लखनऊ : कोरोना वायरस ने लोगों को अपनी चपेट में लेने के साथ ही दूसरी बीमारियों को भी बढ़ा दिया है. राजधानी के लोगों पर इसका असर साफ तौर पर दिख रहा है. कोरोना की चपेट में आने वाले लोगों का शुगर लेवल तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में एक तरफ इन पर वायरस का खतरा है तो दूसरी तरफ डायबिटीज से होने वाली बीमारियों का. राजधानी में हुए एक सर्वे में यह स्पष्ट हो गया है कि कोरोना काल में लोगों की शुगर का औसत बढ़ कर 8.47 फ़ीसदी पहुंच गया है.
शुगर करें नियंत्रित नहीं तो बढ़ेगी समस्या
शुगर लेवल की स्थिति जांचने के लिए चिकित्सक एचबीए-1 सी जांच की सलाह देते हैं. इसके जरिए 3 माह के शुगर लेवल की स्थिति की जानकारी मिल जाती है. यदि शुगर का औसत 5.5 0 फ़ीसदी तक है तो सामान्य माना जाता है. यह बढ़कर 6.50 फ़ीसदी से 7 तक पहुंचा तो प्री डायबिटीज की श्रेणी में आ जाता है. जिन लोगों का 7 से 7.5 0 फ़ीसदी या इससे अधिक होता है उन्हें डायबिटीज का मरीज मान कर इलाज शुरू कर दिया जाता है. राजधानी में नोवो नॉर्डिस्क एजुकेशन फाउंडेशन ने 'इम्पैक्ट इंडिया : 100 डे चैलेंज' प्रोग्राम के तहत सर्वे किया. इस सर्वे में 53 वर्ष की औसत उम्र वाले 600 लोगों को शामिल किया गया था. इसमें 57 फ़ीसदी पुरुष और 43 फ़ीसदी महिलाएं थी. इस दौरान इनका शुगर लेवल जांचने के लिए एचबीए-1 सी जांच कराई गई. जांच के दौरान औसत लेवल 8.47 फीसदी पाया गया. इससे स्पष्ट है कि कोरोना काल के दौरान शुगर के मरीज अपना शुगर लेवल नियंत्रित नहीं रख पा रहे हैं.
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
केजीएमयू मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. कौशल उस्मान का कहना है कि एचबीए-1 सी लेवल का उच्च स्तर पर पहुंचना चिंता का विषय है. डायबिटीज के मरीजों को कोरोना वायरस का खतरा ज्यादा माना गया है. इन मरीजों को गंभीर स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां 50 फीसदी ज्यादा हैं. ग्लूकोज लेवल पर नजर रखने के लिए, अच्छी जिंदगी अपनाना आवश्यक है. हमें साफ-सुथरा खानपान, रोज एक्सरसाइज और पहले से चल रही दवाओं को नियमित तौर पर लेते रहें. हर डायबिटीज मरीज को ब्लड शुगर लेवल कंट्रोल करने की दवाइयां और ब्लड शुगर मापने के उपकरण घर में रखने चाहिए. अगर सांस लेने में तकलीफ, बुखार, सूखी खांसी, थकान, दर्द, गला सूखना, सिर में दर्द, खाने में स्वाद न आना, सुगंध न आना जैसे लक्षण महसूस होते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें.