लखनऊ: भगवान श्रीराम की नगरी अयोध्या में इस बार का दीपोत्सव और दीपावली ऐतिहासिक होगी. इसका मुख्य कारण है कि करीब पांच सदी बाद श्रीराम जन्म भूमि पर मन्दिर निर्माण शुरू होने के बाद पहली बार दीपोत्सव होने जा रहा है, जो उनके भक्तों के लिए किसी सपने से कम नहीं है. करीब 492 साल बाद यह पहला मौका होगा, जब श्री रामजन्म भूमि पर भी 'खुशियों' के दीप जलेंगे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अयोध्या से गहरा जुड़ाव जगजाहिर है. लिहाजा 'अयोध्या दीपोत्सव' को वैश्विक उत्सव बनाने में वह कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं. हर व्यवस्था पर उनकी नजर है कि कहां, कब क्या होना है. इसका प्रस्तुतिकरण भी सीएम योगी देख चुके हैं. बता दें कि सीएम योगी दीपोत्सव में शामिल भी होंगे.
भव्य दीपोत्सव की तैयारी
दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन प्रयागराज कुंभ की भव्यता-दिव्यता और स्वच्छता के लिए वैश्विक पटल पर सराहना पा चुके मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अब दीपोत्सव को वैश्विक आयोजन बनाने में पूरी शिद्दत से जुटे हैं. 11 से 13 नवम्बर तक आयोजित होने वाले दीपोत्सव की एक-एक तैयारी पर सीएम की नजर है. इस बार योगी सरकार का अयोध्या में यह चौथा दीपोत्सव है. अन्य दीपोत्सव की तरह इसमें भी दीपकों के मामले में रिकॉर्ड बनाने की तैयारी है.
1527 में मीरबांकी ने किया था कब्जा
बताया जाता है कि करीब पांच शताब्दी पूर्व 1527 में मुगल सूबेदार मीरबांकी ने अयोध्या जन्मभूमि पर कब्जा किया था. इसके बाद से अब देश ही नहीं, दुनिया के करोड़ों रामभक्तों का श्री राम जन्मभूमि पर मन्दिर निर्माण का सपना पूरा हो रहा है. ऐसे में इस दीपोत्सव को लेकर लोगों का उत्साह चरम पर है. हालांकि कोरोना के नाते इस अवसर पर अयोध्या में सीमित लोग ही जाएंगे, लेकिन वर्चुअल रूप से हर कोई घर बैठे अयोध्या के भव्य और दिव्य दीपोत्सव का आनंद ले सकता है.
अपने गुरु की परंपरा को आगे बढ़ा रहे योगी आदित्यनाथ
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने गुरु की परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं. दरअसल गोरक्ष पीठ की राम मंदिर आंदोलन में महती भूमिका रही है. अवेद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने पर बतौर पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ ने इस जिम्मेवारी को बखूबी संभाला. उन्होंने अपने गुरु के सपनों को अपना बना लिया. उत्तराधिकारी, सांसद, पीठाधीश्वर और अब मुख्यमंत्री के रूप में भी.
सीएम बनने के बाद भी निर्वाह
मुख्यमंत्री बनने के बाद भी वह अयोध्या को लेकर काफी गंभीर रहे. अयोध्या जाने की दूर कोई भी राजनेता उसका नाम नहीं लेना चाहता था. तीन दशकों के दौरान मुलायम सिंह यादव, मायावती, अखिलेश यादव, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी में से कोई भी कभी अयोध्या नहीं गया. बतौर मुख्यमंत्री योगी को जब भी अवसर मिला वह अयोध्या गए. रामलला विराजमान के दर्शन किए और अयाेध्या के विकास का खाका खीचा. इनके ही समय में सुप्रीम कोर्ट ने मन्दिर के पक्ष में फैसला दिया. पांच अगस्त 20 को मन्दिर के भूमि पूजन हुआ. अब तो अयोध्या के कायाकल्प की ही तैयारी है. ऐसे में इस दीपोत्सव और दीवाली का बेहद खास होना स्वाभाविक है.