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अपनी दुर्दशा के आंसू बहा रहे गोमती नदी के घाट

राजधानी लखनऊ की गोमती नदी के घाटों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है. दरअसल, जिला प्रशासन व स्थानीय लोग दोनों ही इस गंदगी के जिम्मेदार हैं.

गोमती नदी के घाटों पर गंदगी का अंबार.
गोमती नदी के घाटों पर गंदगी का अंबार.
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Published : Oct 28, 2020, 10:48 AM IST

लखनऊ: राजधानी की जीवनदायिनी नदी गोमती के तट पर बने घाट अब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं. जिला प्रशासन से लेकर स्थानीय लोग इन घाटों की साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देते, जिसके चलते इन घाटों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

गोमती नदी के घाटों पर गंदगी का अंबार.

गोमती नदी के घाट पर रहने वाले वीरेंद्र कुमार द्विवेदी का कहना है कि राजधानी में गोमती नदी के तट पर करीब 12 से अधिक घाट हैं. पहले इन घाटों का सुंदरीकरण हुआ करता था तो साफ सफाई बनी रहती थी. त्योहारों के समय में इन घाटों पर बड़ी संख्या में स्नान के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होता. जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों की उपेक्षा के चलते घाटों पर गंदगी की भरमार है. गोमती नदी का पानी अब आचमन लायक भी नहीं है.

गोमती नदी के घाटों पर सुबह शाम नहाने वालों की भीड़ लगती थी, लेकिन जिस तरह से गंदगी बढ़ी है, उससे न तो अब लोगों की भीड़ दिखती है और न ही लोग स्नान के लिए आते हैं. लखनऊ के इन घाटों पर गंदगी के लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोग भी कम जिम्मेदार नहीं है. स्थानीय निवासी बंसराज का कहना है कि जिला प्रशासन व स्थानीय लोग दोनों की इन घाटों को साफ सुथरा करने की जिम्मेदारी है, लेकिन दोनों ही अपने काम से कतरा रहे हैं.

लखनऊ: राजधानी की जीवनदायिनी नदी गोमती के तट पर बने घाट अब अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहे हैं. जिला प्रशासन से लेकर स्थानीय लोग इन घाटों की साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देते, जिसके चलते इन घाटों पर गंदगी का अंबार लगा हुआ है.

गोमती नदी के घाटों पर गंदगी का अंबार.

गोमती नदी के घाट पर रहने वाले वीरेंद्र कुमार द्विवेदी का कहना है कि राजधानी में गोमती नदी के तट पर करीब 12 से अधिक घाट हैं. पहले इन घाटों का सुंदरीकरण हुआ करता था तो साफ सफाई बनी रहती थी. त्योहारों के समय में इन घाटों पर बड़ी संख्या में स्नान के लिए लोगों की भीड़ इकट्ठा होती थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होता. जिला प्रशासन और स्थानीय लोगों की उपेक्षा के चलते घाटों पर गंदगी की भरमार है. गोमती नदी का पानी अब आचमन लायक भी नहीं है.

गोमती नदी के घाटों पर सुबह शाम नहाने वालों की भीड़ लगती थी, लेकिन जिस तरह से गंदगी बढ़ी है, उससे न तो अब लोगों की भीड़ दिखती है और न ही लोग स्नान के लिए आते हैं. लखनऊ के इन घाटों पर गंदगी के लिए जिला प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय लोग भी कम जिम्मेदार नहीं है. स्थानीय निवासी बंसराज का कहना है कि जिला प्रशासन व स्थानीय लोग दोनों की इन घाटों को साफ सुथरा करने की जिम्मेदारी है, लेकिन दोनों ही अपने काम से कतरा रहे हैं.

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