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लखनऊ में शुरू हुई दुर्गा पूजा, नहीं होंगे कोई सांस्कृतिक कार्यक्रम - कोविड प्रोटोकॉल का पालन करते हुए शुरू हुई दुर्गा पूजा

यूपी की राजधानी लखनऊ में भी कोरोना प्रोटोकाल को ध्यान में रखते हुए दुर्गा पूजा की शुरुआत हो गई है. कोविड-19 गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए इस बार दुर्गा पूजा में कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है.

कोरोना के बीच लखनऊ में शुरू हुई दुर्गा पूजा.
कोरोना के बीच लखनऊ में शुरू हुई दुर्गा पूजा.
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Published : Oct 22, 2020, 9:18 PM IST

लखनऊ: गुरुवार से देश के कई हिस्सों में दुर्गा पूजा शुरू हो गई है. कोरोना को ध्यान में रखते हुए राजधानी में भी दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई है. नियम और शर्तों को देखते हुए इस बार दुर्गा पूजा में कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है. बता दें कि राजधानी के राजाजीपुरम, आलमबाग, आशियाना, इंदिरा नगर, गोमती नगर समेत कई इलाकों में दुर्गा पूजा बहुत धूमधाम से मनाई जाती है. वहीं गोमती नगर विस्तार में होने वाली राज राजेश्वरी भगवती श्री श्री दुर्गा मां की पूजा इस वर्ष कोरोना के कारण कोलकाता से ही कराई जा रही है. लखनऊ के भक्त वर्चुअल माध्यम से इस पूजा में शामिल हो रहे हैं. यह पूजा गुरुवार को सुबह से ही शुरू हुई है, जो 25 अक्टूबर तक चलेगी.

कोरोना के बीच लखनऊ में शुरू हुई दुर्गा पूजा.
कलश पूजन के साथ मां की स्थापनाराजाजीपुरम ई ब्लॉक स्थित गौरी शंकर श्रीवास्तव पार्क में बने दुर्गा पूजा पंडाल में देर शाम मां के बोधन से शुरुआत हुई. इसका आयोजन पुष्पांजलि सेवा समिति की ओर से किया गया. फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से पंडाल को सजाया गया था. देर शाम भक्तों ने लोबान से मां की आरती उतारी. वहीं न्यू सुभाष दुर्गा पूजा कमेटी की ओर से कलश पूजन के साथ मां की स्थापना की गई.मां दुर्गा के नव स्वरूपों की होती है पूजादुर्गा पूजा बंगाल, बिहार समेत देश के कई देशों में मनाई जाती है. षष्ठी तिथि से दुर्गा पूजा का शुभ आरंभ होता है और दशमी के दिन समापन होता है. नवरात्रि के समय में मां दुर्गा के ही नव स्वरूपों की पूजा की जाती है. दुर्गा पूजा के प्रारंभ से मां दुर्गा के साथ माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. पूजा के प्रथम दिन मां की मूर्ति स्थापित की जाती है, पांचवें दिन उसका विसर्जन किया जाता है.35 साल से मनाई जा रही है दुर्गा पूजासमिति के सदस्य प्रेम तिवारी ने बताया कि 35 साल से दुर्गा पूजा मनाई जा रही है. इसमें काफी सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे जैसे कि डांस कंपटीशन, मेहंदी, आर्ट कंपटीशन और डांडिया नाइट होते थे. इसमें काफी भीड़ होती थी, लेकिन कोरोना काल के चलते इस बार किसी भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए लोग कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं. 25 अक्टूबर को होगा विसर्जनपुष्पांजलि सेवा समिति के महासचिव स्वपन रंजन मुखर्जी ने बताया कि 23 अक्टूबर को महाषष्ठी पूजा एवं सायंकाल देवी का आमंत्रण, बोधन एवं अधिवास होगा. 24 अक्टूबर को नव पत्रिका प्रवेश, स्थापन, सप्तमी कल्प आरंभ एवं पूजा प्रशस्ति के साथ-साथ महा अष्टमी पूजा होगी. शाम 5 बजे से संधि पूजा, महानवमी पूजा प्रशस्ता, वहीं 25 अक्टूबर को 10:00 सभी पूजा एवं सिंदूरदान, देवी की शोभायात्रा व विसर्जन होगा.

लखनऊ: गुरुवार से देश के कई हिस्सों में दुर्गा पूजा शुरू हो गई है. कोरोना को ध्यान में रखते हुए राजधानी में भी दुर्गा पूजा की शुरुआत हुई है. नियम और शर्तों को देखते हुए इस बार दुर्गा पूजा में कोई भी सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है. बता दें कि राजधानी के राजाजीपुरम, आलमबाग, आशियाना, इंदिरा नगर, गोमती नगर समेत कई इलाकों में दुर्गा पूजा बहुत धूमधाम से मनाई जाती है. वहीं गोमती नगर विस्तार में होने वाली राज राजेश्वरी भगवती श्री श्री दुर्गा मां की पूजा इस वर्ष कोरोना के कारण कोलकाता से ही कराई जा रही है. लखनऊ के भक्त वर्चुअल माध्यम से इस पूजा में शामिल हो रहे हैं. यह पूजा गुरुवार को सुबह से ही शुरू हुई है, जो 25 अक्टूबर तक चलेगी.

कोरोना के बीच लखनऊ में शुरू हुई दुर्गा पूजा.
कलश पूजन के साथ मां की स्थापनाराजाजीपुरम ई ब्लॉक स्थित गौरी शंकर श्रीवास्तव पार्क में बने दुर्गा पूजा पंडाल में देर शाम मां के बोधन से शुरुआत हुई. इसका आयोजन पुष्पांजलि सेवा समिति की ओर से किया गया. फूलों और रंग-बिरंगी रोशनी से पंडाल को सजाया गया था. देर शाम भक्तों ने लोबान से मां की आरती उतारी. वहीं न्यू सुभाष दुर्गा पूजा कमेटी की ओर से कलश पूजन के साथ मां की स्थापना की गई.मां दुर्गा के नव स्वरूपों की होती है पूजादुर्गा पूजा बंगाल, बिहार समेत देश के कई देशों में मनाई जाती है. षष्ठी तिथि से दुर्गा पूजा का शुभ आरंभ होता है और दशमी के दिन समापन होता है. नवरात्रि के समय में मां दुर्गा के ही नव स्वरूपों की पूजा की जाती है. दुर्गा पूजा के प्रारंभ से मां दुर्गा के साथ माता लक्ष्मी, माता सरस्वती, भगवान गणेश और भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है. पूजा के प्रथम दिन मां की मूर्ति स्थापित की जाती है, पांचवें दिन उसका विसर्जन किया जाता है.35 साल से मनाई जा रही है दुर्गा पूजासमिति के सदस्य प्रेम तिवारी ने बताया कि 35 साल से दुर्गा पूजा मनाई जा रही है. इसमें काफी सांस्कृतिक कार्यक्रम होते थे जैसे कि डांस कंपटीशन, मेहंदी, आर्ट कंपटीशन और डांडिया नाइट होते थे. इसमें काफी भीड़ होती थी, लेकिन कोरोना काल के चलते इस बार किसी भी कार्यक्रम का आयोजन नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि कोरोना गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए लोग कार्यक्रम का आयोजन कर रहे हैं. 25 अक्टूबर को होगा विसर्जनपुष्पांजलि सेवा समिति के महासचिव स्वपन रंजन मुखर्जी ने बताया कि 23 अक्टूबर को महाषष्ठी पूजा एवं सायंकाल देवी का आमंत्रण, बोधन एवं अधिवास होगा. 24 अक्टूबर को नव पत्रिका प्रवेश, स्थापन, सप्तमी कल्प आरंभ एवं पूजा प्रशस्ति के साथ-साथ महा अष्टमी पूजा होगी. शाम 5 बजे से संधि पूजा, महानवमी पूजा प्रशस्ता, वहीं 25 अक्टूबर को 10:00 सभी पूजा एवं सिंदूरदान, देवी की शोभायात्रा व विसर्जन होगा.
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