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डॉक्टरों का कमाल, गंभीर बीमारियों से ग्रसित गर्भवती महिला की कराई सफल डिलवरी

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Published : Jun 17, 2021, 1:09 PM IST

राजधानी लखनऊ के केजीएमयू ट्रामा सेंटर के क्रिटिकल केयर और क्वीन मैरी अस्पताल के डॉक्टरों के ने चार बीमारियों से पीड़ित गर्भवती महिला की डिलीवरी कराईं है. यह यूपी के डॉक्टरों एक बड़ी उपलब्धि है.

डॉक्टरों ने बचाई महिला की जान
डॉक्टरों ने बचाई महिला की जान

लखनऊ : राजधानी के केजीएमयू ट्रामा सेंटर के क्रिटिकल केयर और क्वीन मैरी अस्पताल के डॉक्टरों के ने चार बीमारियों से पीड़ित गर्भवती महिला की सफल डिलीवरी कराईं. डॉक्टरों के मुताबिक यह एक बड़ी उपलब्धि है. क्योंकि अगर किसी व्यक्ति को डायलिसिस के साथ मेटाबॉलिक एसिडोसिस और सांस लेने में समस्या हो. इसके अलावा उसकी किडनी भी फेल हो जाए तो उस मरीज को बचा पाना मुश्किल है.

ऐसे मुश्किल केस में कोई गर्भवती महिला हो तो और भी बड़ा संकट होता है. लेकिन केजीएमयू के क्रिटिकल केयर और महिला अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने एक ऐसी ही गर्भवती मरीज का प्रसव कराया. फिलहाल मरीज को 15 जून को डिस्चार्ज कर दिया गया. अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने मीडिया को इस केस की जानकारी दी है.

मौत से लड़ी महिला

फर्रुखाबाद निवासी 23 वर्षीय मरीज निधि को बीते 19 मार्च को 34 सप्ताह की गर्भावस्था के साथ भर्ती किया गया था. मरीज को सांस की और मेटाबॉलिक एसिडोसिस की समस्या थी. साथ ही महिला का पीएच 6.9 था. महिला की किडनी खराब होने की स्थिति में भी थी. उन्हें आईयूडी समस्या के कारण (बच्चे की अंतर्गर्भाशयी मृत्यु) भर्ती कराया गया था. उन्हें तुरंत वेंटिलेटर और वैसोप्रेसर सपोर्ट पर रखा गया.

रक्तचाप के कारण मरीज नियमित डायलिसिस के लिए अनुपयुक्त थी, इसलिए सीआरआरटी ​​(निरंतर रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी) शुरू की गई. मरीज सीआरआरटी ​​पर रहते हुए मृत भ्रूण को जन्म दिया. धीरे-धीरे मरीज की तबीयत में सुधार हुआ और उसे नियमित डायलिसिस के लिए स्थानांतरित कर दिया गया. मरीज महिला के गुर्दे के कार्य और श्वसन मापदंडों में सुधार हुआ. उसे वेंटिलेटर के साथ-साथ डायलिसिस सहायता से हटा दिया गया. एक महीने तक आईसीयू में रहने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.

डॉक्टरों के अनुसार, यह पहली बार है कि उत्तर प्रदेश में डायलिसिस पर रहते हुए मरीज की सामान्य डिलीवरी हुई है. क्योंकि यह सुविधा और विशेषज्ञता सीमित केंद्रों में ही उपलब्ध है. मगर वह कई अंगों की विफलता के बावजूद बच गई, लेकिन परिधि में काम करने वाले डॉक्टरों और पैरामेडिक्स के लिए यह सलाह दी जाती है कि बीमारी के दौरान मरीजों को उच्च केंद्रों पर जल्दी भेज दिया जाए. एक बार जब कई अंग विफल हो जाते हैं, तो बचने की संभावना कम हो जाती है.

बता दें कि गर्भवती महिला का इलाज कर ही चिकित्सक टीम में महिला रोग विशेषज्ञ प्रो. उमा सिंह, प्रो. रेखा सचान, डॉ. नम्रता, डॉ. नितिन राय, मेडिसिन प्रो. वीरेंद्र आतम, डॉ. मेघावी गौतम, क्रिटिकल केयर डॉ. अविनाश, डॉ. आर्मिन, डॉ. नबील, डॉ. सुलेखा, डॉ. सुहैल, डॉ. सौमित्र, डॉ. साई सरन शामिल थे.

इसे भी पढ़ें-लखनऊ के ऐतिहासिक घंटाघर के चारों तरफ बनेगी बाउंड्री वॉल, पर्यटकों को मिलेगी सुविधा

लखनऊ : राजधानी के केजीएमयू ट्रामा सेंटर के क्रिटिकल केयर और क्वीन मैरी अस्पताल के डॉक्टरों के ने चार बीमारियों से पीड़ित गर्भवती महिला की सफल डिलीवरी कराईं. डॉक्टरों के मुताबिक यह एक बड़ी उपलब्धि है. क्योंकि अगर किसी व्यक्ति को डायलिसिस के साथ मेटाबॉलिक एसिडोसिस और सांस लेने में समस्या हो. इसके अलावा उसकी किडनी भी फेल हो जाए तो उस मरीज को बचा पाना मुश्किल है.

ऐसे मुश्किल केस में कोई गर्भवती महिला हो तो और भी बड़ा संकट होता है. लेकिन केजीएमयू के क्रिटिकल केयर और महिला अस्पताल के डॉक्टरों की टीम ने एक ऐसी ही गर्भवती मरीज का प्रसव कराया. फिलहाल मरीज को 15 जून को डिस्चार्ज कर दिया गया. अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने मीडिया को इस केस की जानकारी दी है.

मौत से लड़ी महिला

फर्रुखाबाद निवासी 23 वर्षीय मरीज निधि को बीते 19 मार्च को 34 सप्ताह की गर्भावस्था के साथ भर्ती किया गया था. मरीज को सांस की और मेटाबॉलिक एसिडोसिस की समस्या थी. साथ ही महिला का पीएच 6.9 था. महिला की किडनी खराब होने की स्थिति में भी थी. उन्हें आईयूडी समस्या के कारण (बच्चे की अंतर्गर्भाशयी मृत्यु) भर्ती कराया गया था. उन्हें तुरंत वेंटिलेटर और वैसोप्रेसर सपोर्ट पर रखा गया.

रक्तचाप के कारण मरीज नियमित डायलिसिस के लिए अनुपयुक्त थी, इसलिए सीआरआरटी ​​(निरंतर रीनल रिप्लेसमेंट थेरेपी) शुरू की गई. मरीज सीआरआरटी ​​पर रहते हुए मृत भ्रूण को जन्म दिया. धीरे-धीरे मरीज की तबीयत में सुधार हुआ और उसे नियमित डायलिसिस के लिए स्थानांतरित कर दिया गया. मरीज महिला के गुर्दे के कार्य और श्वसन मापदंडों में सुधार हुआ. उसे वेंटिलेटर के साथ-साथ डायलिसिस सहायता से हटा दिया गया. एक महीने तक आईसीयू में रहने के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई.

डॉक्टरों के अनुसार, यह पहली बार है कि उत्तर प्रदेश में डायलिसिस पर रहते हुए मरीज की सामान्य डिलीवरी हुई है. क्योंकि यह सुविधा और विशेषज्ञता सीमित केंद्रों में ही उपलब्ध है. मगर वह कई अंगों की विफलता के बावजूद बच गई, लेकिन परिधि में काम करने वाले डॉक्टरों और पैरामेडिक्स के लिए यह सलाह दी जाती है कि बीमारी के दौरान मरीजों को उच्च केंद्रों पर जल्दी भेज दिया जाए. एक बार जब कई अंग विफल हो जाते हैं, तो बचने की संभावना कम हो जाती है.

बता दें कि गर्भवती महिला का इलाज कर ही चिकित्सक टीम में महिला रोग विशेषज्ञ प्रो. उमा सिंह, प्रो. रेखा सचान, डॉ. नम्रता, डॉ. नितिन राय, मेडिसिन प्रो. वीरेंद्र आतम, डॉ. मेघावी गौतम, क्रिटिकल केयर डॉ. अविनाश, डॉ. आर्मिन, डॉ. नबील, डॉ. सुलेखा, डॉ. सुहैल, डॉ. सौमित्र, डॉ. साई सरन शामिल थे.

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