ETV Bharat / state

नवाबों के शहर में ई रिक्शा बने नासूर, जनता बोली-इस मुसीबत से कब राहत मिलेगी

नवाबों के शहर में इन दिनों ई रिक्शा की धमाचौकड़ी शहरियों के लिए नासूर बन चुकी हैं. लखनऊ वालों का कहना है कि इस मुसीबत से अब निजात मिलनी ही चाहिए. स्थानीय प्रशासन को जाम से शहर को बचाने के लिए इन पर कार्रवाई करनी चाहिए. पेश है यह खास रिपोर्ट.

लखनऊ. शहर के लिए नासूर बन रहे हैं ई-रिक्शा
लखनऊ. शहर के लिए नासूर बन रहे हैं ई-रिक्शा
author img

By

Published : May 1, 2022, 6:45 PM IST

लखनऊः शहर में बढ़ते प्रदूषण और बढ़ती आबादी को ध्यान में रखकर सरकार ने डीजल और पेट्रोल से संचालित वाहनों को हटाकर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया. उन रूटों पर ई-रिक्शा के संचालन की अनुमति दी थी जिन पर सीधे तौर पर यातायात साधनों का अभाव था. ई- रिक्शा उन रूटों से सवारियों को मुख्य मार्ग तक लाकर सुविधा प्रदान करने के लिए संचालित किए जाने थे, लेकिन धीरे-धीरे यह ई-रिक्शा आउटर रूट से निकलकर मुख्य मार्गो ही नहीं हाईवे तक दौड़ने लगे. इससे शहर के अंदर भीषण जाम लगने लगा. यही नहीं यही रिक्शा दुर्घटना का भी बड़ा कारण बनने लगे हैं. अब सिर्फ राजधानी लखनऊ के अंदर ही पंजीकृत लगभग 24000 से ऊपर ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं, वहीं अवैध तरीके से जो ई-रिक्शा चल रहे हैं उनकी संख्या मिलाकर तकरीबन 50 हजार ई-रिक्शा शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं. जो आम जनता के लिए मुसीबत का कारण बन रहे हैं.




साल 2016 में जब इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ तो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि छह साल के अंदर ही शहर की सड़कों पर अन्य वाहनों की तुलना में ई-रिक्शे ही नजर आएंगे. यही ई रिक्शा जाम के साथ ही दुर्घटना का भी कारण बनेंगे. शुरुआत में जब ई-रिक्शा का संचालन शुरू हुआ तो इन्हें लिंक रूट के लिए परमिट दिया गया था. लखनऊ में लगभग 25 रूट निर्धारित किए गए थे जिन पर ई-रिक्शा का संचालन होना था लेकिन सरकार ने पालिसी में तब्दीली करते हुए इन्हें परमिट मुक्त कर दिया. सरकार का यही कदम शहरवासियों के लिए मुसीबत बन गया जबकि ई-रिक्शा चालकों के लिए वरदान साबित होने लगा. जब परमिट हटा तो लोगों ने थोक के भाव में ई-रिक्शा खरीदना शुरू कर दिया. जब ई रिक्शा शहरवासियों के लिए समस्या का कारण बनने लगे तो सरकार ने इन्हें शहर के अंदर कई रूटों पर प्रतिबंधित कर दिया. इन रूटों पर अगर ई-रिक्शा संचालित होते पाए जाते हैं तो इन पर चालान की कार्रवाई की जाती, लेकिन अधिकारियों की अनदेखी के चलते जिन रूटों पर ई रिक्शा का संचालन प्रतिबंधित है उन रूटों पर भी धड़ल्ले से इनका संचालन हो रहा है और किसी तरह की कोई कार्रवाई भी अधिकारियों की तरफ से नहीं की जा रही है.

लखनऊ के लिए नासूर बने ई रिक्शा.
ई-रिक्शा के चलते जाम की स्थिति ऐसी हो जाती है कि सुबह के समय बच्चों को स्कूल या फिर कर्मचारियों और अधिकारियों को दफ्तर तक पहुंचना है तो अतिरिक्त समय लेकर ही घर से निकलें तभी सही समय पर मंजिल तक पहुंच पाना संभव हो पाता है. अगर थोड़ी सी देरी होती है तो यही रिक्शा जाम का बड़ा कारण बनते हैं और दफ्तर या स्कूल तक पहुंचने में बाधक साबित हो रहे हैं. इतना ही नहीं चारबाग रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन के सामने, कैसरबाग बस स्टेशन के सामने, आलमबाग बस स्टेशन के सामने ई रिक्शा चालकों का इतना आतंक है कि परिवहन निगम के कर्मचारी भी इनसे त्रस्त हैं. राजधानी की सड़कों पर संचालित ई-रिक्शा जाम का तो कारण बनते ही हैं दुर्घटना की भी बड़ी वजह यही ई-रिक्शा हैं. शायद ही कोई ऐसा दिन जाता हो जब ई रिक्शा के चलते शहर में दुर्घटनाएं न होती हों.



इन रूटों पर प्रतिबंधित हैं ई-रिक्शा
अमौसी से बारा बिरवा, हजरतगंज से बर्लिगटन चौराहा बाया रॉयल होटल, बंदरियाबाग चौराहा से पॉलिटेक्निक चौराहा, बंदरियाबाग चौराहा से हजरतगंज चौराहा, हजरतगंज चौराहा से सिकंदराबाद चौराहा, कमता पथ तिराहा से शहीद पथ मोड़ कानपुर रोड शहीद पथ तक, हजरतगंज मेफेयर परिवर्तन चौक सुभाष मार्ग, अहिमामऊ से अर्जुनगंज बाजार से रजमन चौकी से कटाई पुल से लाल बत्ती चौराहा तक, पिकअप पुल ढाल से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान विजयीपुर अंडरपास तक, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान से गोमती नगर रेलवे स्टेशन तिराहे तक, हजरतगंज से परिवर्तन चौक बाया अलका मेफेयर बाल्मीकि तिराहा प्रेस क्लब, हिंदी संस्थान केडी सिंह बाबू स्टेडियम तक.




शहरवासियों ने उठाई ये मांग
ई-रिक्शा के आतंक से परेशान रजनीश मिश्रा का कहना है कि ई-रिक्शा बहुत बड़ी बाधा हैं. हर तरफ ई-रिक्शा ही नजर आते हैं इनके लिए कोई पॉलिसी क्यों नहीं बनती जाम का सबसे बड़ा कारण शहर में ई-रिक्शा ही हैं. जिन रूटों पर इन वाहनों का संचालन पूरी तरह प्रतिबंधित है वहां भी आखिर कैसे दौड़ रहे हैं? क्या अधिकारियों को यह नजर नहीं आ रहा है? बड़ी संख्या में दौड़ रहे ई- रिक्शा जाम और दुर्घटना दोनों का ही कारण हैं. इन पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए.

स्थानीय निवासी रेखा भी ई-रिक्शा से लगने वाले जाम से पीड़ित हैं उनका भी कहना है कि जब हम दफ्तर जाते हैं तो सुबह के समय हर चौराहे पर ई-रिक्शा की वजह से जाम ही मिलता है इसे कभी-कभी तो दफ्तर पहुंचने में देर तक हो जाती है ई रिक्शा पर जरूर लगाम लगानी होगी इनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है.

सुनील मिश्रा भी शहर में लगने वाले जाम की वजह ई रिक्शा को ही मानते हैं. उनका भी कहना है कि मैं रोजाना दफ्तर जाता हूं और इन्हीं रिक्शा की वजह से देर भी हो जाती है. लगातार इनकी संख्या बढ़ रही है जिसके चलते शहरवासियों को जाम का तो सामना करना ही पड़ रहा है दुर्घटना का भी शिकार होना पड़ रहा है. ई-रिक्शा पर तत्काल एक्शन होना चाहिए. जिन रूटों पर इनका संचालन प्रतिबंधित है उन पर इन्हें रोकना परिवहन विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

लखनऊः शहर में बढ़ते प्रदूषण और बढ़ती आबादी को ध्यान में रखकर सरकार ने डीजल और पेट्रोल से संचालित वाहनों को हटाकर इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा दिया. उन रूटों पर ई-रिक्शा के संचालन की अनुमति दी थी जिन पर सीधे तौर पर यातायात साधनों का अभाव था. ई- रिक्शा उन रूटों से सवारियों को मुख्य मार्ग तक लाकर सुविधा प्रदान करने के लिए संचालित किए जाने थे, लेकिन धीरे-धीरे यह ई-रिक्शा आउटर रूट से निकलकर मुख्य मार्गो ही नहीं हाईवे तक दौड़ने लगे. इससे शहर के अंदर भीषण जाम लगने लगा. यही नहीं यही रिक्शा दुर्घटना का भी बड़ा कारण बनने लगे हैं. अब सिर्फ राजधानी लखनऊ के अंदर ही पंजीकृत लगभग 24000 से ऊपर ई-रिक्शा दौड़ रहे हैं, वहीं अवैध तरीके से जो ई-रिक्शा चल रहे हैं उनकी संख्या मिलाकर तकरीबन 50 हजार ई-रिक्शा शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं. जो आम जनता के लिए मुसीबत का कारण बन रहे हैं.




साल 2016 में जब इलेक्ट्रिक वाहन के रूप में ई-रिक्शा का रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ तो किसी ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि छह साल के अंदर ही शहर की सड़कों पर अन्य वाहनों की तुलना में ई-रिक्शे ही नजर आएंगे. यही ई रिक्शा जाम के साथ ही दुर्घटना का भी कारण बनेंगे. शुरुआत में जब ई-रिक्शा का संचालन शुरू हुआ तो इन्हें लिंक रूट के लिए परमिट दिया गया था. लखनऊ में लगभग 25 रूट निर्धारित किए गए थे जिन पर ई-रिक्शा का संचालन होना था लेकिन सरकार ने पालिसी में तब्दीली करते हुए इन्हें परमिट मुक्त कर दिया. सरकार का यही कदम शहरवासियों के लिए मुसीबत बन गया जबकि ई-रिक्शा चालकों के लिए वरदान साबित होने लगा. जब परमिट हटा तो लोगों ने थोक के भाव में ई-रिक्शा खरीदना शुरू कर दिया. जब ई रिक्शा शहरवासियों के लिए समस्या का कारण बनने लगे तो सरकार ने इन्हें शहर के अंदर कई रूटों पर प्रतिबंधित कर दिया. इन रूटों पर अगर ई-रिक्शा संचालित होते पाए जाते हैं तो इन पर चालान की कार्रवाई की जाती, लेकिन अधिकारियों की अनदेखी के चलते जिन रूटों पर ई रिक्शा का संचालन प्रतिबंधित है उन रूटों पर भी धड़ल्ले से इनका संचालन हो रहा है और किसी तरह की कोई कार्रवाई भी अधिकारियों की तरफ से नहीं की जा रही है.

लखनऊ के लिए नासूर बने ई रिक्शा.
ई-रिक्शा के चलते जाम की स्थिति ऐसी हो जाती है कि सुबह के समय बच्चों को स्कूल या फिर कर्मचारियों और अधिकारियों को दफ्तर तक पहुंचना है तो अतिरिक्त समय लेकर ही घर से निकलें तभी सही समय पर मंजिल तक पहुंच पाना संभव हो पाता है. अगर थोड़ी सी देरी होती है तो यही रिक्शा जाम का बड़ा कारण बनते हैं और दफ्तर या स्कूल तक पहुंचने में बाधक साबित हो रहे हैं. इतना ही नहीं चारबाग रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन के सामने, कैसरबाग बस स्टेशन के सामने, आलमबाग बस स्टेशन के सामने ई रिक्शा चालकों का इतना आतंक है कि परिवहन निगम के कर्मचारी भी इनसे त्रस्त हैं. राजधानी की सड़कों पर संचालित ई-रिक्शा जाम का तो कारण बनते ही हैं दुर्घटना की भी बड़ी वजह यही ई-रिक्शा हैं. शायद ही कोई ऐसा दिन जाता हो जब ई रिक्शा के चलते शहर में दुर्घटनाएं न होती हों.



इन रूटों पर प्रतिबंधित हैं ई-रिक्शा
अमौसी से बारा बिरवा, हजरतगंज से बर्लिगटन चौराहा बाया रॉयल होटल, बंदरियाबाग चौराहा से पॉलिटेक्निक चौराहा, बंदरियाबाग चौराहा से हजरतगंज चौराहा, हजरतगंज चौराहा से सिकंदराबाद चौराहा, कमता पथ तिराहा से शहीद पथ मोड़ कानपुर रोड शहीद पथ तक, हजरतगंज मेफेयर परिवर्तन चौक सुभाष मार्ग, अहिमामऊ से अर्जुनगंज बाजार से रजमन चौकी से कटाई पुल से लाल बत्ती चौराहा तक, पिकअप पुल ढाल से इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान विजयीपुर अंडरपास तक, इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान से गोमती नगर रेलवे स्टेशन तिराहे तक, हजरतगंज से परिवर्तन चौक बाया अलका मेफेयर बाल्मीकि तिराहा प्रेस क्लब, हिंदी संस्थान केडी सिंह बाबू स्टेडियम तक.




शहरवासियों ने उठाई ये मांग
ई-रिक्शा के आतंक से परेशान रजनीश मिश्रा का कहना है कि ई-रिक्शा बहुत बड़ी बाधा हैं. हर तरफ ई-रिक्शा ही नजर आते हैं इनके लिए कोई पॉलिसी क्यों नहीं बनती जाम का सबसे बड़ा कारण शहर में ई-रिक्शा ही हैं. जिन रूटों पर इन वाहनों का संचालन पूरी तरह प्रतिबंधित है वहां भी आखिर कैसे दौड़ रहे हैं? क्या अधिकारियों को यह नजर नहीं आ रहा है? बड़ी संख्या में दौड़ रहे ई- रिक्शा जाम और दुर्घटना दोनों का ही कारण हैं. इन पर तत्काल कार्रवाई होनी चाहिए.

स्थानीय निवासी रेखा भी ई-रिक्शा से लगने वाले जाम से पीड़ित हैं उनका भी कहना है कि जब हम दफ्तर जाते हैं तो सुबह के समय हर चौराहे पर ई-रिक्शा की वजह से जाम ही मिलता है इसे कभी-कभी तो दफ्तर पहुंचने में देर तक हो जाती है ई रिक्शा पर जरूर लगाम लगानी होगी इनकी संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है.

सुनील मिश्रा भी शहर में लगने वाले जाम की वजह ई रिक्शा को ही मानते हैं. उनका भी कहना है कि मैं रोजाना दफ्तर जाता हूं और इन्हीं रिक्शा की वजह से देर भी हो जाती है. लगातार इनकी संख्या बढ़ रही है जिसके चलते शहरवासियों को जाम का तो सामना करना ही पड़ रहा है दुर्घटना का भी शिकार होना पड़ रहा है. ई-रिक्शा पर तत्काल एक्शन होना चाहिए. जिन रूटों पर इनका संचालन प्रतिबंधित है उन पर इन्हें रोकना परिवहन विभाग के अधिकारियों की जिम्मेदारी है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.