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4 दिन बाद है देवउठनी एकादशी,इस विधि से करें पूजा तो प्रसन्न होंगे विष्णु भगवान

कार्तिक मास को धार्मिक दृष्टि से विशेष माना जाता है। इस महीने में माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में देवउठनी एकादशी भी आती है। हिंदू पचांग के अनुसार, कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवउठनी एकादशी कहा जाता है। यह तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चार महीने बाद भगवान विष्णु योग निद्रा से उठते हैं। इस तिथि से ही मांगलिक कार्यों प्रारंभ हो जाते हैं।

4 दिन बाद है देवउठनी एकादशी
4 दिन बाद है देवउठनी एकादशी
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Published : Nov 11, 2021, 7:32 AM IST

Updated : Nov 11, 2021, 8:48 AM IST

शिमला: हिन्दू धर्म में हर पर्व और त्यौहार का अलग महत्व है, लेकिन दो पर्व ऐसे होते हैं, जिनसे सनातन धर्म में वर्ष भर के शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ और अशुभ समयावधि को निर्धारित किया जाता है. ये पर्व हैं देवशयनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी. आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी या फिर प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. प्रत्येक वर्ष देवशयनी एकादशी के बाद से सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है, तो वहीं दूसरी ओर देवोत्थान एकादशी के बाद शुभ और मांगलिक कार्यों का दौर शुरू हो जाता है. इसलिए हिन्दू पंचांग के अनुसार इस दिन को विशेष माना जाता है.

मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को क्षीरसागर में विश्राम करने के लिए चले जाते हैं. श्री हरि विष्णु लगभग चार माह तक योग निद्रा में विश्राम करने के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात देवोत्थान एकादशी के दिन निद्रा से जागते हैं. भगवान श्री हरि विष्णु के योग निद्रा से जागने के बाद ही शुभ और मांगलिक कार्यक्रम जैसे मुंडन, शादी, नामकरण आदि शुरू हो जाते हैं

देवउठनी एकादशी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं

भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत में केला, आम, अंगूर आदि के साथ सूखे मेवे जैसे बादाम, पिस्ता आदि का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा सभी प्रकार फल, चीनी, कुट्टू, आलू, साबूदाना, शकरकंद, जैतून, नारियल, दूध, बादाम, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक आदि का सेवन किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण समय

व्रत- देवउत्थान एकादशी

दिन- सोमवार, 15 नवंबर

सूर्योदय- सुबह 06:20 बजे

सूर्यास्त- शाम 05:35 बजे

तिथि- एकादशी, सुबह 06:39 बजे तक

राहुकाल- दोपहर 07:42 बजे से 09:27 बजे तक

योग- वज्र

मान्यताओं के अनुसार इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है, देवोत्थान एकादशी तिथि के दौरान कोई भी शुभ कार्य बिना किसी मुहूर्त का विचार किए बिना किया जा सकता है.

मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति गुरुवार का व्रत (Guruvar vrat) रखकर भगवान विष्णु के मंत्रों (Lord vishnu mantra) का जाप करता है तो उसके जीवन में खुशहाली का वास हो जाता है. सारे कष्ट दूर होकर सुख एवं शांति प्राप्त होती है. विष्णु भगवान के पूजन में उनके गलतियों की क्षमा मांगने पर जाने-अनजाने में किए गए पाप भी क्षमा हो जाते हैं. अगर कोई भी व्यक्ति सच्चे मन से विष्णु जी की पूजा, भजन, स्मरण या मंत्र का जाप (Mantra chanting) करता है तो उसे भगवान को प्रसन्न करने में जल्द सफलता मिल जाती है.

Lord Vishnu Mantra- विष्णुजी के इन मंत्रों का करें जाप

1. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

2. ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय
3. ऊँ नमो नारायणाय नम:
4. ॐ विष्णवे नम:
5. ॐ हूं विष्णवे नम:
6. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

शिमला: हिन्दू धर्म में हर पर्व और त्यौहार का अलग महत्व है, लेकिन दो पर्व ऐसे होते हैं, जिनसे सनातन धर्म में वर्ष भर के शुभ और मांगलिक कार्यों के लिए शुभ और अशुभ समयावधि को निर्धारित किया जाता है. ये पर्व हैं देवशयनी एकादशी और देवोत्थान एकादशी. आषाढ़ माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है तथा कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी को देव उठनी या फिर प्रबोधनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है. प्रत्येक वर्ष देवशयनी एकादशी के बाद से सभी मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाता है, तो वहीं दूसरी ओर देवोत्थान एकादशी के बाद शुभ और मांगलिक कार्यों का दौर शुरू हो जाता है. इसलिए हिन्दू पंचांग के अनुसार इस दिन को विशेष माना जाता है.

मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि को क्षीरसागर में विश्राम करने के लिए चले जाते हैं. श्री हरि विष्णु लगभग चार माह तक योग निद्रा में विश्राम करने के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी अर्थात देवोत्थान एकादशी के दिन निद्रा से जागते हैं. भगवान श्री हरि विष्णु के योग निद्रा से जागने के बाद ही शुभ और मांगलिक कार्यक्रम जैसे मुंडन, शादी, नामकरण आदि शुरू हो जाते हैं

देवउठनी एकादशी में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं

भगवान विष्णु को समर्पित एकादशी व्रत में केला, आम, अंगूर आदि के साथ सूखे मेवे जैसे बादाम, पिस्ता आदि का सेवन किया जा सकता है। इसके अलावा सभी प्रकार फल, चीनी, कुट्टू, आलू, साबूदाना, शकरकंद, जैतून, नारियल, दूध, बादाम, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक आदि का सेवन किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण समय

व्रत- देवउत्थान एकादशी

दिन- सोमवार, 15 नवंबर

सूर्योदय- सुबह 06:20 बजे

सूर्यास्त- शाम 05:35 बजे

तिथि- एकादशी, सुबह 06:39 बजे तक

राहुकाल- दोपहर 07:42 बजे से 09:27 बजे तक

योग- वज्र

मान्यताओं के अनुसार इस दिन को अबूझ मुहूर्त भी माना जाता है, देवोत्थान एकादशी तिथि के दौरान कोई भी शुभ कार्य बिना किसी मुहूर्त का विचार किए बिना किया जा सकता है.

मान्यता है कि अगर कोई व्यक्ति गुरुवार का व्रत (Guruvar vrat) रखकर भगवान विष्णु के मंत्रों (Lord vishnu mantra) का जाप करता है तो उसके जीवन में खुशहाली का वास हो जाता है. सारे कष्ट दूर होकर सुख एवं शांति प्राप्त होती है. विष्णु भगवान के पूजन में उनके गलतियों की क्षमा मांगने पर जाने-अनजाने में किए गए पाप भी क्षमा हो जाते हैं. अगर कोई भी व्यक्ति सच्चे मन से विष्णु जी की पूजा, भजन, स्मरण या मंत्र का जाप (Mantra chanting) करता है तो उसे भगवान को प्रसन्न करने में जल्द सफलता मिल जाती है.

Lord Vishnu Mantra- विष्णुजी के इन मंत्रों का करें जाप

1. शान्ताकारं भुजगशयनं पद्मनाभं सुरेशं
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्ण शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तं कमलनयनं योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुं भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्॥

2. ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय
3. ऊँ नमो नारायणाय नम:
4. ॐ विष्णवे नम:
5. ॐ हूं विष्णवे नम:
6. ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान। यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।।

Last Updated : Nov 11, 2021, 8:48 AM IST
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