लखनऊ: भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने और उत्तर प्रदेश में ब्लास्ट करने के लिए हथियार और विस्फोटक एकत्र करके आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोपों में गिरफ्तार किये गए अल कायदा के सहयोगी संगठन अंसार गज़वातुल हिन्द के कथित आतंकी सदस्यों मुशीरुद्दीन, मिनहाज, शकील, मुस्तकीम और मोहम्मद मोईद को आरोपों से उन्मोचित करने की मांग वाली डिस्चार्ज अर्जियों को एनआईए के विशेष न्यायाधीश अनुरोध मिश्र ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने अभियुक्तों पर आरोप तय करने के लिए 28 सितम्बर की तारीख तय करते हुए, उन्हें जेल से तलब भी किया है.
अभियुक्तों की ओर से उन्हें आरोपों से अवमुक्त करने की मांग वाली अलग-अलग अर्जियां दाखिल की गई थीं. इनमें कहा गया था कि अभियुक्तों ने कोई अपराध नहीं किया बल्कि उन्हें नियम विरुद्ध तरीके से गिरफ्तार कर इस मामले में फंसा दिया गया है. एनआईए के वकील ने अर्जियों का विरोध करते हुए, कोर्ट को बताया कि इस मामले की रिपोर्ट 11 जुलाई को एटीएस ने गोमती नगर थाने में दर्ज कराई थी, बाद में मामला एनआईए को सौंप दिया गया.
एनआईए ने इस मामले में 29 जुलाई 2021 को दूसरी रिपोर्ट दर्ज करके विवेचना शुरू की. विवेचना में पता चला कि पाकिस्तान और अफगानिस्तान बॉर्डर से आतंकवादी गतिविधियां संचालित करने वाले अल कायदा के आतंकी उमर हेलमण्डी ने भारत मे आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए संगठन में सदस्यो की भर्ती करने के निर्देश दिए हैं. जम्मू कश्मीर स्थित अल कायदा के हैंडलर(al-Qaeda handles) ने अभियुक्त मिनहाज को ऑनलाइन संपर्क किया.
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आरोपी मिनहाज ने आतंकियों के साथ साजिश में शामिल होकर अल कायदा के सहयोगी संगठन अंसार ग़ज़वातुल हिन्द के लिए सदस्यों की भर्ती की. कहा गया कि मिनहाज ने मुशीरुद्दीन को यूपी में आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के लिए भर्ती किया. आरोप है कि मिनहाज और मुशीर ने धमाके करके भारत सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए हथियार, बम एकत्र किए और धमाकों के स्थान को चिन्हित किया. वहीं, अन्य तीनो आरोपियों शकील, मोहम्मद मुस्तकीम और मोहम्मद मोईद भी इस साजिश में शामिल रहे. एनआईए ने विवेचना के दौरान आरोपियों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ साक्ष्य मिलने पर चार्ज शीट दाखिल की.
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