लखनऊ : गैंगस्टर एक्ट के दुरुपयोग के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए हाईकोर्ट की सख्ती के बाद पुलिस महानिदेशक ने इस सम्बंध में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं. वहीं न्यायालय ने आदेश दिया है कि उक्त दिशानिर्देशों का पालन न करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए. दिशानिर्देश में एक महत्वपूर्ण प्रावधान जोड़ते हुए कहा गया है कि गैंगस्टर एक्ट के तहत पंजीकृत अभियोगों की विवेचना अनिवार्यतः दूसरे थाने के थाना प्रभारी द्वारा ही कराई जाएगी व जिन आपराधिक मुकदमों को आधार बनाकर गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा चुकी है, उसी को आधार बनाकर पुनः कार्रवाई नहीं की जाएगी. यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल सदस्यीय पीठ ने मनोज कुमार निर्मल की जमानत याचिका पर पारित किया.
गैंगस्टर एक्ट का किया जा रहा दुरुपयोग
याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने पाया था कि पुलिस द्वारा गैंगस्टर एक्ट के प्रावधानों का दुरुपयोग किया जा रहा है. साधारण अपराध के अभियुक्तों पर भी गैंगस्टर एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की जा रही हैं. न्यायालय ने इस स्थिति पर चिंता प्रकट करते हुए पुलिस महानिदेशक को आदेश दिया था कि गैंगस्टर एक्ट के दुरूपयोग को रोकने के लिए गाइडलाइंस बनाए जाएं. न्यायालय ने यह भी स्पष्ट किया था कि यदि वह ऐसा करने में विफल रहते हैं तो कोर्ट इस सम्बंध में विस्तृत निर्णय पारित करेगी.
9 दिसंबर को बनाई गई नई गाइडलाइन
आदेश के अनुपालन में राज्य सरकार के अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह ने न्यायालय को बताया कि वर्ष 2014 में इस सम्बंध में एक गाइडलाइन बनाई गई थी, हालांकि न्यायालय के वर्तमान आदेश के अनुपालन में 9 दिसम्बर 2020 को नई गाइडलाइन बनाई जा चुकी है. इस सम्बंध में डीजीपी का हलफनामा भी प्रस्तुत किया गया है. नई गाइडलाइन में यह भी कहा गया है कि जिन मामलों में अन्तिम रिपोर्ट भेजी जा चुकी हो या अभियुक्त को दोषमुक्त किया जा चुका हो, उन्हें गैंगचार्ट के आपराधिक विवरण में शामिल न किया जाए. गैंगचार्ट तैयार करने वाले थाना प्रभारी द्वारा गैंगचार्ट के नीचे आपराधिक विवरण पूर्णतया सही होने का एक नोट अंकित किया जाएगा. इसके साथ ही थाना प्रभारी द्वारा गैंगचार्ट में प्रत्येक अभियुक्त के विरुद्ध पंजीकृत मुकदमों के परिणाम का भी उल्लेख किया जाएगा.