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Degree Colleges शिक्षकों के स्थानांतरण की नियमावली में संशोधन की मांग, उच्च शिक्षा मंत्री को भेजा पत्र

उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों के स्थानांतरण नियमावली में संशोधन की मांग की गई है. इसको लेकर उच्च शिक्षा मंत्री को पत्र भी भेजा गया है.

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Published : Mar 10, 2023, 7:37 PM IST

जानकारी देते हुए लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलेन्दु मिश्रा

लखनऊ: प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों के स्थानांतरण नियमावली में संशोधन को लेकर शिक्षक संघ की ओर से उच्च शिक्षा मंत्री को एक पत्र भेजा गया है. एसोसिएशन उच्च शिक्षा मंत्री से महाविद्यालय शिक्षकों के स्थानांतरण के संबंध में तय नियमावली को संशोधित करने की मांग की है. ज्ञात हो कि मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए अधिकतम 5 वर्ष की नौकरी पूरी होनी चाहिए. इसके बाद ही कोई शिक्षक एक जनपद से दूसरे जनपद में स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकता है. ज्ञात हो कि शासन ने पहले भी स्थानांतरण के लिए निर्धारित नौकरी की अवधि को 10 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष कर दिया था. शिक्षक संघ अब इसे और घटाकर माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के सम्मान करने की मांग कर रहा है.

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उच्च शिक्षा मंत्री को भेजा पत्र

एआईएफयूसीटीओ ने 2 वर्ष व एनओसी की व्यवस्था समापत करने की मांग
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन (एआईएफयूसीटीओ) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर विवेक द्विवेदी उच्च शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर कहा कि महाविद्यालयों में शिक्षकों के स्थानांतरण में समय पात्रता कम करने का लगातार संगठन द्वारा मांग किया जा रहा है. उन्होंने अपने पत्र में कहा कि इससे पहले भी हम उनसे मिलकर अपनी बात रख चुके है. नई सेवा शुरू करने वाले शिक्षकों का समय अधिक बीत जाने के बाद भी स्थानांतरण का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. ऐसे में उन्होंने अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की एकल स्थानांतरण में समय सीमा अधिकतम 2 वर्ष और एनओसी की बाध्यता समाप्त करने के साथ पद आरक्षण व्यवस्था समाप्त करने की मांग की है.

5 वर्ष बाद चयन पद पर ही स्थानांतरण ले सकते हैं शिक्षक
लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के शिक्षक और लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलेन्दु मिश्रा ने बताया कि मौजूदा नियमावली के अनुसार डिग्री कॉलेजों में नौकरी पाने वाले ने शिक्षक को 5 वर्ष की नौकरी पूर्ण करने के बाद स्थानांतरण का मौका मिलता है. इसके लिए जिस जिले में उसे स्थानांतरण लेना है. उस जिले के डिग्री कॉलेज में उसी विषय और आरक्षण कैटेगरी में समायोजन और स्थानांतरण का मौका मिल सकता है. इसके लिए शिक्षकों को मई महीने तक उच्च शिक्षा विभाग आवेदन करना होता है. जिसके बाद शासन इस पर विचार करता है और सभी नियमों को देखने के बाद टीचर को एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरण लेने के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) जारी करता है. उन्होंने बताया कि पहले भी इसको लेकर सरकार से कई चरणों की वार्ता हो चुकी है. शासन ने हमारी मांगों पर विचार करते हुए पहले 10 साल के नियम को कम कर 5 साल कर दिया है. हालांकि अब इसे माध्यमिक शिक्षा परिषद के नियमों के सामान कर देना चाहिए, क्योंकि वहां पर शिक्षक के नियमित होने के बाद वह स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते हैं. वहां पर इसके लिए समय सीमा 2 वर्ष के करीब है.

यह भी पढ़ें- Lucknow News : पांच दशक बाद सरकार वापस लेगी 380 बीघा जमीन, चकबंदी में अफसरों ने किया था घालमेल

जानकारी देते हुए लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलेन्दु मिश्रा

लखनऊ: प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में पढ़ा रहे शिक्षकों के स्थानांतरण नियमावली में संशोधन को लेकर शिक्षक संघ की ओर से उच्च शिक्षा मंत्री को एक पत्र भेजा गया है. एसोसिएशन उच्च शिक्षा मंत्री से महाविद्यालय शिक्षकों के स्थानांतरण के संबंध में तय नियमावली को संशोधित करने की मांग की है. ज्ञात हो कि मौजूदा समय में उत्तर प्रदेश के सहायता प्राप्त डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों के स्थानांतरण के लिए अधिकतम 5 वर्ष की नौकरी पूरी होनी चाहिए. इसके बाद ही कोई शिक्षक एक जनपद से दूसरे जनपद में स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकता है. ज्ञात हो कि शासन ने पहले भी स्थानांतरण के लिए निर्धारित नौकरी की अवधि को 10 वर्ष से घटाकर 5 वर्ष कर दिया था. शिक्षक संघ अब इसे और घटाकर माध्यमिक शिक्षा विभाग के शिक्षकों के सम्मान करने की मांग कर रहा है.

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उच्च शिक्षा मंत्री को भेजा पत्र

एआईएफयूसीटीओ ने 2 वर्ष व एनओसी की व्यवस्था समापत करने की मांग
ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ यूनिवर्सिटी एंड कॉलेज टीचर्स ऑर्गेनाइजेशन (एआईएफयूसीटीओ) के उपाध्यक्ष प्रोफेसर विवेक द्विवेदी उच्च शिक्षा मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर कहा कि महाविद्यालयों में शिक्षकों के स्थानांतरण में समय पात्रता कम करने का लगातार संगठन द्वारा मांग किया जा रहा है. उन्होंने अपने पत्र में कहा कि इससे पहले भी हम उनसे मिलकर अपनी बात रख चुके है. नई सेवा शुरू करने वाले शिक्षकों का समय अधिक बीत जाने के बाद भी स्थानांतरण का कोई औचित्य नहीं रह जाता है. ऐसे में उन्होंने अशासकीय महाविद्यालयों के शिक्षकों की एकल स्थानांतरण में समय सीमा अधिकतम 2 वर्ष और एनओसी की बाध्यता समाप्त करने के साथ पद आरक्षण व्यवस्था समाप्त करने की मांग की है.

5 वर्ष बाद चयन पद पर ही स्थानांतरण ले सकते हैं शिक्षक
लखनऊ क्रिश्चियन कॉलेज के शिक्षक और लुआक्टा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मौलेन्दु मिश्रा ने बताया कि मौजूदा नियमावली के अनुसार डिग्री कॉलेजों में नौकरी पाने वाले ने शिक्षक को 5 वर्ष की नौकरी पूर्ण करने के बाद स्थानांतरण का मौका मिलता है. इसके लिए जिस जिले में उसे स्थानांतरण लेना है. उस जिले के डिग्री कॉलेज में उसी विषय और आरक्षण कैटेगरी में समायोजन और स्थानांतरण का मौका मिल सकता है. इसके लिए शिक्षकों को मई महीने तक उच्च शिक्षा विभाग आवेदन करना होता है. जिसके बाद शासन इस पर विचार करता है और सभी नियमों को देखने के बाद टीचर को एक जिले से दूसरे जिले में स्थानांतरण लेने के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (एनओसी) जारी करता है. उन्होंने बताया कि पहले भी इसको लेकर सरकार से कई चरणों की वार्ता हो चुकी है. शासन ने हमारी मांगों पर विचार करते हुए पहले 10 साल के नियम को कम कर 5 साल कर दिया है. हालांकि अब इसे माध्यमिक शिक्षा परिषद के नियमों के सामान कर देना चाहिए, क्योंकि वहां पर शिक्षक के नियमित होने के बाद वह स्थानांतरण के लिए आवेदन कर सकते हैं. वहां पर इसके लिए समय सीमा 2 वर्ष के करीब है.

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