लखनऊ: महाशिवरात्रि के पर्व पर राजधानी के मनकामेश्वर महादेव मंदिर में सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है. मान्यताओं के अनुसार, इस मंदिर की स्थापना भगवान श्रीराम के अनुज लक्ष्मण ने की थी. ऐसा बताया जाता है कि जब लक्ष्मण माता सीता को वन में छोड़कर लौट रहे थे, तो उन्होंने गोमती नदी के किनारे इसी शिवलिंग की स्थापना कर पूजा की थी. मान्यता है कि सच्चे मन से पूजा अर्चना करने पर मांगी गई मन्नत पूरी होती है.
रामायण काल का है यह प्राचीन शिव मंदिर
राजधानी लखनऊ में गोमती नदी के किनारे स्थापित मनकामेश्वर मंदिर की स्थापना रामायण काल में हुई थी. यह मंदिर करीब पांच हजार साल पुराना है. मनकामेश्वर की महिला महंत दिव्या गिरी बताती हैं कि भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण जब माता सीता को वन में छोड़कर लौट रहे थो तो उन्होंने गोमती नदी के किनारे शिवलिंग स्थापित कर पूजा की थी. तब से ही इस मंदिर की महत्ता बढ़ जाती है. आज महाशिवरात्रि के पर्व पर सुबह से ही मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ है.
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मंदिर में अर्पित दूध से बनता है प्रसाद
करीब पांच हजार साल पुराना मनकामेश्वर मंदिर की अपनी विशेष मान्यता है. यहां पर शिवरात्रि के मौके पर लाखों श्रद्धालुओं का आना रात 12 बजे से ही शुरू हो जाता है. भगवान शिव के जलाभिषेक और दुग्धाभिषेक के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. शिवलिंग पर चढ़ाया गया दूध बर्बाद न जाए, इसलिए प्रशासन इसका उपयोग प्रसाद बनाने में करता है. मंदिर में बनने वाले प्रसाद में भगवान शिव को चढ़ाए गए जल और दूध का उपयोग किया जाता है.
मंदिर का गर्भ गृह है विशेष
लखनऊ के मनकामेश्वर मंदिर का गर्भ गृह विशेष है. डेढ़ फीट ऊंची शिवलिंग की स्थापना भगवान लक्ष्मण ने रामायण काल में की थी. इस शिवलिंग के किनारे सोने और चांदी के पत्र लगाए गए हैं. मंदिर के फर्श पर चांदी के सिक्कों को लगाया गया है. इसके कारण इस मंदिर की प्राचीनता और महत्ता काफी बढ़ जाती है.