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MLC चुनाव 2020: शर्मा गुट के किले में 48 साल बाद भाजपा ने लगाई सेंध

विधान परिषद की शिक्षक कोटे की छह सीटों के लिए हुए चुनाव में पहली बार शामिल हुई भाजपा ने तीन सीटें जीत कर अपना दबदबा कायम कर लिया है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के क्षेत्र में भाजपा को जीत नहीं मिल पाने का मलाल भी है. खण्ड शिक्षक सीटों पर दशकों से शिक्षक संघों का कायम दबदबा अब खत्म होता दिखाई दे रहा है. इस बार शिक्षक संघ (शर्मा गुट) को छह में से केवल एक सीट पर ही जीत मिली है.

MLC चुनाव
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Published : Dec 4, 2020, 5:39 PM IST

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने खंड शिक्षक कोटे की छह सीटों में से चार पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. वाराणसी से शिक्षक सीट से भाजपा ने चेतनारायण सिंह को समर्थन दिया था. लखनऊ खंड शिक्षक सीट पर भाजपा प्रत्याशी उमेश द्विवेदी को जीत मिली है. बरेली-मुरादाबाद खंड शिक्षक सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ हरि सिंह ढिल्लो ने जीत दर्ज की है. मेरठ से भाजपा प्रत्याशी श्रीचंद शर्मा ने जीत दर्ज करके इतिहास रच दिया है, जबकि आगरा शिक्षक सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ दिनेश कुमार वशिष्ठ को निर्दलीय उम्मीदवार डॉ आकाश अग्रवाल से पराजित होना पड़ा है.

शर्मा गुट का किला ध्वस्त

एमएलसी चुनाव के इतिहास में यह बड़ा बदलाव है. अभी तक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के नेता ओम प्रकाश शर्मा मेरठ शिक्षक सीट पर एकछत्र राज करते आ रहे थे. पिछले 48 सालों से उनका जो दबदबा कायम था, वह अब टूट गया है. भाजपा ने इस बार शिक्षक सीटों पर भी लड़ने का एलान किया था, भाजपा की कुशल रणनीति के आगे शर्मा गुट की राजनीति ध्वस्त हो गयी. एक सीट छोड़ बाकी सभी सीटों पर शर्मा गुट को हार का सामना करना पड़ा है. शिक्षक संघों के लिए ओमप्रकाश शर्मा का हारना सबसे बड़ा झटका है. शर्मा गुट के लिए अच्छी खबर यह है वह एक सीट बचाने में सफल रहा है. शिक्षक संघ ने भले ही अन्य सीटें गंवा दी हों, लेकिन सीएम योगी के गृह क्षेत्र गोरखपुर सीट पर शर्मा गुट के ध्रुव त्रिपाठी ने अजय सिंह को हराकर तीसरी बार जीत दर्ज की है.

शिक्षकों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा संघ
शिक्षक नेता डॉ पुष्पेंद्र मिश्र का कहना है कि अभी तक बीजेपी ने कभी शिक्षक कोटे की सीटों पर प्रत्याशी नहीं उतारा था. इस बार भारतीय जनता पार्टी और अन्य दलों ने सीधे अपने प्रत्याशी उतारे. शिक्षक संघों के हारने का पहला कारण यही है. दूसरा कारण यह है कि शिक्षक संघों के लगातार जीतने के बाद भी वे शिक्षकों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरे इसलिए इस बार पार्टियों द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों पर शिक्षकों ने विश्वास व्यक्त किया.

गोरखपुर शिक्षक सीट पर उम्मीदवार नहीं उतार सकी थी भाजपा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर की खंड शिक्षक सीट पर भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार ही नहीं उतर सकी थी. दरअसल मुख्यमंत्री और संगठन के बीच एकराय नहीं हो पाने की वजह से इस सीट पर उम्मीदवार नहीं घोषित किया जा सका. जानकारों का मानना है कि यदि भाजपा ने गोरखपुर सीट पर प्रत्याशी उतारा होता तो जीत पक्की थी. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की शिक्षक और स्नातक कोटे यानी दोनों सीटों से भाजपा अपना प्रतिनिधि सदन भेजने में असफल रही है. भाजपा ने वाराणसी शिक्षक सीट पर अपना प्रत्याशी उतारने के बजाए चेत नारायण सिंह को समर्थन दिया था. पार्टी नेताओं ने वाराणसी में बैठक करके चेत नारायण सिंह को वोट देने की अपील भी की थी, लेकिन भाजपा की यह रणनीति काम नहीं आई. वाराणसी शिक्षक सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी लाल बिहारी यादव ने जीत दर्ज की है. इस प्रकार समाजवादी पार्टी शिक्षक कोटे की एक सीट पर जीत दर्ज करने में सफल रही है, वहीं आगरा शिक्षक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार आकाश अग्रवाल को जीत मिली है.

लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने खंड शिक्षक कोटे की छह सीटों में से चार पर अपने प्रत्याशी उतारे थे. वाराणसी से शिक्षक सीट से भाजपा ने चेतनारायण सिंह को समर्थन दिया था. लखनऊ खंड शिक्षक सीट पर भाजपा प्रत्याशी उमेश द्विवेदी को जीत मिली है. बरेली-मुरादाबाद खंड शिक्षक सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ हरि सिंह ढिल्लो ने जीत दर्ज की है. मेरठ से भाजपा प्रत्याशी श्रीचंद शर्मा ने जीत दर्ज करके इतिहास रच दिया है, जबकि आगरा शिक्षक सीट पर भाजपा प्रत्याशी डॉ दिनेश कुमार वशिष्ठ को निर्दलीय उम्मीदवार डॉ आकाश अग्रवाल से पराजित होना पड़ा है.

शर्मा गुट का किला ध्वस्त

एमएलसी चुनाव के इतिहास में यह बड़ा बदलाव है. अभी तक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के नेता ओम प्रकाश शर्मा मेरठ शिक्षक सीट पर एकछत्र राज करते आ रहे थे. पिछले 48 सालों से उनका जो दबदबा कायम था, वह अब टूट गया है. भाजपा ने इस बार शिक्षक सीटों पर भी लड़ने का एलान किया था, भाजपा की कुशल रणनीति के आगे शर्मा गुट की राजनीति ध्वस्त हो गयी. एक सीट छोड़ बाकी सभी सीटों पर शर्मा गुट को हार का सामना करना पड़ा है. शिक्षक संघों के लिए ओमप्रकाश शर्मा का हारना सबसे बड़ा झटका है. शर्मा गुट के लिए अच्छी खबर यह है वह एक सीट बचाने में सफल रहा है. शिक्षक संघ ने भले ही अन्य सीटें गंवा दी हों, लेकिन सीएम योगी के गृह क्षेत्र गोरखपुर सीट पर शर्मा गुट के ध्रुव त्रिपाठी ने अजय सिंह को हराकर तीसरी बार जीत दर्ज की है.

शिक्षकों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा संघ
शिक्षक नेता डॉ पुष्पेंद्र मिश्र का कहना है कि अभी तक बीजेपी ने कभी शिक्षक कोटे की सीटों पर प्रत्याशी नहीं उतारा था. इस बार भारतीय जनता पार्टी और अन्य दलों ने सीधे अपने प्रत्याशी उतारे. शिक्षक संघों के हारने का पहला कारण यही है. दूसरा कारण यह है कि शिक्षक संघों के लगातार जीतने के बाद भी वे शिक्षकों की अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरे इसलिए इस बार पार्टियों द्वारा उतारे गए उम्मीदवारों पर शिक्षकों ने विश्वास व्यक्त किया.

गोरखपुर शिक्षक सीट पर उम्मीदवार नहीं उतार सकी थी भाजपा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह क्षेत्र गोरखपुर की खंड शिक्षक सीट पर भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार ही नहीं उतर सकी थी. दरअसल मुख्यमंत्री और संगठन के बीच एकराय नहीं हो पाने की वजह से इस सीट पर उम्मीदवार नहीं घोषित किया जा सका. जानकारों का मानना है कि यदि भाजपा ने गोरखपुर सीट पर प्रत्याशी उतारा होता तो जीत पक्की थी. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की शिक्षक और स्नातक कोटे यानी दोनों सीटों से भाजपा अपना प्रतिनिधि सदन भेजने में असफल रही है. भाजपा ने वाराणसी शिक्षक सीट पर अपना प्रत्याशी उतारने के बजाए चेत नारायण सिंह को समर्थन दिया था. पार्टी नेताओं ने वाराणसी में बैठक करके चेत नारायण सिंह को वोट देने की अपील भी की थी, लेकिन भाजपा की यह रणनीति काम नहीं आई. वाराणसी शिक्षक सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी लाल बिहारी यादव ने जीत दर्ज की है. इस प्रकार समाजवादी पार्टी शिक्षक कोटे की एक सीट पर जीत दर्ज करने में सफल रही है, वहीं आगरा शिक्षक सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार आकाश अग्रवाल को जीत मिली है.

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