दांव लगाना चाह रही है, जिसकी घोषणा का असर समाज पर पड़े. वैसे तो कई नेताओं के नाम लिए जा रहे हैं, लेकिन जानकारों के मुताबिक सबसे अच्छा नाम पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी का हो सकता है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि डॉ. बाजपेयी को राज्यसभा भेजने पर विचार किया जा रहा है. डॉ. बाजपेयी पार्टी के बड़े चेहरा तो हैं ही, उन्हें बढ़ाने से ब्राह्मणों में इसका असर पर भी पड़ेगा. बाजपेयी के कार्यकाल में ही 2014 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें भाजपा ने जीत के अपने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त किए थे.

नौंवी सीट पर भी भाजपा की लगभग जीत तय
जानकारों का मानना है कि भाजपा ने यदि नौ सीटों पर नामांकन किया तो सभी नौ सीटें उसके खाते में जाएंगी. विधायकों की संख्या के आधार पर आठ सीटें भाजपा की पक्की हैं. नौंवी भी लगभग पक्की है. सभी विपक्षी दलों के एकजुट होने की स्थिति में ही भाजपा को नौवीं सीट पर रोका जा सकता है. सबका एक हो पाना इतना आसान नहीं है. कांग्रेस के रायबरेली से जुड़े दो विधायकों की पहले ही भाजपा से नजदीकियां किसी से छुपी नहीं हैं. सपा के भी कुछ ऐसे सदस्य हैं, जो खुलकर बीजेपी का विरोध करते नहीं दिख रहे. बसपा का कोई रुख अभी तक सामने आया नहीं है. ऐसे में एक सीट छोड़ बाकी सभी पर भाजपा की जीत लगभग पक्की मानी जा रही है.

हालांकि कांग्रेस का स्पष्ट कहना है कि वह राज्यसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ने वाले मजबूत प्रत्याशी के समर्थन में उसके सदस्य मतदान करेंगे. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता बृजेन्द्र सिंह ने कहा कि को कांग्रेस के सभी सदस्य बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करेंगे.

वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हीरो वाजपेयी कहते हैं उनकी पार्टी सभी को साथ लेकर चलती है. हम जाति आधारित राजनीति नहीं करते. रही बात राज्यसभा के लिए नाम घोषित करने की तो यह कार्य पार्टी नेतृत्व सामूहिक रूप से निर्णय लेता है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश कोटे से राज्यसभा की 10 सीटों पर चुनाव प्रक्रिया जारी है. इनमें से आठ सीट भाजपा और एक सपा के खाते में जानी तय है. बची हुई एक सीट पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच संघर्ष है. नामांकन की आखिरी तारीख 27 अक्टूबर है. भाजपा ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं. वहीं सपा से रामगोपाल यादव ने नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है.

यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर किसको मिल सकती हैं जानिए कितनी सीटें

यूपी बीजेपी अध्यक्ष जा सकते राज्यसभा
राज्य और केंद्र की सत्ता में काविज भारतीय जनता पार्टी के समक्ष 2022 का विधानसभा चुनाव है. पार्टी हर हाल में वापसी करना चाहेगी. आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए पार्टी ऐसे चेहरों को ही राज्यसभा भेजेगी, जो सामाजिक समीकरण साधने में कारगर हों. ऐसे में पिछड़ों को तरजीह मिलना तो तय है. माना जा रहा है कि भाजपा की सबसे अधिक सीटें इसी वर्ग को जाएंगी. पार्टी सूत्रों की मानें तो यूपी बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह भी राज्यसभा के लिए नामांकन कर सकते हैं. इसके अलावा अरुण सिंह, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी, राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा का भी नाम है.

ब्राह्मण चेहरे लक्ष्मीकांत बाजपेयी के नाम पर लग सकती मुहर
प्रदेश में ब्राह्मणों की नाराजगी दूर करने के लिए इस समाज से और वह भी उत्तर प्रदेश से कोई न कोई उच्च सदन जरूर भेजा जाएगा. पार्टी ऐसे चेहरे पर दांव लगाना चाह रही है, जिसकी घोषणा का असर समाज पर पड़े. वैसे तो कई नेताओं के नाम लिए जा रहे हैं, लेकिन जानकारों के मुताबिक सबसे अच्छा नाम पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. लक्ष्मीकांत बाजपेयी का हो सकता है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि डॉ. बाजपेयी को राज्यसभा भेजने पर विचार किया जा रहा है. डॉ. बाजपेयी पार्टी के बड़े चेहरा तो हैं ही, उन्हें बढ़ाने से ब्राह्मणों में इसका असर पर भी पड़ेगा. बाजपेयी के कार्यकाल में ही 2014 के लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें भाजपा ने जीत के अपने सारे रिकॉर्ड ध्वस्त किए थे.

नौंवी सीट पर भी भाजपा की लगभग जीत तय
जानकारों का मानना है कि भाजपा ने यदि नौ सीटों पर नामांकन किया तो सभी नौ सीटें उसके खाते में जाएंगी. विधायकों की संख्या के आधार पर आठ सीटें भाजपा की पक्की हैं. नौंवी भी लगभग पक्की है. सभी विपक्षी दलों के एकजुट होने की स्थिति में ही भाजपा को नौवीं सीट पर रोका जा सकता है. सबका एक हो पाना इतना आसान नहीं है. कांग्रेस के रायबरेली से जुड़े दो विधायकों की पहले ही भाजपा से नजदीकियां किसी से छुपी नहीं हैं. सपा के भी कुछ ऐसे सदस्य हैं, जो खुलकर बीजेपी का विरोध करते नहीं दिख रहे. बसपा का कोई रुख अभी तक सामने आया नहीं है. ऐसे में एक सीट छोड़ बाकी सभी पर भाजपा की जीत लगभग पक्की मानी जा रही है.

हालांकि कांग्रेस का स्पष्ट कहना है कि वह राज्यसभा के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लड़ने वाले मजबूत प्रत्याशी के समर्थन में उसके सदस्य मतदान करेंगे. कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता बृजेन्द्र सिंह ने कहा कि को कांग्रेस के सभी सदस्य बीजेपी के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले प्रत्याशियों के पक्ष में मतदान करेंगे.

वहीं भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता हीरो वाजपेयी कहते हैं उनकी पार्टी सभी को साथ लेकर चलती है. हम जाति आधारित राजनीति नहीं करते. रही बात राज्यसभा के लिए नाम घोषित करने की तो यह कार्य पार्टी नेतृत्व सामूहिक रूप से निर्णय लेता है.

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