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कोरोना काल में OPD सेवाओं पर बंदिशें, RTPCR टेस्ट के बाद देखे जा रहे मरीज

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Published : Apr 4, 2021, 9:25 AM IST

कोरोना वायरस का खतरा बढ़ते ही राजधानी लखनऊ स्थित अस्पतालों ने सख्ती बढ़ा दी गई है. अस्पताल की OPD के लिए रजिस्ट्रेशन कराने वाले मरीजों के लिए आरटी पीसीआर टेस्ट कराना अनिवार्य कर दिया गया है. अब आरटीपीसीआर टेस्ट नेगेटिव आने के बाद ही डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे हैं.

कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद PGI में देखे जा रहे मरीज
कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद PGI में देखे जा रहे मरीज

लखनऊ: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच राजधानी स्थित अस्पतालों की ओपीडी में लोगों की कमी देखी जा रही है. आम दिनों के मुकाबले आधे से भी कम मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं. पहले सामान्य ओपीडी में 800 लोग रजिस्ट्रेशन कराते थे. वहीं अब संक्रमण की आशंका के चलते लगभग 300 से 400 के बीच मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं. राजधानी स्थित लोहिया और पीजीआई से मरीज बिना इलाज के ही लौट रहे हैं. क्योंकि, अस्पतालों में भर्ती होने के लिए कोरोना जांच की रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई है. ऐसे में पंजीकरण कराने के बाद भी ऐसे मरीज लौट रहे हैं, जिनके पास कोविड रिपोर्ट नहीं हैं. क्योंकि, ऐसे मरीज ओपीडी में डॉक्टर से नहीं मिल पा रहे. ऐसी स्थिति में बड़ी संख्या में मरीज बिना डॉक्टर से परामर्श लिए ही लौट रहे हैं.

जानकारी देतीं संवाददाता.
लोहिया में रोजाना लौट रहे दर्जनों मरीजडॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में रोजाना करीब 500 से 600 लोग ओपीडी में डॉक्टर से मिलने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करवाते हैं, लेकिन इस समय कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. रोजाना राजधानी में कोरोना संक्रमण के 900 मामले सामने आ रहे हैं. इसलिए एहतियातन अस्पताल प्रशासन ने सख्ती बढ़ा दी है. ओपीडी में डॉक्टर से परामर्श से पहले कोरोना जांच रिपोर्ट लानी अनिवार्य कर दी गई है. इस वजह से सामान्य मरीज बिना डॉक्टर से मिले घर लौट रहे हैं. इमरजेंसी केस को ट्रामा सेंटर में भेज दिया जाता है.

इसे भी पढ़ें-कोरोना का कहर : डासना जेल के अंदर बनाया गया अस्थायी कारागार

कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद PGI में देखे जा रहे मरीज
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) ने कोरोना को देखते हुए एहतियातन कदम उठाए हैं. प्रतिदिन आरसीएच में 12 से 15 कोरोना संक्रमित पहुंच रहे हैं. इस कारण ओपीडी, लैब और वार्ड में मरीज के साथ एक ही परिजन को प्रवेश की अनुमति दी गई है. गुर्दे के मरीजों, कैंसर के मरीजों, थैलेसीमिया और हीमोफीलिया के मरीजों को आरटीपीसीआर टेस्ट नेगेटिव आने के बाद इलाज दिया जा रहा है. आकस्मिक सेवाओं को भी कोरोना प्रोटोकॉल के साथ देखा जा रहा है.

इसे भी पढ़ें-एक दिन में मिले 398 नये कोरोना संक्रमित, 3 की मौत

ओपीडी में मरीजों की संख्या हुई कम
हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल में रोजाना तकरीबन 250 मरीज ओपीडी में आते थे, लेकिन पिछले दो-तीन दिन से ओपीडी में आने वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या कम है. इस वक्त ओपीडी में महज 100 से 140 महिला मरीज ही डॉक्टर से परामर्श लेने पहुंच रही हैं. ज्यादातर महिलाओं को आरटीपीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट नहीं होने के कारण लौटना पड़ रहा है. सीएमएस डॉ. रंजना खरे ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण ओपीडी में मरीजों की संख्या बेहद कम हो गई है. बलरामपुर अस्पताल में पहले 400 से 600 मरीज ओपीडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाते थे. इस समय सिर्फ 400 मरीज ही रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं.

लखनऊ: कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों के बीच राजधानी स्थित अस्पतालों की ओपीडी में लोगों की कमी देखी जा रही है. आम दिनों के मुकाबले आधे से भी कम मरीज इलाज कराने पहुंच रहे हैं. पहले सामान्य ओपीडी में 800 लोग रजिस्ट्रेशन कराते थे. वहीं अब संक्रमण की आशंका के चलते लगभग 300 से 400 के बीच मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं. राजधानी स्थित लोहिया और पीजीआई से मरीज बिना इलाज के ही लौट रहे हैं. क्योंकि, अस्पतालों में भर्ती होने के लिए कोरोना जांच की रिपोर्ट अनिवार्य कर दी गई है. ऐसे में पंजीकरण कराने के बाद भी ऐसे मरीज लौट रहे हैं, जिनके पास कोविड रिपोर्ट नहीं हैं. क्योंकि, ऐसे मरीज ओपीडी में डॉक्टर से नहीं मिल पा रहे. ऐसी स्थिति में बड़ी संख्या में मरीज बिना डॉक्टर से परामर्श लिए ही लौट रहे हैं.

जानकारी देतीं संवाददाता.
लोहिया में रोजाना लौट रहे दर्जनों मरीजडॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल में रोजाना करीब 500 से 600 लोग ओपीडी में डॉक्टर से मिलने के लिए ऑनलाइन पंजीकरण करवाते हैं, लेकिन इस समय कोरोना वायरस के मामले बढ़ रहे हैं. रोजाना राजधानी में कोरोना संक्रमण के 900 मामले सामने आ रहे हैं. इसलिए एहतियातन अस्पताल प्रशासन ने सख्ती बढ़ा दी है. ओपीडी में डॉक्टर से परामर्श से पहले कोरोना जांच रिपोर्ट लानी अनिवार्य कर दी गई है. इस वजह से सामान्य मरीज बिना डॉक्टर से मिले घर लौट रहे हैं. इमरजेंसी केस को ट्रामा सेंटर में भेज दिया जाता है.

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कोविड-19 रिपोर्ट नेगेटिव आने के बाद PGI में देखे जा रहे मरीज
संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) ने कोरोना को देखते हुए एहतियातन कदम उठाए हैं. प्रतिदिन आरसीएच में 12 से 15 कोरोना संक्रमित पहुंच रहे हैं. इस कारण ओपीडी, लैब और वार्ड में मरीज के साथ एक ही परिजन को प्रवेश की अनुमति दी गई है. गुर्दे के मरीजों, कैंसर के मरीजों, थैलेसीमिया और हीमोफीलिया के मरीजों को आरटीपीसीआर टेस्ट नेगेटिव आने के बाद इलाज दिया जा रहा है. आकस्मिक सेवाओं को भी कोरोना प्रोटोकॉल के साथ देखा जा रहा है.

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ओपीडी में मरीजों की संख्या हुई कम
हजरतगंज स्थित वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल में रोजाना तकरीबन 250 मरीज ओपीडी में आते थे, लेकिन पिछले दो-तीन दिन से ओपीडी में आने वाली गर्भवती महिलाओं की संख्या कम है. इस वक्त ओपीडी में महज 100 से 140 महिला मरीज ही डॉक्टर से परामर्श लेने पहुंच रही हैं. ज्यादातर महिलाओं को आरटीपीसीआर की नेगेटिव रिपोर्ट नहीं होने के कारण लौटना पड़ रहा है. सीएमएस डॉ. रंजना खरे ने बताया कि कोरोना वायरस के कारण ओपीडी में मरीजों की संख्या बेहद कम हो गई है. बलरामपुर अस्पताल में पहले 400 से 600 मरीज ओपीडी के लिए रजिस्ट्रेशन करवाते थे. इस समय सिर्फ 400 मरीज ही रजिस्ट्रेशन करा रहे हैं.

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