लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) की बसों से डीजल चोरी का सिलसिला बदस्तूर जारी है. खास बात ये है कि डीजल चोरी के मामले उजागर होने पर सख्त कार्रवाई भी होती है. अधिकारियों को जेल तक जाना पड़ता है, साथ ही सस्पेंड भी किया जाता है. वहीं, संविदा कर्मचारी तो नौकरी से ही हाथ धो बैठते हैं. बावजूद इसके डीजल चोरी का यह सिलसिला थम नहीं रहा है. अब तक दर्जनों की संख्या में अकेले लखनऊ में ही कर्मचारियों पर डीजल चोरी के मामलों में कार्रवाई हो चुकी है. प्रदेश में यह संख्या सैकड़ों में है. कई अधिकारी भी निलंबन के दायरे में आ चुके हैं, लेकिन अब भी अधिकारी और कर्मचारी सबक नहीं ले रहे हैं.
एक दिन पहले ही मुरादाबाद परिक्षेत्र के नजीबाबाद डिपो से डीजल चोरी का प्रकरण सामने आया. परिवहन निगम ने बड़ी कार्रवाई की. मुरादाबाद रीजन के आरएम ने नजीबाबाद डिपो के एआरएम प्रभात चौधरी के खिलाफ डीजल चोरी के मामले में तहरीर दी थी. इसके बाद पुलिस ने एआरएम प्रभात चौधरी को गिरफ्तार कर लिया. इसके अलावा नियमित चालक को निलंबित कर एफआईआर कराई गई. रोडवेज के बीसी पर भी एफआईआर दर्ज कराई गई, साथ ही डीजल फिलर को भी आरोपी बनाया गया.
पिंक बस में पकड़ी गई थी चोरी
अवध डिपो की पिंक बस से डीजल चोरी का मामला पिछले साल तीन नवंबर को सामने आया था. बस संख्या यूपी 78 एफएन 7522 के ऑन रोड टेस्ट के दौरान डीजल चोरी का मामला पकड़ा गया था. इस चोरी को पकड़ने के लिए एआरएम ने अपनी टीम लगाई थी. वाहन टेस्ट के दौरान घंटाघर के पास चालक त्रिवेणी प्रसाद ने बस को खड़ा कर दिया. एआरएम की टीम में शामिल हरिओम रोशन और जमाल अहमद से त्रिवेणी ने कहा कि अभी नाश्ता करके आ रहे हैं. काफी देर तक जब चालक त्रिवेणी प्रसाद वापस नहीं आया तो दोनों कर्मचारियों ने नीचे उतर कर देखा, तो डिग्गी बंद कर गैलन में डीजल निकाला जा रहा था. मौके पर ही रंगे हाथ चालक त्रिवेणी प्रसाद को डीजल चोरी करते हुए पकड़ लिया गया. अधिकारियों की तरफ से नौकरी से बाहर करने की कार्रवाई की गई.
डिपो में भी पकड़ा गया डीजल चोर, नौकरी से किया बाहर
अवध डिपो में डीजल चोरी की जांच चल ही रही थी, इससे पहले कैसरबाग डिपो में भी एक ड्राइवर को डीजल चोरी करते हुए पकड़ा गया था. इसके बाद कैसरबाग डिपो के तत्कालीन सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक विमल राजन ने संविदा चालक को नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा दिया था.
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कोरोना काल में भी किया गया खेल
पिछले साल अगस्त माह में लखनऊ एयरपोर्ट से चारबाग डिपो की 65 बसें संचालित की गई थीं. इन बसों की ड्यूटी स्लिप के आधार पर संचालित किलोमीटर और वीटीएस में प्रदर्शित किलोमीटर में काफी फर्क मिला था. सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक (वित्त) ने इस मामले में टीम गठित की थी और इन बसों की ड्यूटी स्लिप के आधार पर संचालित किलोमीटर और वीटीएस में प्रदर्शित किलोमीटर की जांच कराई थी. इसमें पाया गया कि चारबाग डिपो के कुछ वाहनों में वीटीएस से प्रदर्शित किलोमीटर और दिए गए किलोमीटर में भिन्नता है. इसके लिए जिम्मेदार कार्मिकों के खिलाफ एक्शन लिया गया था.
13 चालकों के खिलाफ एआरएम ने की थी कार्रवाई
बसों से डीजल चोरी और वीटीएस में भिन्नता के आधार पर चारबाग डिपो के सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक अमरनाथ सहाय का कहना था कि पहले ही 13 चालकों की प्रतिभूति राशि (सिक्योरिटी मनी) जब्त कर संविदा समाप्त कर दी थी.
ड्राइवर का हुआ था सस्पेंशन
हैदरगढ़ डिपो की एक बस से डीजल चोरी के मामले में जांच रिपोर्ट के बाद कार्रवाई की गई थी. जांच रिपोर्ट के बाद बस से डीजल चोरी के मामले में दो ड्राइवरों को सस्पेंड कर दिया गया था, जबकि बराबर के जिम्मेदार परिचालक पर कोई कार्रवाई नहीं हुई थी.
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इस बारे में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक संजय कुमार का कहना है कि डीजल चोरी के मामलों पर सख्त एक्शन लिया जाता है. बस से डीजल चोरी होने के प्रकरण सामने आते ही गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी. हाल ही में बड़ी कार्रवाई की भी गई है, जिसमें एआरएम को जेल तक जाना पड़ा है.