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डॉक्टर रोहित सिन्हा ने डायबिटीज के इलाज के लिए खोजा नया विकल्प, ग्लूकागन हार्मोन पर कंट्रोल से बैलेंस में रहेगी शुगर

अनियमित जीवनशैली शुगर के मरीजों में इजाफा कर रही है. वहीं अनियंत्रित शुगर से कई बीमारियां शरीर को जकड़ रही हैं. एसजीपीजीआई के एक डॉक्टर के शोध ने मरीजों में राहत की उम्मीद जगा दी है.

ग्लूकागन हार्मोन पर कंट्रोल से बैलेंस में रहेगी शुगर
ग्लूकागन हार्मोन पर कंट्रोल से बैलेंस में रहेगी शुगर
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Published : Jul 17, 2021, 10:10 PM IST

लखनऊः एसजीपीजीआई के इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉक्टर रोहित सिन्हा ने डायबिटीज के इलाज के लिए नया विकल्प खोजा है. डॉक्टर सिन्हा की स्टडी के मुताबिक ग्लूकागन हार्मोन पर नियंत्रण कर शुगर पर काबू पाया जा सकता है. शोध में पाया गया कि टाइप-2 मधुमेह के रोगी न केवल बहुत कम इंसुलिन बल्कि बहुत अधिक ग्लूकागन का भी स्राव करते हैं. जिससे शरीर में रक्त शर्करा अनियंत्रित हो जाती हैं.

पैंक्रियाज से निकलता ये हार्मोन ग्लूकागन इंसुलिन की तरह ही पैंक्रियाज (अग्राशय) द्वारा स्रावित एक हार्मोन है. ये इंसुलिन के विपरीत काम करता है. इससे व्यक्ति रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ जाता है. डॉक्टर सिन्हा के मुताबिक भोजन के बाद ग्लूकोज के अत्यधिक उत्पादन को रोकने के लिए ग्लूकागन का स्राव अवरुद्ध हो जाता है. ऐसे में ये मधुमेह के रोगियों में विफल हो जाता है, तो बहुत अधिक ग्लूकागन ग्लूकोज उत्पादन में बढ़ोतरी करने लगता है. इससे मधुमेह रोगियों के रक्त शर्करा का स्तर बिगड़ जाता है. ग्लूकागन के इस महत्वपूर्ण काम के बावजूद इसके स्राव को कैसे नियंत्रित किया जाता है. इसके बारे में विस्तृत शोध की जरूरत है.

इसे भी पढ़ें- यूपी ने रचा इतिहास ! 4 करोड़ से ज्यादा कोरोना टीका लगाने वाला बना देश का पहला राज्य

डॉक्टर सिन्हा की स्टडी के दौरान लैब में दिखाया कि कैसे अग्न्याशय में एमटीओआरसी-1 नामक प्रोटीन की गतिविधि को रोककर ग्लूकागन रिलीज को कम किया जा सकता है. एमटीओआरसी-1 के अवरोध से लाइसोसोम सेलुलर संरचनाओं द्वारा संग्रहित ग्लूकागन का क्षरण होता है. इससे ग्लूकागन को रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ाने से रोकता है. यह शोध हाल ही में एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल मॉलिक्युलर मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित हुआ है.

लखनऊः एसजीपीजीआई के इंडोक्राइनोलॉजी विभाग के डॉक्टर रोहित सिन्हा ने डायबिटीज के इलाज के लिए नया विकल्प खोजा है. डॉक्टर सिन्हा की स्टडी के मुताबिक ग्लूकागन हार्मोन पर नियंत्रण कर शुगर पर काबू पाया जा सकता है. शोध में पाया गया कि टाइप-2 मधुमेह के रोगी न केवल बहुत कम इंसुलिन बल्कि बहुत अधिक ग्लूकागन का भी स्राव करते हैं. जिससे शरीर में रक्त शर्करा अनियंत्रित हो जाती हैं.

पैंक्रियाज से निकलता ये हार्मोन ग्लूकागन इंसुलिन की तरह ही पैंक्रियाज (अग्राशय) द्वारा स्रावित एक हार्मोन है. ये इंसुलिन के विपरीत काम करता है. इससे व्यक्ति रक्त शर्करा के स्तर को बढ़ जाता है. डॉक्टर सिन्हा के मुताबिक भोजन के बाद ग्लूकोज के अत्यधिक उत्पादन को रोकने के लिए ग्लूकागन का स्राव अवरुद्ध हो जाता है. ऐसे में ये मधुमेह के रोगियों में विफल हो जाता है, तो बहुत अधिक ग्लूकागन ग्लूकोज उत्पादन में बढ़ोतरी करने लगता है. इससे मधुमेह रोगियों के रक्त शर्करा का स्तर बिगड़ जाता है. ग्लूकागन के इस महत्वपूर्ण काम के बावजूद इसके स्राव को कैसे नियंत्रित किया जाता है. इसके बारे में विस्तृत शोध की जरूरत है.

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