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नहीं हो रहा एयर पॉल्यूशन का सॉल्यूशन, मौत के आंकड़े भयावह

पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकारी भले ही हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन स्थिति में कोई सुधार नहीं हो रहा है. वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों के आंकड़े भयावह हैं. बीते 4 सालों में लगातार वायु प्रदूषण से मरने वालों की संख्या बढ़ी है. दिल्ली, यूपी, हरियाणा और पंजाब में वायु प्रदूषण का सबसे ज्यादा कहर है.

एयर पॉल्यूशन
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Published : Feb 26, 2021, 11:35 AM IST

Updated : Feb 27, 2021, 9:23 AM IST

लखनऊः सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में वायु प्रदूषण से देश में 12 लाख 40 हजार मौतें हुई थीं. वहीं वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार 16 लाख 70 हजार मौतें हुई हैं. उत्तर प्रदेश में भी वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. जानकारों की मानें तो लगातार बढ़ रहे एयर पॉल्यूशन से देश की अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लग रहा है. वायु प्रदूषण की वजह से आर्थिक नुकसान में सबसे आगे उत्तर प्रदेश है. वायु प्रदूषण ने जीडीपी का 2.2% नुकसान किया है.

वायु प्रदूषण से बढ़ रहे मौत के आंकड़े.

उत्तर प्रदेश में हर साल प्रदूषण से करीब 22000 लोगों की मौत
सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के 11 शहरों में प्रदूषण का अध्ययन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के 7 शहर शामिल हैं जिनमें वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में हर साल प्रदूषण से करीब 22 हजार लोगों की मौत हो जाती है.

यूपी के इन जिलों में है प्रदूषण का कहर.
यूपी के इन जिलों में है प्रदूषण का कहर.

17.9 फीसदी बच्चों की मौत फेफड़ों के संक्रमण से हुई
रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार 2017 में 5 साल से कम उम्र वाले 1035882.01 बच्चों की मौत विभिन्न कारणों से हुई हैं. इनमें से 17.9 फीसदी यानी 185428.53 बच्चों की मौत फेफड़ों के संक्रमण के कारण हुई है. रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण के कारण सालाना देश में एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो रही है. वहीं लोगों की जीवन आयु 1.7 वर्ष घटी है. प्रदूषित हवा के कारण भारत में 10 हजार लड़कों में से औसतन 8.5 की 5 साल की आयु से पहले ही मौत हो जाती है. घर के अंदर के प्रदूषण की बात करें तो वर्ष 2016 में ही 30817 लड़के और 36073 लड़कियों की मौत हुई थी.

यह भी पढ़ेंः- पेट्रोल-डीजल के वाहन नहीं, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को दें बढ़ावाः श्रीकांत शर्मा

इसका प्रभाव
लखनऊ विश्वविद्यालय के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर अशोक कैथाल बताते हैं कि वायु प्रदूषण एक पर्यावरणीय प्रदूषण है, जिसके दूरगामी प्रभाव अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है. यह आम जनता से संबंधित है. जैसे कि आप कहीं सांस ले रहे हों, चाहे वह घर में हो, चाहे ऑफिस एरियाज में हों, चाहे आप ट्रेवल कर रहे हों. आपके रेस्पिरेट्री सिस्टम पर इसका असर पड़ेगा. जब आपका रेस्पिरेट्री सिस्टम गड़बड़ आएगा तो आपको कैंसर्स चीजें आएंगी.

वायु प्रदूषण से मौत वाले टॉर टेन राज्य.
वायु प्रदूषण से मौत वाले टॉर टेन राज्य.

होती है कैंसर जैसी बीमारियां
उन्होंने बताया कि सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर्स आपके अंदर जाएंगे तो आपके फेफड़ों के अंदर की जो क्षमता है वह प्रभावित होगी और कैंसर जैसी बीमारी होंगी. जब आपकी शारीरिक क्षमता गिरेगी तो आप जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे होंगे इसका असर उस पर भी पड़ेगा. ऐसा अक्सर देखा गया है. अगर इसको भारतीय राज्यों के परिपेक्ष में देखा जाय तो 2019 का जो आंकड़ा दिखता है कि 1.67 मिलियन जो मृत्यु हुई है वह पूरे भारतवर्ष में वायु प्रदूषण से हुई है. इसके पीछे जो कारण था वो सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर का ऑडिशन था जिसे आप एसपीएम कहते हैं. अगर आप कंडे जला रहे हैं, उपले जला रहे हैं, लकड़ी जला रहे हैं और जो परिवहन व्यवस्था है हमारी उससे भी उत्सर्जित होता है. इसका यह असर हुआ कि अगर 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था को 36.8 बिलियन डॉलर हानि हुई. यह भारतीय जीडीपी का 1.36% है, जो की बड़ी हानि है. यूनाइटेड नेशन के द्वारा एसडीजी गोल लांच किए गए हैं. इसके जरिए हम वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः- बढ़ रहा भूजल प्रदूषण का कहर, पेयजल बन रहा 'जहर'

वायु प्रदूषण से हो रही हैं 16 लाख मौतें
प्रो. सूर्यकांत, विभागाध्यक्ष, केजीएमयू बताते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का जो डाटा है और ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज का जो डाटा है उसके अनुसार 16 लाख लोगों की मौत भारत में वायु प्रदूषण से होती है. वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव 2.5 माइक्रोन पार्टिकल दूसरा 10 माइक्रोन पार्टिकल के दुष्परिणामों से होती है और आप देखेंगे कि पूरे शरीर में कोई ऐसा अंग अछूता नहीं है जिसमे कोई भी नुकसान वायु प्रदूषण से न होता हो. सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण से लंग्स ही प्रभावित होता है. लंग्स में देखें तो अस्थमा, टीबी, ब्रोंकाइटिस, फेफड़े का कैंसर है. इसके साथ-साथ बहुत सी ऐसी बीमारी हैं. अगर हम हार्ट की बात करें तो हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर है. अगर हम ब्रेन की बात करें तो ब्रेन स्ट्रोक यानी फालिज मार जाना है, माइग्रेन, नींद न आना है और अगर हम दूसरे अंगों की बात करें तो एसिडिटी से लेकर और छोटी-छोटी समस्या जैसे बालों का जल्दी सफेद हो जाना यह सब वायु प्रदूषण से लिंक है.

प्रदूषण से हर घंटे बच्चों की मौत.
प्रदूषण से हर घंटे बच्चों की मौत.

गैसों से हो रहा वायु प्रदूषण
बीपी श्रीवास्तव, सी कार्बन संस्था के अध्यक्ष ने बताया कि आधुनिक जीवन में जैसे-जैसे उपकरण बढ़ रहे हैं, यातायात बढ़ रहा है, फैक्ट्री बढ़ रही हैं. मानव पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर पेड़ पौधों को काटकर विकास करने का प्रयास कर रहा है. इसी के चलते देश में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. तमाम तरीके की फैक्ट्रियों से निकलने वाली जहरीली गैसें या ग्रीन गैसें कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें निकल रही हैं. इनका उत्सर्जन हो रहा है. इन गैसों से वायु प्रदूषण हो रहा है.

लखनऊः सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट की रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2017 में वायु प्रदूषण से देश में 12 लाख 40 हजार मौतें हुई थीं. वहीं वर्ष 2019 की रिपोर्ट के अनुसार 16 लाख 70 हजार मौतें हुई हैं. उत्तर प्रदेश में भी वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है. जानकारों की मानें तो लगातार बढ़ रहे एयर पॉल्यूशन से देश की अर्थव्यवस्था को भी तगड़ा झटका लग रहा है. वायु प्रदूषण की वजह से आर्थिक नुकसान में सबसे आगे उत्तर प्रदेश है. वायु प्रदूषण ने जीडीपी का 2.2% नुकसान किया है.

वायु प्रदूषण से बढ़ रहे मौत के आंकड़े.

उत्तर प्रदेश में हर साल प्रदूषण से करीब 22000 लोगों की मौत
सेंटर फॉर एनवायरमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) की रिपोर्ट के अनुसार उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड के 11 शहरों में प्रदूषण का अध्ययन किया गया, जिसमें उत्तर प्रदेश के 7 शहर शामिल हैं जिनमें वायु प्रदूषण सबसे ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में हर साल प्रदूषण से करीब 22 हजार लोगों की मौत हो जाती है.

यूपी के इन जिलों में है प्रदूषण का कहर.
यूपी के इन जिलों में है प्रदूषण का कहर.

17.9 फीसदी बच्चों की मौत फेफड़ों के संक्रमण से हुई
रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार 2017 में 5 साल से कम उम्र वाले 1035882.01 बच्चों की मौत विभिन्न कारणों से हुई हैं. इनमें से 17.9 फीसदी यानी 185428.53 बच्चों की मौत फेफड़ों के संक्रमण के कारण हुई है. रिपोर्ट के अनुसार प्रदूषण के कारण सालाना देश में एक लाख से ज्यादा बच्चों की मौत हो रही है. वहीं लोगों की जीवन आयु 1.7 वर्ष घटी है. प्रदूषित हवा के कारण भारत में 10 हजार लड़कों में से औसतन 8.5 की 5 साल की आयु से पहले ही मौत हो जाती है. घर के अंदर के प्रदूषण की बात करें तो वर्ष 2016 में ही 30817 लड़के और 36073 लड़कियों की मौत हुई थी.

यह भी पढ़ेंः- पेट्रोल-डीजल के वाहन नहीं, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को दें बढ़ावाः श्रीकांत शर्मा

इसका प्रभाव
लखनऊ विश्वविद्यालय के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर अशोक कैथाल बताते हैं कि वायु प्रदूषण एक पर्यावरणीय प्रदूषण है, जिसके दूरगामी प्रभाव अर्थव्यवस्था पर भी पड़ता है. यह आम जनता से संबंधित है. जैसे कि आप कहीं सांस ले रहे हों, चाहे वह घर में हो, चाहे ऑफिस एरियाज में हों, चाहे आप ट्रेवल कर रहे हों. आपके रेस्पिरेट्री सिस्टम पर इसका असर पड़ेगा. जब आपका रेस्पिरेट्री सिस्टम गड़बड़ आएगा तो आपको कैंसर्स चीजें आएंगी.

वायु प्रदूषण से मौत वाले टॉर टेन राज्य.
वायु प्रदूषण से मौत वाले टॉर टेन राज्य.

होती है कैंसर जैसी बीमारियां
उन्होंने बताया कि सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर्स आपके अंदर जाएंगे तो आपके फेफड़ों के अंदर की जो क्षमता है वह प्रभावित होगी और कैंसर जैसी बीमारी होंगी. जब आपकी शारीरिक क्षमता गिरेगी तो आप जिस क्षेत्र में कार्य कर रहे होंगे इसका असर उस पर भी पड़ेगा. ऐसा अक्सर देखा गया है. अगर इसको भारतीय राज्यों के परिपेक्ष में देखा जाय तो 2019 का जो आंकड़ा दिखता है कि 1.67 मिलियन जो मृत्यु हुई है वह पूरे भारतवर्ष में वायु प्रदूषण से हुई है. इसके पीछे जो कारण था वो सस्पेंडेड पार्टिकुलेट मैटर का ऑडिशन था जिसे आप एसपीएम कहते हैं. अगर आप कंडे जला रहे हैं, उपले जला रहे हैं, लकड़ी जला रहे हैं और जो परिवहन व्यवस्था है हमारी उससे भी उत्सर्जित होता है. इसका यह असर हुआ कि अगर 2019 भारतीय अर्थव्यवस्था को 36.8 बिलियन डॉलर हानि हुई. यह भारतीय जीडीपी का 1.36% है, जो की बड़ी हानि है. यूनाइटेड नेशन के द्वारा एसडीजी गोल लांच किए गए हैं. इसके जरिए हम वायु प्रदूषण को कम कर सकते हैं.

यह भी पढ़ेंः- बढ़ रहा भूजल प्रदूषण का कहर, पेयजल बन रहा 'जहर'

वायु प्रदूषण से हो रही हैं 16 लाख मौतें
प्रो. सूर्यकांत, विभागाध्यक्ष, केजीएमयू बताते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन का जो डाटा है और ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज का जो डाटा है उसके अनुसार 16 लाख लोगों की मौत भारत में वायु प्रदूषण से होती है. वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव 2.5 माइक्रोन पार्टिकल दूसरा 10 माइक्रोन पार्टिकल के दुष्परिणामों से होती है और आप देखेंगे कि पूरे शरीर में कोई ऐसा अंग अछूता नहीं है जिसमे कोई भी नुकसान वायु प्रदूषण से न होता हो. सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण से लंग्स ही प्रभावित होता है. लंग्स में देखें तो अस्थमा, टीबी, ब्रोंकाइटिस, फेफड़े का कैंसर है. इसके साथ-साथ बहुत सी ऐसी बीमारी हैं. अगर हम हार्ट की बात करें तो हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर है. अगर हम ब्रेन की बात करें तो ब्रेन स्ट्रोक यानी फालिज मार जाना है, माइग्रेन, नींद न आना है और अगर हम दूसरे अंगों की बात करें तो एसिडिटी से लेकर और छोटी-छोटी समस्या जैसे बालों का जल्दी सफेद हो जाना यह सब वायु प्रदूषण से लिंक है.

प्रदूषण से हर घंटे बच्चों की मौत.
प्रदूषण से हर घंटे बच्चों की मौत.

गैसों से हो रहा वायु प्रदूषण
बीपी श्रीवास्तव, सी कार्बन संस्था के अध्यक्ष ने बताया कि आधुनिक जीवन में जैसे-जैसे उपकरण बढ़ रहे हैं, यातायात बढ़ रहा है, फैक्ट्री बढ़ रही हैं. मानव पर्यावरण को नुकसान पहुंचाकर पेड़ पौधों को काटकर विकास करने का प्रयास कर रहा है. इसी के चलते देश में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है. तमाम तरीके की फैक्ट्रियों से निकलने वाली जहरीली गैसें या ग्रीन गैसें कार्बन डाई ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसी गैसें निकल रही हैं. इनका उत्सर्जन हो रहा है. इन गैसों से वायु प्रदूषण हो रहा है.

Last Updated : Feb 27, 2021, 9:23 AM IST
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