लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय में बीते तीन दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों को लेकर विश्वविद्यालय और सम्बद्ध डिग्री कॉलेज के शिक्षक संघ आमने-सामने आ गया है. लखनऊ विश्वविद्यालय व सम्बद्ध डिग्री कॉलेज शिक्षक संघ (लुआक्टा) ने छात्रों की भूख हड़ताल को समाप्त करने के लिए कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल से हस्तक्षेप करने की मांग की. वहीं देर रात को लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (लूटा) ने इस पूरे मामले पर छात्रों को उपद्रवी बताते हुए उनके भूख हड़ताल को ही गलत ठहरा दिया. वहीं दूसरी और भूख हड़ताल पर बैठे 11 छात्रों में से एक छात्र जिसकी शुक्रवार दोपहर को तबीयत बिगड़ने पर बलरामपुर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था. जिसे उसके साथी बलरामपुर हॉस्पिटल से वापस विश्वविद्यालय परिसर ले आए थे. शुक्रवार देर रात उसकी तबीयत अचानक दोबारा से बिगड़ने पर उसे बलरामपुर हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया, जहां पर उसकी हालत काफी खराब बताई जा रही है.
हक की आवाज उठाना छात्रों का हक : मनोज पांडे ने घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि अपने हक की आवाज उठाने के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन को तीन लाख छात्रों में से केवल 11 छात्र ही कम उपस्थिति के कारण परीक्षा से वंचित किए गए हैं. यह भी उल्लेखनीय है कि विश्वविद्यालय में शिक्षकों की बायोमीट्रिक उपस्थिति है, लेकिन छात्रों की नहीं, प्रदेश में कई विश्वविद्यालय में छात्र संघ चुनाव भी हो रहे हैं. वर्तमान में छात्र परीक्षा से वंचित किए जाने के कारण विगत कई दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं. विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र में छात्र हित की आवाज उठाना क्या इतना अपराध है कि उन्हें शिक्षा के अधिकार से भी वंचित कर दिया जाए. इतना ही नहीं कुलपति छात्रों से वार्ता भी नहीं कर रहे हैं. छात्रों का जीवन संकट में है तथा किसी अनहोनी घटना के घटित होने पर सब समाज कभी भी अपने को माफ नहीं कर पाएगा. आपके हस्तक्षेप से ही वर्तमान समस्या का समाधान संभव है.
विश्वविद्यालय के पक्ष में लूटा ने जारी किया आंकड़ा : एक तरफ जहां इस पूरे मामले पर लुआक्टा राजपाल को पत्र लिखकर हस्तक्षेप करने की मांग की है. वहीं दूसरी तरफ लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ इस पूरे मामले पर शुक्रवार देर रात कूद पड़ा. लखनऊ विश्वविद्यालय शिक्षक संघ ने भूख हड़ताल पर बैठे छात्रों को उपद्रवी बताते हुए विश्वविद्यालय के पक्ष में पत्र जारी करते हुए परीक्षा से रोके गए छात्रों का डाटा भी सार्वजनिक किया. लूटा ने अपने पत्र में लिखा कि कुछ दिनों से कुछ उपद्रवी छात्र बिना किसी वाजिब कारण के धरने पर बैठे हैं और विश्वविद्यालय हैं प्रशासन द्वारा बार-बार समझाने के बावजूद भी जबरदस्ती अपनी नियम विरुद्ध एवं अनुचित मांग पर हठधर्मिता दिखाते हुए धरना दे रहे हैं एवं अपनी मांगों को मनवाने के लिए अमादा है.
लूटा ने छात्रों का उपद्रवी बताया : लूटा ने अपने पत्र में लिखा कि लखनऊ विश्वविद्यालय ने कुलपति के नेतृत्व में विगत 4 वर्षों में कोरोना जैसी आपदा के बावजूद भी नैक ग्रेडिंग में ए डबल प्लस की ग्रेडिंग प्राप्त करने वाला पहला विश्वविद्यालय बना. विश्वविद्यालय में पठन-पाठन और शोध का कार्य अपने उत्कृष्ट रूप में चल रहा है. इसका परिणाम है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने बीते महीने विश्वविद्यालय को ग्रेड ए विश्वविद्यालय का दर्जा दिया है. लूटा ने अपने पत्र में आगे लिखा कि लुआक्टा की तरफ से उपद्रवी छात्रों के समर्थन में एक पत्र प्रेषित किया गया है. इस पत्र में 11 छात्रों के परीक्षा से वंचित करने की बात कही गई जो की एक गलत एवं भ्रामक तत्व है. लूटा ने अपने पत्र में लिखा है कि विश्वविद्यालय में 99 छात्रों को विभिन्न कारणों से परीक्षा से रोका गया है. पांच जिलों में संचालित डिग्री कॉलेज में कुल 5000 छात्रों को अलग-अलग कारणों से परीक्षा में शामिल नहीं होने दिया जा रहा है. इनमें से केवल 11 छात्र ही क्यों हठधर्मिता करके धरने पर बैठे हैं. यह विचार करने का प्रश्न है.
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