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सिर्फ 24 घंटे में काउंसलिंग की नोटिस पर भड़के डॉक्टर

चिकित्सा शिक्षा विभाग की नोटिस के शनिवार को काउंसलिंग कराने के फैसले डॉक्टर भड़क गए. नोटिस का वक्त न्यूनतम देख डॉक्टरों ने 7 दिन का वक्त मांगा है. सुनवाई न होने पर आंदोलन का एलान किया है.

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Published : Oct 29, 2021, 10:55 PM IST

लोहिया
लोहिया

लखनऊ: यूपी में चिकित्सा संस्थानों में डीएम (Doctorate of Medicine) और एमसीएच डिग्री लेने के बाद डॉक्टरों की नियुक्ति का मामला गरम हो गया है. पहले जहां ये डॉक्टर बांड नीति को लेकर आक्रामक रहे. वहीं, अब चिकित्सा शिक्षा विभाग की नोटिस के अगले दिन बाद काउंसलिंग फैसला देख भड़क गए. नोटिस का वक्त न्यूनतम देख डॉक्टरों ने 7 दिन का वक्त मांगा है. सुनवाई न होने पर आंदोलन का एलान किया है.


डीएम (डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन) व एमसीएच की डिग्री लेने के बाद डॉक्टरों को निर्धारित अवधि तक सरकारी संस्थान में काम करना अनिवार्य है. ऐसा न करने पर सरकारी राशि बांड के तौर पर भरनी होती है. इन डॉक्टरों को दो साल सेवा देना अनिवार्य है. इसके लिए उनकी नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर की जानी है. सुपर स्पेशियलिटी की डिग्री लेने वाले डॉक्टर ने सेंट्रल काउंसलिंग कराने की मांग की थी. ऐसे में एसपीजीआई रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना (Medical Education Minister Suresh Khanna) से भेंट की. चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने उनकी मांग का समर्थन किया. चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय को निर्देश दिया कि काउंसलिंग कराई जाए.



डॉक्टरों ने लगाया साजिश का आरोप
डॉक्टरों के मुताबिक, चिकित्सा शिक्षा महानिशालय ने शुक्रवार को अचानक शनिवार को काउंसलिंग की नोटिस जारी कर दी है. ऐसे में सभी डॉक्टरों का गुस्सा भड़क उठा. डॉक्टरों का कहना है कि बहुत से चिकित्सकों के परिवारीजन बीमार चल रहे हैं. दूर-दराज परिवार के सदस्यों को इलाज मुहैया कराने गए हैं. ऐसे में 24 घंटे में काउंसिलिंग नियमों के अनुसार नहीं है. डॉक्टरों ने काउंसिलिंग में घालमेल और साजिश का आरोप लगाया.



एसपीजीआई रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के महामंत्री डॉ. अनिल गंगवार ने बताया कि केजीएमयू सुपर स्पेशियलिटी डॉक्टरों को खाली पदों के सापेक्ष रखने की बात पर सहमत है. वहीं, एसपीजीआई सहित दूसरे संस्थानों ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रखने से मना कर दिया है. अफसर खाली पदों का ब्यौरा छिपा रहे हैं. दूसरी तरफ सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को नियुक्त करने से मना किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि काउंसिलिंग का पूरा ब्यौरा जारी होना चाहिए. इसमें किस संस्थान में कितनी खाली सीटें हैं. यह लिस्ट जारी हो. आरक्षण रोस्टर के अनुसार काउंसिलिंग की जाए. काउंसिलिंग नोटिस 7 दिन पहले जारी हो. सुनवाई न होने पर एसजीपीजीआई, लोहिया और केजीएमयू के डॉक्टर चिकित्सा शिक्षा के कार्यालय में आन्दोलन करेंगे.



इसे भी पढे़ं-प्रियंका ने की बड़ी घोषणा, कांग्रेस की सरकार बनी तो किसानों के कर्ज को करेंगी माफ



स्वास्थ्य विभाग ने अब एडवांस एंबुलेंस सेवा पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. लचर सेवा के चलते कंपनी द्वारा लगाए गए बिल का पूरा भुगतान नहीं किया. ऐसे में तय नियमों के मुताबिक, सेवा का संचालन न पाए जाने पर जुर्माना लगाया जाएगा. स्वास्थ्य महानिदेशालय के अपर निदेशक डीके सिंह ने बताया कंपनी पर जुर्माना कितना लगेगा. इसका आंकलन किया जा रहा है.

लखनऊ: यूपी में चिकित्सा संस्थानों में डीएम (Doctorate of Medicine) और एमसीएच डिग्री लेने के बाद डॉक्टरों की नियुक्ति का मामला गरम हो गया है. पहले जहां ये डॉक्टर बांड नीति को लेकर आक्रामक रहे. वहीं, अब चिकित्सा शिक्षा विभाग की नोटिस के अगले दिन बाद काउंसलिंग फैसला देख भड़क गए. नोटिस का वक्त न्यूनतम देख डॉक्टरों ने 7 दिन का वक्त मांगा है. सुनवाई न होने पर आंदोलन का एलान किया है.


डीएम (डॉक्टरेट ऑफ मेडिसिन) व एमसीएच की डिग्री लेने के बाद डॉक्टरों को निर्धारित अवधि तक सरकारी संस्थान में काम करना अनिवार्य है. ऐसा न करने पर सरकारी राशि बांड के तौर पर भरनी होती है. इन डॉक्टरों को दो साल सेवा देना अनिवार्य है. इसके लिए उनकी नियुक्ति असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर की जानी है. सुपर स्पेशियलिटी की डिग्री लेने वाले डॉक्टर ने सेंट्रल काउंसलिंग कराने की मांग की थी. ऐसे में एसपीजीआई रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने शुक्रवार को चिकित्सा शिक्षा मंत्री सुरेश खन्ना (Medical Education Minister Suresh Khanna) से भेंट की. चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने उनकी मांग का समर्थन किया. चिकित्सा शिक्षा महानिदेशालय को निर्देश दिया कि काउंसलिंग कराई जाए.



डॉक्टरों ने लगाया साजिश का आरोप
डॉक्टरों के मुताबिक, चिकित्सा शिक्षा महानिशालय ने शुक्रवार को अचानक शनिवार को काउंसलिंग की नोटिस जारी कर दी है. ऐसे में सभी डॉक्टरों का गुस्सा भड़क उठा. डॉक्टरों का कहना है कि बहुत से चिकित्सकों के परिवारीजन बीमार चल रहे हैं. दूर-दराज परिवार के सदस्यों को इलाज मुहैया कराने गए हैं. ऐसे में 24 घंटे में काउंसिलिंग नियमों के अनुसार नहीं है. डॉक्टरों ने काउंसिलिंग में घालमेल और साजिश का आरोप लगाया.



एसपीजीआई रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन के महामंत्री डॉ. अनिल गंगवार ने बताया कि केजीएमयू सुपर स्पेशियलिटी डॉक्टरों को खाली पदों के सापेक्ष रखने की बात पर सहमत है. वहीं, एसपीजीआई सहित दूसरे संस्थानों ने असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर रखने से मना कर दिया है. अफसर खाली पदों का ब्यौरा छिपा रहे हैं. दूसरी तरफ सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को नियुक्त करने से मना किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि काउंसिलिंग का पूरा ब्यौरा जारी होना चाहिए. इसमें किस संस्थान में कितनी खाली सीटें हैं. यह लिस्ट जारी हो. आरक्षण रोस्टर के अनुसार काउंसिलिंग की जाए. काउंसिलिंग नोटिस 7 दिन पहले जारी हो. सुनवाई न होने पर एसजीपीजीआई, लोहिया और केजीएमयू के डॉक्टर चिकित्सा शिक्षा के कार्यालय में आन्दोलन करेंगे.



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स्वास्थ्य विभाग ने अब एडवांस एंबुलेंस सेवा पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. लचर सेवा के चलते कंपनी द्वारा लगाए गए बिल का पूरा भुगतान नहीं किया. ऐसे में तय नियमों के मुताबिक, सेवा का संचालन न पाए जाने पर जुर्माना लगाया जाएगा. स्वास्थ्य महानिदेशालय के अपर निदेशक डीके सिंह ने बताया कंपनी पर जुर्माना कितना लगेगा. इसका आंकलन किया जा रहा है.

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