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प्रियंका गांधी की सक्रियता के बावजूद कांग्रेस को यूपी में करना पड़ रहा संघर्ष

कांग्रेस के नेताओं की ये दलील है कि उनकी नेता यानि प्रियंका गांधी वाड्रा ने सबसे ज्यादा जनता की आवाज सुनी. लिहाजा इस बार यूपी विधानसभा 2022 के चुनाव में जनता का उन्हें अपार समर्थन मिलना तय है.

'यूपी में कांग्रेस को करना पड़ रहा संघर्ष'
'यूपी में कांग्रेस को करना पड़ रहा संघर्ष'
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Published : Aug 11, 2021, 4:29 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. कांग्रेस पार्टी भी 2022 के विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती है. कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में भौतिक रूप से किसी भी घटना स्थल पर पहुंचने के मामले में अन्य विपक्षी नेताओं को पीछे छोड़ दिया है. जबकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जितना कांग्रेस सक्रिय रही है और दिखाई दे रही है, उतना जमीन पर नहीं है. कांग्रेस को बीजेपी जैसे मजबूत संगठन वाले दल से लड़ने के लिए जमीनी स्तर पर उतरना होगा.

कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता ओंकार सिंह कहते है कि प्रियंका गांधी ने जब से उत्तर प्रदेश में प्रभारी के तौर पर कार्यभार संभाला है, तब से निरंतर संगठन मजबूत हो रहा है. हमारा संगठन ब्लॉक स्तर तक पहुंच चुका है. उनके आने के बाद से कोई भी ऐसा कार्यक्रम नहीं रहा है, जिसे हमारे संगठन में मजबूती से न किया हो. जगह-जगह सरकार के विरोध में केवल कांग्रेस खड़ी रही है. कोई घटना घटी हो पार्टी की नेता प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू मौके पर पहुंचते हैं. पीड़ित लोगों की समस्याओं को सुना ही नहीं है, बल्कि उनकी मदद भी की है. सरकार तक उनकी समस्याओं को पहुंचाने का काम किया है. चाहे वो हाथरस का मामला रहा हो, सोनभद्र में नरसंहार का मामला रहा हो, लखीमपुर में चुनाव के समय महिला के साथ अभद्रता का मामला हो या फिर उन्नाव प्रकरण रहा हो. हर जगह प्रियंका गांधी और कांग्रेस की मौजूदगी रही है.

'कांग्रेस को यूपी में करना पड़ रहा संघर्ष'

कोविड काल में प्रियंका और योगी सरकार में छिड़ा था युद्ध

कोरोना के दौरान जब श्रमिक उत्तर प्रदेश आ रहे थे, उस दौरान प्रियंका गांधी ने बस देने का ऐलान किया था. ओंकार सिंह कहते हैं कि हालांकि सरकार ने उसे स्वीकार नहीं किया. उल्टे बदला लेने की भावना से कार्रवाई की. प्रियंका गांधी संगठन को लगातार मजबूत कर रही हैं. उत्तर प्रदेश में नौ और 10 अगस्त को भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए गद्दी छोड़ो का नारा दिया गया. प्रदेश के हर विधानसभा में कांग्रेस मजबूती से खड़ी हुई है. पार्टी कार्यकर्ताओं ने सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया है. यह क्रम 2022 के विधानसभा चुनाव तक चलने वाला है. ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव में सक्रिय हुई है. 2017 से ही कांग्रेस पार्टी मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में रही है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की भूमिका इस दौरान नगण्य रही है. यह जनता के सामने है.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि यह सत्य है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को जब से उत्तर प्रदेश का प्रभाव मिला है तब से वह यहां कुछ अधिक ही सक्रिय हैं. सत्य यह भी है कि कांग्रेस का धरातल पर संगठनात्मक ढांचा बहुत ही कमजोर है. कांग्रेस को पहले अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करना होगा. तभी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी जैसे संगठनात्मक स्तर पर मजबूत दल से सामना कर पाएगी. भाजपा का बूथ स्तर पर मजबूत संगठन खड़ा है. भाजपा साल के प्रत्येक दिन चुनावी मोड में रहती है. ऐसे दल से लड़ने के लिए चुनावी रण में उतरने से पहले कांग्रेस को अपने संगठनात्मक ढांचे को बहुत ही मजबूत करना होगा. द्विवेदी कहते हैं कि लंबे समय बाद कांग्रेस में थोड़ी जान देखने को मिली है. पिछले दिनों नौ और 10 अगस्त को कांग्रेस ने प्रदेश भर में आंदोलन किया. उसमें कार्यकर्ताओं की संख्या पहले की अपेक्षा बढ़ी हुई दिखाई दी है.

इसे भी पढ़ें- विधानसभा चुनाव से पहले योगी सरकार का मास्टर स्ट्रोक, 39 जातियों को OBC में शामिल करने की तैयारी

कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी खत्म करनी होगी

कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में 1989 के बाद से सत्ता में नहीं आ पाई है. ये एक बहुत लंबा समय है. इसके पीछे कई वजह है. एक तो ये है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व उत्तर प्रदेश की तरफ देखना बंद कर दिया था. प्रियंका गांधी अब उसे पूरा कर रही हैं. दूसरा ये कि कांग्रेस के अंदर भारी गुटबाजी है. ये गुटबाजी लंबे समय से चली आ रही है. मौजूदा समय में भी कांग्रेस में गुटबाजी देखने को मिलती है. पीएन द्विवेदी कहते हैं कि सरकार में गुटबाजी एक बार चल भी जाती है. लेकिन संगठन में गुटबाजी से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. लिहाजा प्रियंका गांधी को इस पर भी काम करना होगा. बिना संगठन पर काम किए उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के लिए कांग्रेस के हाथ को मजबूत कर पाना काफी मुश्किल है.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है. कांग्रेस पार्टी भी 2022 के विधानसभा चुनाव में अपनी स्थिति को मजबूत करना चाहती है. कांग्रेस महासचिव और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने उत्तर प्रदेश में भौतिक रूप से किसी भी घटना स्थल पर पहुंचने के मामले में अन्य विपक्षी नेताओं को पीछे छोड़ दिया है. जबकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जितना कांग्रेस सक्रिय रही है और दिखाई दे रही है, उतना जमीन पर नहीं है. कांग्रेस को बीजेपी जैसे मजबूत संगठन वाले दल से लड़ने के लिए जमीनी स्तर पर उतरना होगा.

कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता ओंकार सिंह कहते है कि प्रियंका गांधी ने जब से उत्तर प्रदेश में प्रभारी के तौर पर कार्यभार संभाला है, तब से निरंतर संगठन मजबूत हो रहा है. हमारा संगठन ब्लॉक स्तर तक पहुंच चुका है. उनके आने के बाद से कोई भी ऐसा कार्यक्रम नहीं रहा है, जिसे हमारे संगठन में मजबूती से न किया हो. जगह-जगह सरकार के विरोध में केवल कांग्रेस खड़ी रही है. कोई घटना घटी हो पार्टी की नेता प्रियंका गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू मौके पर पहुंचते हैं. पीड़ित लोगों की समस्याओं को सुना ही नहीं है, बल्कि उनकी मदद भी की है. सरकार तक उनकी समस्याओं को पहुंचाने का काम किया है. चाहे वो हाथरस का मामला रहा हो, सोनभद्र में नरसंहार का मामला रहा हो, लखीमपुर में चुनाव के समय महिला के साथ अभद्रता का मामला हो या फिर उन्नाव प्रकरण रहा हो. हर जगह प्रियंका गांधी और कांग्रेस की मौजूदगी रही है.

'कांग्रेस को यूपी में करना पड़ रहा संघर्ष'

कोविड काल में प्रियंका और योगी सरकार में छिड़ा था युद्ध

कोरोना के दौरान जब श्रमिक उत्तर प्रदेश आ रहे थे, उस दौरान प्रियंका गांधी ने बस देने का ऐलान किया था. ओंकार सिंह कहते हैं कि हालांकि सरकार ने उसे स्वीकार नहीं किया. उल्टे बदला लेने की भावना से कार्रवाई की. प्रियंका गांधी संगठन को लगातार मजबूत कर रही हैं. उत्तर प्रदेश में नौ और 10 अगस्त को भाजपा सरकार को उखाड़ फेंकने के लिए गद्दी छोड़ो का नारा दिया गया. प्रदेश के हर विधानसभा में कांग्रेस मजबूती से खड़ी हुई है. पार्टी कार्यकर्ताओं ने सरकार को उखाड़ फेंकने का संकल्प लिया है. यह क्रम 2022 के विधानसभा चुनाव तक चलने वाला है. ऐसा भी नहीं है कि कांग्रेस पार्टी चुनाव में सक्रिय हुई है. 2017 से ही कांग्रेस पार्टी मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में रही है. समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की भूमिका इस दौरान नगण्य रही है. यह जनता के सामने है.

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक

राजनीतिक विश्लेषक पीएन द्विवेदी कहते हैं कि यह सत्य है कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को जब से उत्तर प्रदेश का प्रभाव मिला है तब से वह यहां कुछ अधिक ही सक्रिय हैं. सत्य यह भी है कि कांग्रेस का धरातल पर संगठनात्मक ढांचा बहुत ही कमजोर है. कांग्रेस को पहले अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करना होगा. तभी उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी जैसे संगठनात्मक स्तर पर मजबूत दल से सामना कर पाएगी. भाजपा का बूथ स्तर पर मजबूत संगठन खड़ा है. भाजपा साल के प्रत्येक दिन चुनावी मोड में रहती है. ऐसे दल से लड़ने के लिए चुनावी रण में उतरने से पहले कांग्रेस को अपने संगठनात्मक ढांचे को बहुत ही मजबूत करना होगा. द्विवेदी कहते हैं कि लंबे समय बाद कांग्रेस में थोड़ी जान देखने को मिली है. पिछले दिनों नौ और 10 अगस्त को कांग्रेस ने प्रदेश भर में आंदोलन किया. उसमें कार्यकर्ताओं की संख्या पहले की अपेक्षा बढ़ी हुई दिखाई दी है.

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कांग्रेस के भीतर की गुटबाजी खत्म करनी होगी

कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश में 1989 के बाद से सत्ता में नहीं आ पाई है. ये एक बहुत लंबा समय है. इसके पीछे कई वजह है. एक तो ये है कि कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व उत्तर प्रदेश की तरफ देखना बंद कर दिया था. प्रियंका गांधी अब उसे पूरा कर रही हैं. दूसरा ये कि कांग्रेस के अंदर भारी गुटबाजी है. ये गुटबाजी लंबे समय से चली आ रही है. मौजूदा समय में भी कांग्रेस में गुटबाजी देखने को मिलती है. पीएन द्विवेदी कहते हैं कि सरकार में गुटबाजी एक बार चल भी जाती है. लेकिन संगठन में गुटबाजी से पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. लिहाजा प्रियंका गांधी को इस पर भी काम करना होगा. बिना संगठन पर काम किए उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी के लिए कांग्रेस के हाथ को मजबूत कर पाना काफी मुश्किल है.

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