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नई दिल्ली: DTC कर्मचारियों को केजरीवाल सरकार का तोहफा, नए साल में मिलेगा यात्रा भत्ता

दिल्ली सरकार ने डीटीसी कर्मचारियों को नए साल का तोहफा दिया है. अब DTC कर्मचारियों को 4,000 रुपये प्रतिमाह यात्रा भत्ता मिलेगा. इस फैसले से करीब 8,000 कर्मचारियों को लाभ मिलेगा.

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DTC कर्मचारियों को केजरीवाल सरकार का तोहफा.
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Published : Dec 24, 2019, 1:45 PM IST

नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने डीटीसी कर्मचारियों को नए साल का तोहफा दिया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि डीटीसी के जितने भी नियमित कर्मचारी हैं, उनको अभी तक यात्रा भत्ता नहीं मिलता था, लेकिन उन्हें अब 4,000 रुपये प्रतिमाह यात्रा भत्ता मिलेगा.

DTC कर्मचारियों को केजरीवाल सरकार का तोहफा.

8,000 कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
दिल्ली सरकार के इस फैसले से करीब 8,000 कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. वहीं डीटीसी में अनुबंधित कर्मचारियों ने भी इस सुविधा को दिए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि यात्रा भत्ता मिलना अच्छी बात है. मगर अनुबंधित कर्मचारियों को भी यह सुविधा दी जानी चाहिए, क्योंकि इन कर्मचारियों का वेतन भी बहुत कम है. डीटीसी में करीब 14,000 अनुबंधित कर्मचारी कार्यरत हैं.

'4000 बसें भी डीटीसी के बेड़े में नहीं हैं'
वर्ष 2015-16 से लेकर 2018-19 में हर साल 20 करोड़ यात्री कम हो गए हैं. लो फ्लोर की बसें 1,100 कम हो गई हैं. पहले जहां 5,000 बसें डीटीसी के बेड़े में थी. आज इनकी संख्या घटकर 3,900 रह गई हैं. 4.5 सालों में दिल्ली की आबादी में बढ़ोतरी हुई है. आबादी का फैलाव हुआ है, लेकिन बसों के रूट घट गए और यात्रियों को सुविधा नहीं मिली तो यात्रियों ने भी डीटीसी की बसों से दूरी बना ली.

बता दें कि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बेहतर कर निजी वाहनों के इस्तेमाल कम करने की बात करने वाली दिल्ली सरकार पिछले 4.5 सालों में डीटीसी के बेड़े में एक भी नई बसें शामिल नहीं कर पाई है. यात्रियों की संख्या के लिहाज से आज बसों की संख्या 11,000 होनी चाहिए थी. आज भी 4,000 बसें भी डीटीसी के बेड़े में नहीं है.

नई दिल्ली: केजरीवाल सरकार ने डीटीसी कर्मचारियों को नए साल का तोहफा दिया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि डीटीसी के जितने भी नियमित कर्मचारी हैं, उनको अभी तक यात्रा भत्ता नहीं मिलता था, लेकिन उन्हें अब 4,000 रुपये प्रतिमाह यात्रा भत्ता मिलेगा.

DTC कर्मचारियों को केजरीवाल सरकार का तोहफा.

8,000 कर्मचारियों को मिलेगा लाभ
दिल्ली सरकार के इस फैसले से करीब 8,000 कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. वहीं डीटीसी में अनुबंधित कर्मचारियों ने भी इस सुविधा को दिए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि यात्रा भत्ता मिलना अच्छी बात है. मगर अनुबंधित कर्मचारियों को भी यह सुविधा दी जानी चाहिए, क्योंकि इन कर्मचारियों का वेतन भी बहुत कम है. डीटीसी में करीब 14,000 अनुबंधित कर्मचारी कार्यरत हैं.

'4000 बसें भी डीटीसी के बेड़े में नहीं हैं'
वर्ष 2015-16 से लेकर 2018-19 में हर साल 20 करोड़ यात्री कम हो गए हैं. लो फ्लोर की बसें 1,100 कम हो गई हैं. पहले जहां 5,000 बसें डीटीसी के बेड़े में थी. आज इनकी संख्या घटकर 3,900 रह गई हैं. 4.5 सालों में दिल्ली की आबादी में बढ़ोतरी हुई है. आबादी का फैलाव हुआ है, लेकिन बसों के रूट घट गए और यात्रियों को सुविधा नहीं मिली तो यात्रियों ने भी डीटीसी की बसों से दूरी बना ली.

बता दें कि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बेहतर कर निजी वाहनों के इस्तेमाल कम करने की बात करने वाली दिल्ली सरकार पिछले 4.5 सालों में डीटीसी के बेड़े में एक भी नई बसें शामिल नहीं कर पाई है. यात्रियों की संख्या के लिहाज से आज बसों की संख्या 11,000 होनी चाहिए थी. आज भी 4,000 बसें भी डीटीसी के बेड़े में नहीं है.

Intro:नई दिल्ली. दिल्ली सरकार ने डीटीसी कर्मचारियों को नए साल का तोहफा दिया है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि डीटीसी के जितने भी नियमित कर्मचारी हैं उनको अभी तक यात्रा भाता नहीं मिलता था, लेकिन उन्हें अब 4000 रुपये प्रतिमाह यात्रा भत्ता मिलेगा.


Body:दिल्ली सरकार के इस फैसले से करीब 8000 कर्मचारियों को लाभ मिलेगा. वहीं डीटीसी में अनुबंधित कर्मचारियों ने भी इस सुविधा को दिए जाने की मांग की है. उनका कहना है कि यात्रा भत्ता मिलना अच्छी बात है. मगर अनुबंधित कर्मचारियों को भी यह सुविधा दी जानी चाहिए. क्योंकि इन कर्मचारियों का वेतन भी बहुत कम है. डीटीसी में करीब 14000 अनुबंधित कर्मचारी कार्यरत हैं.

डीटीसी में बसें कम होने के साथ ही यात्री भी बना रहे दूरी

वर्ष 2015-16 से लेकर 2018-19 में हर साल 20 करोड़ यात्री कम हो गए हैं. लो फ्लोर की बसें 1100 कम हो गई है. पहले जहां 5000 बसें डीटीसी के बेड़े में थी आज इनकी संख्या घटकर 3900 रह गई हैं. 4.5 सालों में दिल्ली की आबादी में बढ़ोतरी हुई है आबादी का फैलाव हुआ है. लेकिन बसों के रूट घट गए और यात्रियों को सुविधा नहीं मिली. तो यात्रियों ने भी डीटीसी की बसों से दूरी बना ली.


Conclusion:बता दें कि सार्वजनिक परिवहन व्यवस्था बेहतर कर निजी वाहनों के इस्तेमाल कम करने की बात करने वाले दिल्ली सरकार पिछले 4.5 सालों में डीटीसी के बेड़े में एक भी नई बसें शामिल नहीं कर पाई हैं. यात्रियों की संख्या के लिहाज से आज बसों की संख्या 11,000 होनी चाहिए थी वहां वही आज 4000 बसें भी डीटीसी के बेड़े में नहीं है.

समाप्त, आशुतोष झा
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