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World Breastfeeding Week 2019: डॉक्टरों ने कहा- सार्वजनिक स्थानों पर लगाए जाएं 'ब्रेस्टफीडिंग कार्नर'

राजधानी लखनऊ में वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2019 पर स्तनपान को लेकर विभिन्न चिकित्सालयों के डॉक्टरों ने स्तनपान की व्यवस्थाओं को लेकर निर्देश दिया. उन्होंने सुझाव देते हुए कहा कि बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन समेत सभी मॉल्स में ब्रेस्टफीडिंग कॉनर्स की सुविधाएं होनी चाहिए.

वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2019.
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Published : Aug 7, 2019, 12:43 PM IST

लखनऊ: एक तरफ स्तनपान को अमृत समान बताते हुए उसे प्रोत्साहन पर जोर दिया जाता है तो वहीं दूसरी ओर इसे बढ़ावा देने के लिए जरूरी इंतजाम भी नहीं किए जा रहे हैं. प्रत्येक वर्ष अगस्त के पहले सप्ताह में विश्व स्तनपान सप्ताह (वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक) मनाया जाता है. ताकि बाल विकास वर्ग पोषण को सुनिश्चित किया जा सके. ऐसी पहल होने के बावजूद भी ज्यादा असर देखने को नहीं मिल रहा है.

वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2019.

वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2019 पर नई पहल की शुरुआत-

  • महिला चिकित्सालय की एसआईसी डॉ. नीरा जैन कहती हैं कि तमाम आधुनिकताओं के बावजूद भी स्तनपान आज भी एक शर्म का विषय बना हुआ है.
  • अक्सर सार्वजनिक स्थानों पर माताएं स्तनपान कराने से कतराती हैं, क्योंकि उसके लिए वहां पर उचित व्यवस्था नहीं होती है.
  • डॉ. नीरा जैन कहती हैं कि एक बच्चे के लिए स्तनपान अमृत समान होता है.
  • ऐसे में तमाम सार्वजनिक स्थानों पर ब्रेस्टफीडिंग कॉर्नर बनाना आज की जरूरत है.
  • डॉ. कहती हैं कि बहुत ज्यादा व्यवस्था करने की जरूरत नहीं है. महज एक केबिन या क्यूबिकल बना देना चाहिए.
  • नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान, चिड़िया घर में और अस्पताल के ओपीडी में भी जगह-जगह पर ब्रेस्टफीडिंग कॉर्नर बनाए गए हैं.
  • डॉ. नीरा कहती हैं कि बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन समेत सभी मॉल्स में ब्रेस्ट फीडिंग कॉनर्स की सुविधा होनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: लोहिया संस्थान के चिकित्सक और कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार लिया वापस

स्तनपान को लेकर भारत में अभी भी कुछ हिचक नजर आती है. कुछ महीनों पहले एक विदेशी सांसद द्वारा संसद की कार्यवाही के दौरान अपने शिशु को स्तनपान कराने के तस्वीर काफी वायरल हुई थी, जिसने पूरी दुनिया को एक बड़ा संदेश दिया था, लेकिन अभी भी इस मोर्चे पर काफी कुछ किए जाने की जरूरत है.

लखनऊ: एक तरफ स्तनपान को अमृत समान बताते हुए उसे प्रोत्साहन पर जोर दिया जाता है तो वहीं दूसरी ओर इसे बढ़ावा देने के लिए जरूरी इंतजाम भी नहीं किए जा रहे हैं. प्रत्येक वर्ष अगस्त के पहले सप्ताह में विश्व स्तनपान सप्ताह (वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक) मनाया जाता है. ताकि बाल विकास वर्ग पोषण को सुनिश्चित किया जा सके. ऐसी पहल होने के बावजूद भी ज्यादा असर देखने को नहीं मिल रहा है.

वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2019.

वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक 2019 पर नई पहल की शुरुआत-

  • महिला चिकित्सालय की एसआईसी डॉ. नीरा जैन कहती हैं कि तमाम आधुनिकताओं के बावजूद भी स्तनपान आज भी एक शर्म का विषय बना हुआ है.
  • अक्सर सार्वजनिक स्थानों पर माताएं स्तनपान कराने से कतराती हैं, क्योंकि उसके लिए वहां पर उचित व्यवस्था नहीं होती है.
  • डॉ. नीरा जैन कहती हैं कि एक बच्चे के लिए स्तनपान अमृत समान होता है.
  • ऐसे में तमाम सार्वजनिक स्थानों पर ब्रेस्टफीडिंग कॉर्नर बनाना आज की जरूरत है.
  • डॉ. कहती हैं कि बहुत ज्यादा व्यवस्था करने की जरूरत नहीं है. महज एक केबिन या क्यूबिकल बना देना चाहिए.
  • नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान, चिड़िया घर में और अस्पताल के ओपीडी में भी जगह-जगह पर ब्रेस्टफीडिंग कॉर्नर बनाए गए हैं.
  • डॉ. नीरा कहती हैं कि बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन समेत सभी मॉल्स में ब्रेस्ट फीडिंग कॉनर्स की सुविधा होनी चाहिए.

इसे भी पढ़ें:- लखनऊ: लोहिया संस्थान के चिकित्सक और कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार लिया वापस

स्तनपान को लेकर भारत में अभी भी कुछ हिचक नजर आती है. कुछ महीनों पहले एक विदेशी सांसद द्वारा संसद की कार्यवाही के दौरान अपने शिशु को स्तनपान कराने के तस्वीर काफी वायरल हुई थी, जिसने पूरी दुनिया को एक बड़ा संदेश दिया था, लेकिन अभी भी इस मोर्चे पर काफी कुछ किए जाने की जरूरत है.

Intro:लखनऊ। एक तरफ स्तनपान को अमृत समान बताते हुए उसके प्रोत्साहन पर जोर दिया जाता है तो वहीं दूसरी ओर इसे बढ़ावा देने के लिए जरूरी इंतजाम भी नहीं किए जा रहे हैं प्रत्येक वर्ष अगस्त के पहले सप्ताह में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है ताकि बाल विकास वर्ग पोषण को सुनिश्चित किया जा सके लेकिन ऐसी पहल होने के बावजूद बहुत ज्यादा असर देखने को नहीं मिल रहा है तमाम अभियानों के बावजूद कुछ कमियों के कारण यह मुहिम रंग नहीं ला पा रही है।


Body:वीओ1 वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय की एस आई सी डॉ नीरा जैन कहती है कि तमाम आधुनिकताओं के बावजूद स्तनपान आज भी एक वर्जना या शर्म का विषय बना हुआ है। इसके कारण अक्सर सार्वजनिक स्थानों पर माताएं स्तनपान कराने से कतराती हैं क्योंकि उसके लिए वहां पर माकूल व्यवस्था नहीं होती। वह कहती हैं कि एक बच्चे के लिए स्तनपान अमृत समान होता है। आजकल ज्यादातर माताएं वर्किंग होती हैं या फिर कहीं घूमने फिरने बाहर जाती हैं। ऐसे में तमाम सार्वजनिक स्थानों पर ब्रेस्टफीडिंग कॉर्नर बनाना आज की जरूरत है। किंग केजीएमके क्वीन मैरी प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ स्मृति अग्रवाल कहती हैं की स्तनपान करवाना मां और बच्चे दोनों के लिए ही फायदेमंद होता है। वह कहते हैं कि ब्रेस्टफीडिंग कॉर्नर बनाने के लिए बहुत ज्यादा व्यवस्था करने की जरूरत नहीं है। महज एक केबिन या क्यूबिकल बना देना भी सार्वजनिक स्थानों पर स्तनपान कराने के लिए एक बेहतरीन जगह हो सकती है। राजधानी में अगर ब्रेस्टफीडिंग कॉनर्स की बात की जाए तो यहां के सार्वजनिक स्थानों पर यह विरले ही नज़र आते हैं। राजधानी के नवाब वाजिद अली शाह प्राणी उद्यान लखनऊ चिड़ियाघर में जगह-जगह पर ब्रेस्टफीडिंग कॉर्नर्स बनाए गए हैं। इसके अलावा डफरिन अस्पताल में भी ओपीडी में आने वाली महिलाओं और शिशुओं के लिए ब्रेस्टफीडिंग कॉर्नर्स बने हुए हैं। डॉ नीरा कहती हैं कि बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन समेत राजधानी में बने सभी मॉल्स में ब्रेस्ट फीडिंग कॉनर्स की सुविधा होनी चाहिए क्योंकि यहीं पर सबसे अधिक आम जनमानस पाया जाता है।


Conclusion:स्तनपान को लेकर भारत में अभी भी कुछ हिचक नजर आती है। कुछ महीनों पहले एक विदेशी सांसद द्वारा संसद की कार्यवाही के दौरान अपने शिशु को स्तनपान कराने के तस्वीर काफी वायरल हुई थी जिसने पूरी दुनिया को एक बड़ा संदेश दिया था लेकिन अभी भी इस मोर्चे पर काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। बाइट- डॉक्टर नीरा जैन , एसआइसी, वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय बाइट- डॉ स्मृति अग्रवाल क्वीन मैरी प्रसूती एवं स्त्री रोग विभाग, केजीएमयू रामांशी मिश्रा
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