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लखनऊ: कोरोना काल के दौरान भी बनते रहे दिव्यांग प्रमाण पत्र

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Published : Nov 12, 2020, 12:42 AM IST

Updated : Nov 18, 2020, 4:36 PM IST

यूपी की राजधानी लखनऊ में कोरोना काल के दौरान भी जिला दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग द्वारा जून से अक्टूबर तक 491 दिव्यांग प्रमाण पत्र बनाए गए. इन पांच महीनों में 1200 दिव्यांगों ने आवेदन किया. इसमें 491 लोगों को सही पाते हुए प्रमाण पत्र दिया गया. इसके बाद विभाग में अभी एक भी आवेदन लंबित नहीं है.

कोरोना काल के दौरान भी बनते रहे दिव्यांग प्रमाण पत्र.
कोरोना काल के दौरान भी बनते रहे दिव्यांग प्रमाण पत्र.

लखनऊ: शारीरिक रूप से अशक्त व्यक्तियों को सरकार द्वारा दिव्यांग प्रमाण पत्र दिया जाता है. जिससे कि उनके जीवन की कठिनाइयों को कम किया जा सके. इसी कड़ी में दिव्यांगों को यह प्रमाण पत्र मिलता है. जिसके माध्यम से दिव्यांग जनों को कई सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं व अन्य सभी सरकारी सेवाओं में सुविधाएं मिलती हैं. लेकिन इस साल की शुरुआत में ही लॉकडाउन लगने की वजह से इस कार्य के धीमे होने के आसार थे, लेकिन इसके बावजूद भी राजधानी में अधिकारियों द्वारा बेहतर प्रयास करके दिव्यांग जनों को प्रमाण पत्र दिया गया.

कोरोना काल के दौरान भी बनते रहे दिव्यांग प्रमाण पत्र.

5 महीने में बना दिए 491 दिव्यांगता प्रमाण पत्र
लॉकडाउन और कोरोना काल की वजह से मार्च से लेकर के मई तक कोई भी कार्य पूरी तरह से नहीं हो पा रहे थे. लोग अपने घर से नहीं निकल पा रहे थे, जिसकी वजह से इन कुछ महीनों में लोगों के आवेदन दिव्यांग का प्रमाण पत्र के लिए नहीं आए, लेकिन मई के बाद से ही जब लोगों को हल्की अनुमति आने जाने की मिलने लगी, तो वापस से जिला दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग में आवेदन आना के शुरू हो गए. जून से अक्टूबर तक 491 दिव्यांग का प्रमाण पत्र बनाए.

माहजारी दिव्यांग प्रमाण पत्र
जून85
जुलाई88
अगस्त101
सितम्बर97
अक्टूबर120
कुल491

एक भी आवेदन लंबित नहीं
जिला दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन जैसे हालातों से गुजरा. इसके बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि विभाग में अचानक से दिव्यांगों के प्रमाण पत्र के आवेदनों की संख्या काफी ज्यादा होगी, लेकिन जिला दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग मार्च से लेकर के मई तक की बंदी के बाद जब जून में खुला तो, उसके खुलने के 5 महीने तक लगभग 1200 लोगों के आवेदन अब तक प्रमाण पत्र के लिए आए और सभी को वेरीफाई किया गया. उनमें से 491 लोगों को सही पाते हुए प्रमाण पत्र दिया गया. इसके बाद विभाग में अभी एक भी आवेदन लंबित नहीं है. जिन सभी के आवेदन सही कागजातों के साथ आए थे. उन सभी को प्रमाणित करते हुए दिव्यांग का प्रमाण पत्र विभाग की तरफ से दे दिया गया है.

710 लोगों के नहीं बन पाया दिव्यांगता प्रमाण पत्र
लॉकडाउन लगने के बाद जून में दिव्यांग का प्रमाण पत्र के लिए आवेदन आना शुरू हुए, तब से लेकर के अक्टूबर के माह तक करीब 12 सौ लोगों के आवेदन आए. जिनमें से 491 लोगों के प्रमाण पत्र वेरीफाइड करके बना दिए गए. वहीं 791 लोगों के दिव्यांगता का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आए आवेदनों में त्रुटियां होने की वजह से उनके आवेदनों को रद्द कर दिया गया. रद्द होने वाले आवेदन में ज्यादातर आवेदकों के फॉर्म में तमाम तरह की गलतियां पाई जा रही थी. इसके बाद उन को चिन्हित कर उन सभी के आवेदनों को रद्द किया गया. इसके बारे में जिला दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकारी कमलेश वर्मा ने बताया की जून से लेकर अक्टूबर तक करीब 12 सौ आवेदन हमारे पास आए इस दौरान 491 लोगों को प्रमाण पत्र दिया गया.

जिनके पास प्रमाण पत्र उनको नहीं मिल रहा लाभ
वहीं जिनके पास यह प्रमाणपत्र है, उनको इस योजना का लाभ तक नहीं मिल रहा. ऐसे दो मामले राजधानी लखनऊ में सामने आए, जिनके पास प्रमाण पत्र तो था. लेकिन उनके अकाउंट में हर माह आने वाला भत्ता अभी तक नहीं पहुंच रहा था. इसके साथ साल लॉकडाउन के दौरान उन्हें तमाम तरह की समस्याएं भी झेलनी पड़ी. इसी कड़ी में राजधानी लखनऊ के दिव्यांग व्यक्ति छोटू ने बताया कि उनके पास दिव्यांग का प्रमाण पत्र है. लेकिन उन्हें इस योजना के तहत मिलने वाली सेवाएं नहीं मिल पा रही है. वहीं दूसरा मामला भी कुछ ऐसा ही था, जिसमें दिव्यांग रिजवान बताते हैं कि उनके पास भी दिव्यांग का प्रमाण पत्र हैं, लेकिन उसके बाद भी उन्हें इस कार्ड का लाभ नहीं मिला और उन्हें लॉकडाउन के दौरान तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

जिन भी लोगों के दिव्यांगता का प्रमाण पत्र बने हैं. उन सभी को सरकारी सेवा में मिलने वाले लाभ व इसके साथ-साथ मिलने वाला भत्ता उनके खाते में पहुंचाया जा रहा है. जिससे कि दिव्यांगों के जीवन को आसान किया जा सके और उनकी समस्याओं को कम भी किया जा सके.
-कमलेश वर्मा, जिला दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकारी, लखनऊ

लखनऊ: शारीरिक रूप से अशक्त व्यक्तियों को सरकार द्वारा दिव्यांग प्रमाण पत्र दिया जाता है. जिससे कि उनके जीवन की कठिनाइयों को कम किया जा सके. इसी कड़ी में दिव्यांगों को यह प्रमाण पत्र मिलता है. जिसके माध्यम से दिव्यांग जनों को कई सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं व अन्य सभी सरकारी सेवाओं में सुविधाएं मिलती हैं. लेकिन इस साल की शुरुआत में ही लॉकडाउन लगने की वजह से इस कार्य के धीमे होने के आसार थे, लेकिन इसके बावजूद भी राजधानी में अधिकारियों द्वारा बेहतर प्रयास करके दिव्यांग जनों को प्रमाण पत्र दिया गया.

कोरोना काल के दौरान भी बनते रहे दिव्यांग प्रमाण पत्र.

5 महीने में बना दिए 491 दिव्यांगता प्रमाण पत्र
लॉकडाउन और कोरोना काल की वजह से मार्च से लेकर के मई तक कोई भी कार्य पूरी तरह से नहीं हो पा रहे थे. लोग अपने घर से नहीं निकल पा रहे थे, जिसकी वजह से इन कुछ महीनों में लोगों के आवेदन दिव्यांग का प्रमाण पत्र के लिए नहीं आए, लेकिन मई के बाद से ही जब लोगों को हल्की अनुमति आने जाने की मिलने लगी, तो वापस से जिला दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग में आवेदन आना के शुरू हो गए. जून से अक्टूबर तक 491 दिव्यांग का प्रमाण पत्र बनाए.

माहजारी दिव्यांग प्रमाण पत्र
जून85
जुलाई88
अगस्त101
सितम्बर97
अक्टूबर120
कुल491

एक भी आवेदन लंबित नहीं
जिला दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग कोरोना के दौरान लगे लॉकडाउन जैसे हालातों से गुजरा. इसके बाद यह उम्मीद जताई जा रही थी कि विभाग में अचानक से दिव्यांगों के प्रमाण पत्र के आवेदनों की संख्या काफी ज्यादा होगी, लेकिन जिला दिव्यांग सशक्तिकरण विभाग मार्च से लेकर के मई तक की बंदी के बाद जब जून में खुला तो, उसके खुलने के 5 महीने तक लगभग 1200 लोगों के आवेदन अब तक प्रमाण पत्र के लिए आए और सभी को वेरीफाई किया गया. उनमें से 491 लोगों को सही पाते हुए प्रमाण पत्र दिया गया. इसके बाद विभाग में अभी एक भी आवेदन लंबित नहीं है. जिन सभी के आवेदन सही कागजातों के साथ आए थे. उन सभी को प्रमाणित करते हुए दिव्यांग का प्रमाण पत्र विभाग की तरफ से दे दिया गया है.

710 लोगों के नहीं बन पाया दिव्यांगता प्रमाण पत्र
लॉकडाउन लगने के बाद जून में दिव्यांग का प्रमाण पत्र के लिए आवेदन आना शुरू हुए, तब से लेकर के अक्टूबर के माह तक करीब 12 सौ लोगों के आवेदन आए. जिनमें से 491 लोगों के प्रमाण पत्र वेरीफाइड करके बना दिए गए. वहीं 791 लोगों के दिव्यांगता का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के लिए आए आवेदनों में त्रुटियां होने की वजह से उनके आवेदनों को रद्द कर दिया गया. रद्द होने वाले आवेदन में ज्यादातर आवेदकों के फॉर्म में तमाम तरह की गलतियां पाई जा रही थी. इसके बाद उन को चिन्हित कर उन सभी के आवेदनों को रद्द किया गया. इसके बारे में जिला दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकारी कमलेश वर्मा ने बताया की जून से लेकर अक्टूबर तक करीब 12 सौ आवेदन हमारे पास आए इस दौरान 491 लोगों को प्रमाण पत्र दिया गया.

जिनके पास प्रमाण पत्र उनको नहीं मिल रहा लाभ
वहीं जिनके पास यह प्रमाणपत्र है, उनको इस योजना का लाभ तक नहीं मिल रहा. ऐसे दो मामले राजधानी लखनऊ में सामने आए, जिनके पास प्रमाण पत्र तो था. लेकिन उनके अकाउंट में हर माह आने वाला भत्ता अभी तक नहीं पहुंच रहा था. इसके साथ साल लॉकडाउन के दौरान उन्हें तमाम तरह की समस्याएं भी झेलनी पड़ी. इसी कड़ी में राजधानी लखनऊ के दिव्यांग व्यक्ति छोटू ने बताया कि उनके पास दिव्यांग का प्रमाण पत्र है. लेकिन उन्हें इस योजना के तहत मिलने वाली सेवाएं नहीं मिल पा रही है. वहीं दूसरा मामला भी कुछ ऐसा ही था, जिसमें दिव्यांग रिजवान बताते हैं कि उनके पास भी दिव्यांग का प्रमाण पत्र हैं, लेकिन उसके बाद भी उन्हें इस कार्ड का लाभ नहीं मिला और उन्हें लॉकडाउन के दौरान तमाम तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा.

जिन भी लोगों के दिव्यांगता का प्रमाण पत्र बने हैं. उन सभी को सरकारी सेवा में मिलने वाले लाभ व इसके साथ-साथ मिलने वाला भत्ता उनके खाते में पहुंचाया जा रहा है. जिससे कि दिव्यांगों के जीवन को आसान किया जा सके और उनकी समस्याओं को कम भी किया जा सके.
-कमलेश वर्मा, जिला दिव्यांग सशक्तिकरण अधिकारी, लखनऊ

Last Updated : Nov 18, 2020, 4:36 PM IST

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