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पीपीपी मॉडल पर बने डायलिसिस यूनिटों में निशुल्क मिल रही सुविधा, जानें क्यों पड़ती है जरूरत - बलरामपुर अस्पताल में निशुल्क डायलिसिस

उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में पीपीपी माॅडल पर डायलिसिस यूनिट बनाए गए हैं. इन यूनिट में मरीजों की निश्ल्क डायलिसिस की जाती है. कई अस्पतालों में डायलिसिस यूनिट निर्माणाधीन हैं.

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Published : Jun 7, 2023, 9:57 AM IST


लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पीपीपी मॉडल के तहत डायलिसिस यूनिट की शुरुआत की गई थी. 22 पीपीपी मॉडल के तहत डायलिसिस यूनिट की शुरुआत हुई थी. इसके बाद हाल ही में 12 और जिला अस्पतालों में डायलिसिस यूनिट शुरू हुआ. मौजूदा समय में डायलिसिस के लिए मरीज सरकारी जिला अस्पताल में पहुंचते हैं. इसके अलावा बात अगर निजी अस्पताल में डायलिसिस की करते हैं तो वहां पर 10 से 15 लाख का खर्चा आ जाता है. सरकारी अस्पतालों में पीपीपी मॉडल के तहत डायलिसिस यूनिट संचालित हो रही है. राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में प्रदेश के अन्य जिलों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं.

जानें, डायलिसिस की जरूरत क्यों पड़ती है.
जानें, डायलिसिस की जरूरत क्यों पड़ती है.

प्रदेश में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप (पीपीपी) मॉडल पर डायलिसिस यूनिट का संचालन किया जा रहा है. गुर्दे के गंभीर मरीजों को उनके जिले में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. ताकि मरीजों को डायलिसिस के लिए दूसरे जिलों तक दौड़ न लगानी पड़े. गुर्दा मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. ऐसे में रोगियों को डायलिसिस की सुविधा मुहैया कराकर राहत प्रदान की जा रही है. स्वास्थ्य निदेशालय की डीजी हेल्थ डॉ. लिली सिंह ने बताया कि मरीजों की संख्या बढ़ने की दशा में आठ जनपदों में हीमोडायलिसिस बेड बढ़ाये जा रहे हैं.

यूपी में डायलिसिस की सुविधाएं.
यूपी में डायलिसिस की सुविधाएं.


डायलिसिस यूनिट में 109 बेड होंगे : कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, अम्बेडकर नगर, हाथरस, फिरोजाबाद, गाजीपुर, महाराजगंज व लखीमपुर खीरी जिला चिकित्सालय में 71 बेड पर मरीजों की डायलिसिस हो रही है. एक बेड पर एक दिन में तीन से चार मरीजों की डायलिसिस हो रही है. मरीजों का दबाव लगातार बढ़ रहा है. इन जनपदों में करीब 38 बेड बढ़ाए जा रहे हैं. डायलिसिस यूनिट में कुल 109 बेड होंगे. गुर्दा मरीजों के बेहतर इलाज के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. जल्द से जल्द आठ जनपदों की डायलिसिस यूनिट में बेड बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. डायलिसिस यूनिट में पर्याप्त सफाई, आरओ सिस्टम को दुरुस्त रखनें का निर्देश दिया गया है.



40 से 50 मरीजों का हो रही डायलिसिस : बलरामपुर अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. एएन उस्मानी ने बताया कि पीपीपी मॉडल के तहत खुले डायलिसिस यूनिट का लाभ मरीजों को मिल रहा है. डायलिसिस यूनिट में रोजाना 40 से 50 मरीजों का डायलिसिस होता है. डायलिसिस के लिए अस्पताल में कोई शुल्क नहीं लगता है. अस्पताल में सभी सुविधा निशुल्क उपलब्ध है. गुर्दे से पीड़ित मरीजों की संख्या इन दिनों अस्पताल की ओपीडी में काफी आ रही है. अगर किसी मरीज की डायलिसिस शुरू हो जाती है तो वह ताउम्र होती है.



तीमारदारों ने कहा-अच्छी है व्यवस्था : बलरामपुर अस्पताल में डायलिसिस कराने के लिए बाराबंकी की संगीता तिवारी ने कहा कि पिछले छह महीने से पति मुकुल तिवारी का डायलिसिस शुरू हुआ है. फिलहाल चार बार डायलिसिस हो चुका है. इस बार पांचवी बार डायलिसिस कराने के लिए अस्पताल में आए हैं. यहां पर अच्छे से डायलिसिस हो जाता है. सुविधाएं यहां पर अच्छी हैं और यहां के डॉक्टर काफी अच्छे हैं जो पूरी तरह से सपोर्ट करते हैं. लखनऊ के निशातगंज निवासी कौशल कुमार ने बताया कि हाल ही में मां की तबीयत खराब हुई थी. इसके बाद बलरामपुर अस्पताल लेकर उन्हें पहुंचे. यहां पर विशेषज्ञ डॉक्टर ने कहा कि अब उनका डायलिसिस शुरू करना होगा. दूसरी बार डायलिसिस कराने के लिए अस्पताल में आए हैं यहां के डॉक्टर और कर्मचारी सपोर्टिव हैं.





यह भी पढ़ें : केजरीवाल अखिलेश यादव से आज करेंगे मुलाकात, केंद्र के अध्यादेश के खिलाफ मांगेंगे सपोर्ट


लखनऊ : उत्तर प्रदेश में पीपीपी मॉडल के तहत डायलिसिस यूनिट की शुरुआत की गई थी. 22 पीपीपी मॉडल के तहत डायलिसिस यूनिट की शुरुआत हुई थी. इसके बाद हाल ही में 12 और जिला अस्पतालों में डायलिसिस यूनिट शुरू हुआ. मौजूदा समय में डायलिसिस के लिए मरीज सरकारी जिला अस्पताल में पहुंचते हैं. इसके अलावा बात अगर निजी अस्पताल में डायलिसिस की करते हैं तो वहां पर 10 से 15 लाख का खर्चा आ जाता है. सरकारी अस्पतालों में पीपीपी मॉडल के तहत डायलिसिस यूनिट संचालित हो रही है. राजधानी लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में प्रदेश के अन्य जिलों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं.

जानें, डायलिसिस की जरूरत क्यों पड़ती है.
जानें, डायलिसिस की जरूरत क्यों पड़ती है.

प्रदेश में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय डायलिसिस कार्यक्रम के तहत पब्लिक प्राइवेट पार्टनशिप (पीपीपी) मॉडल पर डायलिसिस यूनिट का संचालन किया जा रहा है. गुर्दे के गंभीर मरीजों को उनके जिले में डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है. ताकि मरीजों को डायलिसिस के लिए दूसरे जिलों तक दौड़ न लगानी पड़े. गुर्दा मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है. ऐसे में रोगियों को डायलिसिस की सुविधा मुहैया कराकर राहत प्रदान की जा रही है. स्वास्थ्य निदेशालय की डीजी हेल्थ डॉ. लिली सिंह ने बताया कि मरीजों की संख्या बढ़ने की दशा में आठ जनपदों में हीमोडायलिसिस बेड बढ़ाये जा रहे हैं.

यूपी में डायलिसिस की सुविधाएं.
यूपी में डायलिसिस की सुविधाएं.


डायलिसिस यूनिट में 109 बेड होंगे : कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, अम्बेडकर नगर, हाथरस, फिरोजाबाद, गाजीपुर, महाराजगंज व लखीमपुर खीरी जिला चिकित्सालय में 71 बेड पर मरीजों की डायलिसिस हो रही है. एक बेड पर एक दिन में तीन से चार मरीजों की डायलिसिस हो रही है. मरीजों का दबाव लगातार बढ़ रहा है. इन जनपदों में करीब 38 बेड बढ़ाए जा रहे हैं. डायलिसिस यूनिट में कुल 109 बेड होंगे. गुर्दा मरीजों के बेहतर इलाज के लिए लगातार कदम उठाए जा रहे हैं. जल्द से जल्द आठ जनपदों की डायलिसिस यूनिट में बेड बढ़ाने के निर्देश दिए गए हैं. डायलिसिस यूनिट में पर्याप्त सफाई, आरओ सिस्टम को दुरुस्त रखनें का निर्देश दिया गया है.



40 से 50 मरीजों का हो रही डायलिसिस : बलरामपुर अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉ. एएन उस्मानी ने बताया कि पीपीपी मॉडल के तहत खुले डायलिसिस यूनिट का लाभ मरीजों को मिल रहा है. डायलिसिस यूनिट में रोजाना 40 से 50 मरीजों का डायलिसिस होता है. डायलिसिस के लिए अस्पताल में कोई शुल्क नहीं लगता है. अस्पताल में सभी सुविधा निशुल्क उपलब्ध है. गुर्दे से पीड़ित मरीजों की संख्या इन दिनों अस्पताल की ओपीडी में काफी आ रही है. अगर किसी मरीज की डायलिसिस शुरू हो जाती है तो वह ताउम्र होती है.



तीमारदारों ने कहा-अच्छी है व्यवस्था : बलरामपुर अस्पताल में डायलिसिस कराने के लिए बाराबंकी की संगीता तिवारी ने कहा कि पिछले छह महीने से पति मुकुल तिवारी का डायलिसिस शुरू हुआ है. फिलहाल चार बार डायलिसिस हो चुका है. इस बार पांचवी बार डायलिसिस कराने के लिए अस्पताल में आए हैं. यहां पर अच्छे से डायलिसिस हो जाता है. सुविधाएं यहां पर अच्छी हैं और यहां के डॉक्टर काफी अच्छे हैं जो पूरी तरह से सपोर्ट करते हैं. लखनऊ के निशातगंज निवासी कौशल कुमार ने बताया कि हाल ही में मां की तबीयत खराब हुई थी. इसके बाद बलरामपुर अस्पताल लेकर उन्हें पहुंचे. यहां पर विशेषज्ञ डॉक्टर ने कहा कि अब उनका डायलिसिस शुरू करना होगा. दूसरी बार डायलिसिस कराने के लिए अस्पताल में आए हैं यहां के डॉक्टर और कर्मचारी सपोर्टिव हैं.





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