लखनऊ : प्रदेश की राजधानी में आस्था का नया केंद्र बनकर तैयार हुआ है. मंगलवार को लखनऊ इंटेलेक्चुअल फाउंडेशन की ओर से सुंदरकांड पाठ आयोजित किया गया. संस्था के सदस्यों का साफ-साफ ये कहना है कि इस सुंदरकांड का पाठ इसलिए आयोजित कराया जा रहा है, ताकि हमारे शहर में शांति बनी रहे. सुख समृद्धि सभी लोग प्राप्त करें. इसमें प्रो. बीएन मिश्रा, प्रो. पुनीत कुमार एवं डॉ. प्रीति सक्सेना, प्रो. अनीता बाजपेई शामिल रहीं. हनुमंत धाम के रूप में आस्था का नये केंद्र में 111 फीट की मूर्ति स्थापित है. इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां पर 400 वर्ष पुरानी बजरंगबली की प्रतिमा स्थापित है और यह भी माना जाता है कि जो भी भक्त यहां पर सच्चे दिल से आता है, उसकी सारी मनोकामना पूर्ण होती है.
हनुमत धाम मंदिर के महंत राम सेवक दास ने बताया कि 'हनुमंत धाम की स्थापना गुरु नरसिंह दास ने करवाई थी. मंदिर के नए गर्भगृह में दक्षिण मुखी हनुमान पधारे हैं. जिधर देखो उधर हनुमान की मूर्तियां स्थापित हैं. मन अशांत हो, प्राकृतिक वातावरण में आंख बंद कर बैठने को व्याकुल हो रहे हैं, ईश्वर भक्ति में लीन होने के लिए शांत माहौल की तलाश है तो पहुंच जाएं राजधानी के हनुमंत धाम. शहर के बीचोबीच. बेगम हजरत महल पार्क से मोती महल लॉन की तरफ आते वक्त बीच में हनुमंत धाम का बोर्ड आपको दिख जाएगा. चंद सीढ़ियां. छोटा सा दरवाजा. मंदिर के अंदर पहुंचने के बाद आपके सारे भ्रम दूर हो जाएंगे और आपका अचंभित होना तय मानिए.'
उन्होंने कहा कि 'हमारी चार पीढ़ी इस मंदिर की सेवा में है. इसकी स्थापना गुरु नरसिंह दास ने करवाई थी, जो हमारे गुरु के गुरु थे. नीचे स्थित पूरबमुखी हनुमान सिद्ध पीठ है और मेरी समझ से यह 400 साल पुराना है. कहते हैं जो भी मांगो पूरा होता है. नए गर्भगृह में दक्षिण मुखी हनुमान पधारे हैं. जिधर देखो उधर भगवान हनुमान की मूर्तियां स्थापित हैं.'
आपके कदम जिधर भी चल पड़ेंगे, यकीन मानिए आपको हर कहीं, जर्रे-जर्रे में हनुमान के दर्शन होंगे. कहीं शिवलिंग को गले लगाए हनुमान तो कहीं राम कीर्तन में मगन हनुमान हैं. सीढ़ियों से उतरते हुए जब आप नदी किनारे की ओर जैसे ही बढ़ते जाएंगे, चारों तरफ प्रकृति की गोद में बसी एक देव नगरी का अहसास होगा. चलते-चलते थक जाएं या फिर आंख बंद कर ध्यान लगाने की इच्छा हो तो पत्थरों को काटकर बनाए गए स्थान आपको सुरम्य वन जैसा अहसास कराएंगे.
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