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शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का प्रदर्शन, सरकार और विभागीय अधिकारियों से जतायी नाराजगी

राज्य में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने विभागीय अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कर्मचारी राजधानी के निशातगंज स्थित बेसिक शिक्षा निदेशालय पर धरने पर बैठ गये.

शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का प्रदर्शन
शिक्षा विभाग के कर्मचारियों का प्रदर्शन
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Published : Nov 22, 2021, 3:52 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने विभागीय अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कर्मचारी सोमवार को लखनऊ के निशातगंज स्थित बेसिक शिक्षा निदेशालय पर धरने पर बैठ गये. उत्तर प्रदेश एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल ऑफिसर्स एसोसिएशन के बैनर तले यह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.

कर्मचारी पदोन्नति समेत अन्य मांगों को लेकर काफी समय से आंदोलनरत हैं. कर्मचारियों का कहना है कि 4 साल बाद भी उन्हें पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पाया है. बीते दिनों शिक्षा विभाग के अधिकारियों की तरफ से आश्वासन दिया गया था, जिसके बाद 15 नवंबर को प्रस्तावित अनशन कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था. लेकिन, उसके बाद भी अभी तक मांग पूरी ना होने के कारण सोमवार से कर्मचारी दोबारा धरने पर बैठ गये.



संगठन के जिलाध्यक्ष लोकेश गुप्ता ने बताया कि मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की ओर से 1 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया गया. इसमें प्रशासकीय/अधिष्ठानीय माध्यम से भरी जाने वाली समस्त रिक्तियों का नियमानुसार आंकलन कर पदोन्नति की कार्यवाही 31 अक्टूबर तक पूरा करने के लिए कहा गया था. बावजूद पदोन्नति कोटे के अन्तर्गत रिक्त प्रधान प्रशासनिक अधिकारी के 62 पदों, प्रधान सहायक के 200 पदों, वैयक्तिक सहायक ग्रेड -1 के 48 पदों और वैयक्तिक 2021-22 तक पदोन्नति के सहायक ग्रेड -2 के 37 पदों पर पदोन्नति के आदेश जारी नहीं किया गया. साथ ही वरिष्ठ सहायक से प्रधान सहायक के पद पर 05.02.2019 में पदोन्नति प्राप्त प्रधान सहायकों का दो वर्ष से अधिक का समय व्यतीत होने के बाद भी पदस्थापना आदेश जारी नहीं किया गया. इसको लेकर भी काफी नाराजगी है.

जिलाध्यक्ष ने बताया कि बीते करीब 2 साल से इन मुद्दों को लेकर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है. बावजूद, अभी तक अधिकारियों के स्तर पर काम ही नहीं शुरू किया गया. उन्होंने बताया कि प्रदेश के दूसरे जिलों में भी इस तरह के धरने आयोजित किए जा रहे हैं.



इसके अलावा 3 महीने से अधिक समय से निलम्बित कर्मचारियों, जिन्हें अब तक आरोप पत्र नहीं दिया गया है, को जांच की कार्यवाही गतिमान रखते हुए अद्यतन बहाल न किये जाने से भी नाराजगी है. इसके अलावा निजी व्यय पर स्थानान्तरण चाहने वाले कर्मचारियों के स्थानांतरण से सरकार के ऊपर कोई व्यय नहीं पड़ने वाला है. इनका स्थानान्तरण न कर पांच साल के ठहराव को आधार बनाकर ट्रांसफर किया जा रहा है. कर्मचारियों ने इन बातों को लेकर भी नाराजगी है.

इसे भी पढ़ें - अखिलेश यादव से मिले 69 हजार शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी, रखी ये बड़ी मांग

लखनऊ : उत्तर प्रदेश में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने विभागीय अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. कर्मचारी सोमवार को लखनऊ के निशातगंज स्थित बेसिक शिक्षा निदेशालय पर धरने पर बैठ गये. उत्तर प्रदेश एजुकेशनल मिनिस्ट्रीयल ऑफिसर्स एसोसिएशन के बैनर तले यह विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है.

कर्मचारी पदोन्नति समेत अन्य मांगों को लेकर काफी समय से आंदोलनरत हैं. कर्मचारियों का कहना है कि 4 साल बाद भी उन्हें पदोन्नति का लाभ नहीं मिल पाया है. बीते दिनों शिक्षा विभाग के अधिकारियों की तरफ से आश्वासन दिया गया था, जिसके बाद 15 नवंबर को प्रस्तावित अनशन कार्यक्रम को स्थगित कर दिया गया था. लेकिन, उसके बाद भी अभी तक मांग पूरी ना होने के कारण सोमवार से कर्मचारी दोबारा धरने पर बैठ गये.



संगठन के जिलाध्यक्ष लोकेश गुप्ता ने बताया कि मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन की ओर से 1 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया गया. इसमें प्रशासकीय/अधिष्ठानीय माध्यम से भरी जाने वाली समस्त रिक्तियों का नियमानुसार आंकलन कर पदोन्नति की कार्यवाही 31 अक्टूबर तक पूरा करने के लिए कहा गया था. बावजूद पदोन्नति कोटे के अन्तर्गत रिक्त प्रधान प्रशासनिक अधिकारी के 62 पदों, प्रधान सहायक के 200 पदों, वैयक्तिक सहायक ग्रेड -1 के 48 पदों और वैयक्तिक 2021-22 तक पदोन्नति के सहायक ग्रेड -2 के 37 पदों पर पदोन्नति के आदेश जारी नहीं किया गया. साथ ही वरिष्ठ सहायक से प्रधान सहायक के पद पर 05.02.2019 में पदोन्नति प्राप्त प्रधान सहायकों का दो वर्ष से अधिक का समय व्यतीत होने के बाद भी पदस्थापना आदेश जारी नहीं किया गया. इसको लेकर भी काफी नाराजगी है.

जिलाध्यक्ष ने बताया कि बीते करीब 2 साल से इन मुद्दों को लेकर धरना-प्रदर्शन किया जा रहा है. बावजूद, अभी तक अधिकारियों के स्तर पर काम ही नहीं शुरू किया गया. उन्होंने बताया कि प्रदेश के दूसरे जिलों में भी इस तरह के धरने आयोजित किए जा रहे हैं.



इसके अलावा 3 महीने से अधिक समय से निलम्बित कर्मचारियों, जिन्हें अब तक आरोप पत्र नहीं दिया गया है, को जांच की कार्यवाही गतिमान रखते हुए अद्यतन बहाल न किये जाने से भी नाराजगी है. इसके अलावा निजी व्यय पर स्थानान्तरण चाहने वाले कर्मचारियों के स्थानांतरण से सरकार के ऊपर कोई व्यय नहीं पड़ने वाला है. इनका स्थानान्तरण न कर पांच साल के ठहराव को आधार बनाकर ट्रांसफर किया जा रहा है. कर्मचारियों ने इन बातों को लेकर भी नाराजगी है.

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