लखनऊ : प्रसव के बाद जच्चा और बच्चा को कम से कम 72 घंटे अस्पताल में जरूर भर्ती रखें. क्योंकि प्रसव के बाद जच्चा और बच्चे की सेहत के लिए यह समय काफी अहम होता है. आमतौर पर सामान्य प्रसव की दशा में परिवार के सदस्य जच्चा-बच्चा को जल्द डिस्चार्ज करने का दबाव बनाने लगते हैं. जो कि दोनों की सेहत के लिए घातक साबित हो सकता है.
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि गर्भवती महिलाओं को समय-समय पर जांच जरूर कराएं. प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को कम से कम 72 घंटे भर्ती रखें. इस दौरान प्रसूता व शिशु को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाये मुहैया कराएउ. भोजन, साफ-सफाई, दवाएं उपलब्ध कराएं. डिस्चार्ज के समय जरूरी दवाये उपलब्ध कराई जाएं. डिस्चार्ज के बाद शहरी क्षेत्र की प्रसूता को 1000 और ग्रामीण महिलाओं को 1400 रुपये खाते में जरूर भेजे. प्रसव के बाद टीकाकरण की जानकारी दें. इसमें किसी भी तरह की कोताही न बरती जाएं.
गर्भवती से रिश्वत मांगने के आरोपों की होगी जांच : हरदोई के बिलग्राम सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में कर्मचारियों पर रिश्वत मांगने के गंभीर आरोप लगे हैं. आरोप हैं कि रिश्वत न देने पर गर्भवती को भर्ती नहीं किया. समुचित इलाज के अभाव में शिशु की मृत्यु हो गई. संवेदनशील घटना का डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने मामले का संज्ञान लिया. सच्चाई का पता लगाने डिप्टी सीएम ने जांच कमेटी गठित की है.
सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का वीडियो वॉयरल हुआ है. डिप्टी सीएम ने वीडियो का संज्ञान लिया. मुख्य चिकित्सा अधिकारी हरदोई को मामले की जांच के आदेश दिया हैं. उन्होंने कहा जांच में अगर कोई कर्मचारी दोषी मिलता है तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए. साथ ही अधीक्षक द्वारा अपने पर्यवेक्षणीय दायित्वों का निर्वहन सही तरीके से नहीं करने के दोष में इनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाए. एक सप्ताह के अंदर कृत कार्रवाई की रिपोर्ट प्रेषित करने के आदेश दिए गए हैं. उन्होंने कहा कि सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं का इलाज पूरी तरह से फ्री है. जो कर्मचारी इलाज के नाम पर सुविधा शुल्क मांगते हैं उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएं.
रामपुर जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में धूम्रपान करने संबंधी मामले की जांच होगी. डिप्टी सीएम ने मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मामले की जांच के आदेश दिए हैं. उन्होंने कहा कि दोषी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी. अस्पताल परिसर में किसी भी तरह के धूम्रपान पर रोक है. नियमों का पालन न करने वालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. सीएमओ तीन दिन के भीतर जांच पूरी करें. दोषी लोगों के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज कराया जाएं. इसमें चिकित्सालय के कार्मिकों की भूमिका भी जांच की जाएं.