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दहेज उत्पीड़न के मामलों में सिर्फ महिलाएं ही नहीं पुरुष भी लगा रहे मौत को गले

ऐसा नहीं हैं कि दहेज प्रथा के सभी मामले फर्जी होते हैं, लेकिन यह जरूर है कि दहेज प्रथा को कुछ हद तक महिलाएं पति और ससुरालवालों को दबाने के लिए हथियार के रूप में इस्तेमाल करती हैं, जिसका बुरा असर पुरुषों पर पड़ता है.

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Published : Aug 9, 2023, 8:32 PM IST

दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुष भी लगा रहे मौत को गले. देखें खबर

लखनऊ : राजधानी के नाका हिंडोला के रहने वाले 45 वर्षीय राजेश जायसवाल ने 6 अगस्त को एक वीडियो बना कर आत्महत्या कर ली. वीडियो में बताया गया था कि किस तरह उनकी पत्नी ने उन पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा कर दो वर्ष तक प्रताड़ित किया. ठीक इसी तरह बाराबंकी के विकास ने बीते वर्ष दिसंबर आईपीसी की धारा 498A का मुकदमा लिखे जाने और ससुरालजनों द्वारा प्रताड़ित किए जाने पर मौत को गले लगा लिया.

दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.
दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.



बेहद कम है कन्विक्शन रेट : एनसीआरबी के आंकड़ों पर गौर करें तो देश में धारा 498A के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या हर साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों के 30% से ज्यादा होती है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में 498A के तहत देशभर में 1.11 लाख मामले दर्ज हुए थे. वर्ष 2021 में 1.36 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. 498A के मामलों में कन्विक्शन रेट पर नजर डालें तो प्रति 100 में से 17 केस में ही दोषी को सजा मिली वर्ष 2021 में विभिन्न न्यायालयों में धारा 498A के कुल 25 हजरा 158 मुकदमों में ट्रायल पूरा हुआ. जिसमें 4,145 मामलों में ही आरोपी पर दोष साबित हुआ.

दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.
दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.
दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.
दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.


कोर्ट में 498A के आरोपों से बरी होते हैं पुरुष : इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता प्रिंस लेनिन कहते हैं कि दहेज उत्पीड़न को लेकर देश में एक विशेष कानून बनाया गया. जिससे सिर्फ दहेज के लिए महिला को परेशान करने वालों को सजा दिलाई जा सके, लेकिन अब देखने को मिलता है कि अधिकतर मामलों में इस धारा या कानून का बेजा फायदा उठाया जा रहा है. मेरे पास कई ऐसे मामले आए हैं जिसमें पाया गया कि महिला द्वारा पति या ससुरालवालों को गलत फंसाया गया. यही वजह है कि अब ऐसे पुरुष आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं, जिनके खिलाफ झूठा 498A का मुकदमा दर्ज होता है और फिर उन्हें पुलिस और उनके ससुरालवालों की ओर से मानसिक प्रताड़ित किया जाता है. लेनिन का मानना है कि आंकड़ों के हिसाब से अधिकतर मामले झूठे दर्ज होते हैं, जो विद्वेष पूर्ण होते हैं.

यह भी पढ़ें : कोर्ट ने मीडिया को स्पॉट रिपोर्टिंग के लिए किया मना, सर्वे रोकने की याचिका पर सुनवाई 17 अगस्त को

दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुष भी लगा रहे मौत को गले. देखें खबर

लखनऊ : राजधानी के नाका हिंडोला के रहने वाले 45 वर्षीय राजेश जायसवाल ने 6 अगस्त को एक वीडियो बना कर आत्महत्या कर ली. वीडियो में बताया गया था कि किस तरह उनकी पत्नी ने उन पर दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा कर दो वर्ष तक प्रताड़ित किया. ठीक इसी तरह बाराबंकी के विकास ने बीते वर्ष दिसंबर आईपीसी की धारा 498A का मुकदमा लिखे जाने और ससुरालजनों द्वारा प्रताड़ित किए जाने पर मौत को गले लगा लिया.

दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.
दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.



बेहद कम है कन्विक्शन रेट : एनसीआरबी के आंकड़ों पर गौर करें तो देश में धारा 498A के तहत दर्ज होने वाले मामलों की संख्या हर साल महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल मामलों के 30% से ज्यादा होती है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 में 498A के तहत देशभर में 1.11 लाख मामले दर्ज हुए थे. वर्ष 2021 में 1.36 लाख से ज्यादा मामले दर्ज किए गए थे. 498A के मामलों में कन्विक्शन रेट पर नजर डालें तो प्रति 100 में से 17 केस में ही दोषी को सजा मिली वर्ष 2021 में विभिन्न न्यायालयों में धारा 498A के कुल 25 हजरा 158 मुकदमों में ट्रायल पूरा हुआ. जिसमें 4,145 मामलों में ही आरोपी पर दोष साबित हुआ.

दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.
दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.
दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.
दहेज उत्पीड़न के मामलों में पुरुषों की हालत.


कोर्ट में 498A के आरोपों से बरी होते हैं पुरुष : इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले अधिवक्ता प्रिंस लेनिन कहते हैं कि दहेज उत्पीड़न को लेकर देश में एक विशेष कानून बनाया गया. जिससे सिर्फ दहेज के लिए महिला को परेशान करने वालों को सजा दिलाई जा सके, लेकिन अब देखने को मिलता है कि अधिकतर मामलों में इस धारा या कानून का बेजा फायदा उठाया जा रहा है. मेरे पास कई ऐसे मामले आए हैं जिसमें पाया गया कि महिला द्वारा पति या ससुरालवालों को गलत फंसाया गया. यही वजह है कि अब ऐसे पुरुष आत्महत्या करने को मजबूर होते हैं, जिनके खिलाफ झूठा 498A का मुकदमा दर्ज होता है और फिर उन्हें पुलिस और उनके ससुरालवालों की ओर से मानसिक प्रताड़ित किया जाता है. लेनिन का मानना है कि आंकड़ों के हिसाब से अधिकतर मामले झूठे दर्ज होते हैं, जो विद्वेष पूर्ण होते हैं.

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