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उत्तर प्रदेश को चार अलग राज्यों में विभाजित करने की उठी मांग

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Published : Oct 15, 2020, 10:42 PM IST

उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं और किसानों का भुगतान नहीं होने पर असंतोष को लेकर एक बार फिर प्रदेश को चार अलग-अलग राज्यों में विभाजित करने की मांग उठने लगी है. किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने इस विषय पर ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.

किसान शक्ति के संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह
किसान शक्ति के संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं और किसानों में असंतोष को लेकर एक बार फिर प्रदेश को चार अलग-अलग राज्यों में विभाजित करने की मांग उठने लगी है. संसद के बीते सत्र में भी उत्तर प्रदेश के सांसद द्वारा यह आवाज उठाई गई थी. अब खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश के सामाजिक संगठन और कुछ किसान संगठन इसके लिए आंदोलन शुरू करने की योजना बना रहे हैं. किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने इस विषय पर ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.

किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष के साथ बातचीत.

बातचीत के दौरान चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या आज लगभग 23 करोड़ है. यदि यह एक अलग देश होता तो आज दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा देश होता. उन्होंने कहा कि जब पहला राज्य पुनर्गठन आयोग बना था, तब जनसंख्या 6 करोड़ 32 लाख थी. उस समय डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपनी किताब 'थॉट्स ऑन लिंगविस्टिक स्टेट' में इस बात को लिखा था कि दो करोड़ की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश को तीन राज्य में विभाजित कर देना चाहिए. इतने बड़े सूबे को एक प्रशासनिक इकाई के नीचे शासन देना बड़ा मुश्किल काम हो जाता है. राज्य में सरकार चाहे कोई भी रही हो, लॉ एंड आर्डर की समस्या, किसानों की समस्या, बेरोजगारी, अच्छे अस्पताल और स्कूल की समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं. चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि इन सभी समस्याओं का मूल कारण यही है कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या बहुत ज्यादा है और इसलिए इसे तीन या चार राज्यों में विभाजित कर देना चाहिए.

देश के तमाम राज्यों के विभाजन का उदाहरण देते हुए पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य जब छोटी इकाई हो जाती है तो सरकार के लिए शासन करना आसान हो जाता है. उन्होंने कहा कि अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अलग राज्य होता तो समस्याएं कम होतीं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुल 6 मंडल हैं. इसमें बरेली, आगरा, सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद और अलीगढ़ मंडल शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि जिन्हें हम राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं वह कोई छोटा राज्य नहीं होगा. इसमें कुल 27 लोकसभा क्षेत्र, 26 जिले और 136 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. विभाजन के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश गुजरात और राजस्थान से बड़ा राज्य होगा. इसकी जनसंख्या 7.5 करोड़ के आस पास होगी. इसी प्रकार से अवध, बुंदेलखंड और पूर्वांचल की मांग भी उठ रही है.

पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग नई नहीं है, लेकिन क्या राजनीतिक पार्टियों में यह राजनीतिक इच्छाशक्ति है कि वह इस मुद्दे पर काम कर सकें यह सबसे बड़ा सवाल है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभावी राष्ट्रीय लोक दल ने इस मुद्दे को पहले उठाया भी था, लेकिन आज राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन समाजवादी पार्टी से है और समाजवादी पार्टी विभाजन के खिलाफ है. इस तरह से राजनीतिक लाभ और सुविधा के लिए राष्ट्रीय लोक दल ने इस मुद्दे को छोड़ दिया है. पार्टियों को अब नफा-नुकसान से ऊपर उठ कर मुद्दा आधारित राजनीति करनी चाहिए. पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि चौधरी चरण सिंह भी विभाजन के पक्ष में थे और उन्होंने खुद कहा था कि उत्तर प्रदेश के तीन या चार हिस्से कर देने चाहिए.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं और किसानों में असंतोष को लेकर एक बार फिर प्रदेश को चार अलग-अलग राज्यों में विभाजित करने की मांग उठने लगी है. संसद के बीते सत्र में भी उत्तर प्रदेश के सांसद द्वारा यह आवाज उठाई गई थी. अब खबर आ रही है कि उत्तर प्रदेश के सामाजिक संगठन और कुछ किसान संगठन इसके लिए आंदोलन शुरू करने की योजना बना रहे हैं. किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने इस विषय पर ईटीवी भारत से विशेष बातचीत की.

किसान शक्ति संघ के अध्यक्ष के साथ बातचीत.

बातचीत के दौरान चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या आज लगभग 23 करोड़ है. यदि यह एक अलग देश होता तो आज दुनिया का पांचवा सबसे बड़ा देश होता. उन्होंने कहा कि जब पहला राज्य पुनर्गठन आयोग बना था, तब जनसंख्या 6 करोड़ 32 लाख थी. उस समय डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपनी किताब 'थॉट्स ऑन लिंगविस्टिक स्टेट' में इस बात को लिखा था कि दो करोड़ की जनसंख्या वाले उत्तर प्रदेश को तीन राज्य में विभाजित कर देना चाहिए. इतने बड़े सूबे को एक प्रशासनिक इकाई के नीचे शासन देना बड़ा मुश्किल काम हो जाता है. राज्य में सरकार चाहे कोई भी रही हो, लॉ एंड आर्डर की समस्या, किसानों की समस्या, बेरोजगारी, अच्छे अस्पताल और स्कूल की समस्याएं हमेशा बनी रहती हैं. चौधरी पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि इन सभी समस्याओं का मूल कारण यही है कि उत्तर प्रदेश की जनसंख्या बहुत ज्यादा है और इसलिए इसे तीन या चार राज्यों में विभाजित कर देना चाहिए.

देश के तमाम राज्यों के विभाजन का उदाहरण देते हुए पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि राज्य जब छोटी इकाई हो जाती है तो सरकार के लिए शासन करना आसान हो जाता है. उन्होंने कहा कि अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश अलग राज्य होता तो समस्याएं कम होतीं. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में कुल 6 मंडल हैं. इसमें बरेली, आगरा, सहारनपुर, मेरठ, मुरादाबाद और अलीगढ़ मंडल शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि जिन्हें हम राज्य बनाने की मांग कर रहे हैं वह कोई छोटा राज्य नहीं होगा. इसमें कुल 27 लोकसभा क्षेत्र, 26 जिले और 136 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. विभाजन के बाद भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश गुजरात और राजस्थान से बड़ा राज्य होगा. इसकी जनसंख्या 7.5 करोड़ के आस पास होगी. इसी प्रकार से अवध, बुंदेलखंड और पूर्वांचल की मांग भी उठ रही है.

पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि उत्तर प्रदेश के विभाजन की मांग नई नहीं है, लेकिन क्या राजनीतिक पार्टियों में यह राजनीतिक इच्छाशक्ति है कि वह इस मुद्दे पर काम कर सकें यह सबसे बड़ा सवाल है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश में प्रभावी राष्ट्रीय लोक दल ने इस मुद्दे को पहले उठाया भी था, लेकिन आज राष्ट्रीय लोक दल का गठबंधन समाजवादी पार्टी से है और समाजवादी पार्टी विभाजन के खिलाफ है. इस तरह से राजनीतिक लाभ और सुविधा के लिए राष्ट्रीय लोक दल ने इस मुद्दे को छोड़ दिया है. पार्टियों को अब नफा-नुकसान से ऊपर उठ कर मुद्दा आधारित राजनीति करनी चाहिए. पुष्पेंद्र सिंह ने कहा कि चौधरी चरण सिंह भी विभाजन के पक्ष में थे और उन्होंने खुद कहा था कि उत्तर प्रदेश के तीन या चार हिस्से कर देने चाहिए.

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