लखनऊ: साइबर क्राइम से संबंधित मामलों में पीड़ित को इंसाफ के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है. इसके बाद पीड़ित पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि पुलिस मामले में लापरवाही बरत रही है, लेकिन पुलिस लापरवाही नहीं बरतती, पुलिस की अपनी कार्यशैली है. उस कार्यशैली के अनुरूप ही कार्रवाई करती है.
साइबर क्राइम से संबंधित मामले बहुत ही पेचीदा होते हैं और साइबर अपराध करने वाला कहीं आस-पास का या फिर 900 किलोमीटर की दूरी पर भी हो सकता है. ऐसे में पुलिस मुकदमों की विवेचना में अधिक दूरी होने के कारण लंबा समय लेती है, इसके चलते पीड़ित को इंसाफ के लिए इंतजार करना पड़ता है.
साइबर क्राइम एसपी विवेक रंजन राय ने बताया कि साइबर क्राइम से संबंधित मुकदमों को दर्ज करने के बाद संबंधित थाना स्तर पर सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर रैंक के पुलिसकर्मियों को इसकी विवेचना दी जाती है. साइबर क्राइम करने वाला लखनऊ जनपद से 900 और 800 किलोमीटर की दूरी पर बैठा होता है. अधिकतर मामले एनसीआर, मुंबई, झारखंड आदि जगह से होते हैं. ऐसे में अधिक दूरी होने की वजह से साइबर क्राइम से संबंधित मामलों में देरी होती है, लेकिन बहुत से मामले ऐसे भी हैं जिनको साइबर क्राइम पुलिस ने बहुत ही कम समय में कार्रवाई करते हुए अपराधियों को गिरफ्तार किया है और पीड़ित को न्याय दिलाया है.