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लिली फूल के खिलते ही रचा इतिहास, पत्तियां उठा सकती हैं पांच किलो का वजन

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Published : Nov 5, 2022, 3:48 PM IST

राजधानी में राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनबीआरआई) के वैज्ञानिकों की टीम ने इतिहास रचा है. टीम ने विक्टोरिया अमेज़ॉनिका (Victoria Amazonica) को उगाने में सफलता हासिल की है. यह गुयाना देश का राष्ट्रीय फूल है. वनस्पति उद्यान में पहली बार यह फूल खिला है.

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लखनऊ. राजधानी में राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनबीआरआई) के वैज्ञानिकों की टीम ने इतिहास रचा है. टीम ने विक्टोरिया अमेज़ॉनिका (Victoria Amazonica) को उगाने में सफलता हासिल की है. यह गुयाना देश का राष्ट्रीय फूल है. वनस्पति उद्यान में पहली बार यह फूल खिला है. फूल को खिलने में 48 घंटे लगते हैं और केवल 2 से 3 दिनों तक ही टिकता है. खास बात है कि बड़ा फूल दो दिनों में सफेद से गुलाबी हो जाता है. यह फूल बहुत सुगंधित होता है. वैज्ञानिक केजे सिंह ने बताया कि फूल की पत्तियां पांच किलो तक का वजन उठा सकती हैं.


एनबीआरआई के वैज्ञानिक केजे सिंह ने बताया कि नॉर्थ इंडिया में पहली बार यह फूल विकसित हुआ है. विक्टोरिया अमेज़ॉनिका फूलों के पौधे की एक प्रजाति है, जो वाटर लिली परिवार निम्फिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रजाति है. यह गुयाना देश का राष्ट्रीय फूल है. नॉर्थ इंडिया में कहीं भी यह प्रजाति नहीं पाई जाती थी. इसके बीज भी हमने बड़ी मुश्किल से अरेंज किए. वर्षों से इस पर एनबीआरआई की टीम काम कर रही थी. कड़ी मेहनत के बाद आज विक्टोरिया अमेज़ॉनिका (Victoria Amazonica) फूल एनडीआरआई के गार्डन में खिला है. इस फूल के खिलने से अब नॉर्थ इंडिया के अन्य जगहों में भी लोग इसे उगा पाएंगे, क्योंकि इसके एक फूल में 50 बीज होते हैं.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

उन्होंने बताया कि विक्टोरिया अमेज़ॉनिका में तीन मीटर (10 फीट) व्यास तक के बहुत बड़े पत्ते होते हैं, जो पानी की सतह पर एक जलमग्न डंठल पर तैरते हैं, लंबाई में 7-8 मीटर (23-26 फीट) होती है. एक ही टुकड़े में सभी कलियां एक ही समय में खुलने लगती हैं और जैसे ही वे खुलती हैं, वे अनानास फल की तरह सुगंध देती हैं. सबसे पहले फूलों की पंखुड़ियां सफेद होती हैं और भृंग फूल के रंग और सुगंध दोनों की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे इसका रंग सफेद से गुलाबी होने लगता है.

इस दौरान उन्होंने बताया कि नॉर्थ इंडिया में कहीं भी यह फूल नहीं पाया जाता है. अब एनबीआरआई में एक फूल खिलने से यह नॉर्थ इंडिया के अन्य जगहों पर भी उपलब्ध हो पाएगा. सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इसे किस तरह से बचाया जाए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी भी इसके बारे में जान सके. उन्होंने बताया कि एनबीआरआई गार्डन में लिली की 25 प्रजातियां उपलब्ध हैं. यह फूल भी इसी फैमिली से है. एनबीआरआई की हमेशा से यही कोशिश रही है कि नॉर्थ इंडिया में सभी तरह के प्रजाति के फूल उपलब्ध हों.

ईटीवी से बातचीत के दौरान एनबीआरआई के वैज्ञानिक केजे सिंह ने बताया कि इस फूल के जरिए एनबीआरआई के लैब में जो 50 बीज आएंगे. उनका भी शोध होगा. प्रॉपर तरीके से उन बीजों का रिसर्च होगा. इस एक फूल खिलने के बाद जो बीज हमें प्राप्त होंगे उनसे हम और भी फूल उग आएंगे. एनबीआरआई की ओर से फ्लावर फेस्टिवल भी आयोजित होता है. भविष्य में जब फ्लावर फेस्टिवल आयोजित होगा तो वहां पर विक्टोरिया अमेज़ॉनिका भी उपलब्ध होगा, जहां से आम पब्लिक इसे खरीद सकेगी.



फूल की यह है खासियत : वैज्ञानिक ने बताया कि यह फूल देखने में काफी ज्यादा आकर्षक है. इस फूल के विकास के लिए एक अलग प्रकार का वातावरण बनाया जाता है. इसे सबसे पहले पॉली हाउस ने डेवलअप किया. वहां का वातावरण गर्म होता है. खिलने के बाद इस फूल को एनबीआरआई के गार्डन में शिफ्ट किया गया है. जब तक यह फूल पूरी तरह से खिल नहीं गया तब तक यह वैज्ञानिकों की निगरानी में रहा. यह फूल सफेद रंग का होता है, जबकि दो दिन बाद इसका रंग गुलाबी हो जाता है. फूल की पत्तियां पांच किलो तक का वजन उठा सकती हैं.

यह भी पढ़ें : डिप्टी CM के आगमन के पहले खुल गई बलिया जिला अस्पताल की पोल

लखनऊ. राजधानी में राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-एनबीआरआई) के वैज्ञानिकों की टीम ने इतिहास रचा है. टीम ने विक्टोरिया अमेज़ॉनिका (Victoria Amazonica) को उगाने में सफलता हासिल की है. यह गुयाना देश का राष्ट्रीय फूल है. वनस्पति उद्यान में पहली बार यह फूल खिला है. फूल को खिलने में 48 घंटे लगते हैं और केवल 2 से 3 दिनों तक ही टिकता है. खास बात है कि बड़ा फूल दो दिनों में सफेद से गुलाबी हो जाता है. यह फूल बहुत सुगंधित होता है. वैज्ञानिक केजे सिंह ने बताया कि फूल की पत्तियां पांच किलो तक का वजन उठा सकती हैं.


एनबीआरआई के वैज्ञानिक केजे सिंह ने बताया कि नॉर्थ इंडिया में पहली बार यह फूल विकसित हुआ है. विक्टोरिया अमेज़ॉनिका फूलों के पौधे की एक प्रजाति है, जो वाटर लिली परिवार निम्फिया की दूसरी सबसे बड़ी प्रजाति है. यह गुयाना देश का राष्ट्रीय फूल है. नॉर्थ इंडिया में कहीं भी यह प्रजाति नहीं पाई जाती थी. इसके बीज भी हमने बड़ी मुश्किल से अरेंज किए. वर्षों से इस पर एनबीआरआई की टीम काम कर रही थी. कड़ी मेहनत के बाद आज विक्टोरिया अमेज़ॉनिका (Victoria Amazonica) फूल एनडीआरआई के गार्डन में खिला है. इस फूल के खिलने से अब नॉर्थ इंडिया के अन्य जगहों में भी लोग इसे उगा पाएंगे, क्योंकि इसके एक फूल में 50 बीज होते हैं.

बातचीत करतीं संवाददाता अपर्णा शुक्ला

उन्होंने बताया कि विक्टोरिया अमेज़ॉनिका में तीन मीटर (10 फीट) व्यास तक के बहुत बड़े पत्ते होते हैं, जो पानी की सतह पर एक जलमग्न डंठल पर तैरते हैं, लंबाई में 7-8 मीटर (23-26 फीट) होती है. एक ही टुकड़े में सभी कलियां एक ही समय में खुलने लगती हैं और जैसे ही वे खुलती हैं, वे अनानास फल की तरह सुगंध देती हैं. सबसे पहले फूलों की पंखुड़ियां सफेद होती हैं और भृंग फूल के रंग और सुगंध दोनों की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन धीरे-धीरे इसका रंग सफेद से गुलाबी होने लगता है.

इस दौरान उन्होंने बताया कि नॉर्थ इंडिया में कहीं भी यह फूल नहीं पाया जाता है. अब एनबीआरआई में एक फूल खिलने से यह नॉर्थ इंडिया के अन्य जगहों पर भी उपलब्ध हो पाएगा. सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है कि इसे किस तरह से बचाया जाए, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी भी इसके बारे में जान सके. उन्होंने बताया कि एनबीआरआई गार्डन में लिली की 25 प्रजातियां उपलब्ध हैं. यह फूल भी इसी फैमिली से है. एनबीआरआई की हमेशा से यही कोशिश रही है कि नॉर्थ इंडिया में सभी तरह के प्रजाति के फूल उपलब्ध हों.

ईटीवी से बातचीत के दौरान एनबीआरआई के वैज्ञानिक केजे सिंह ने बताया कि इस फूल के जरिए एनबीआरआई के लैब में जो 50 बीज आएंगे. उनका भी शोध होगा. प्रॉपर तरीके से उन बीजों का रिसर्च होगा. इस एक फूल खिलने के बाद जो बीज हमें प्राप्त होंगे उनसे हम और भी फूल उग आएंगे. एनबीआरआई की ओर से फ्लावर फेस्टिवल भी आयोजित होता है. भविष्य में जब फ्लावर फेस्टिवल आयोजित होगा तो वहां पर विक्टोरिया अमेज़ॉनिका भी उपलब्ध होगा, जहां से आम पब्लिक इसे खरीद सकेगी.



फूल की यह है खासियत : वैज्ञानिक ने बताया कि यह फूल देखने में काफी ज्यादा आकर्षक है. इस फूल के विकास के लिए एक अलग प्रकार का वातावरण बनाया जाता है. इसे सबसे पहले पॉली हाउस ने डेवलअप किया. वहां का वातावरण गर्म होता है. खिलने के बाद इस फूल को एनबीआरआई के गार्डन में शिफ्ट किया गया है. जब तक यह फूल पूरी तरह से खिल नहीं गया तब तक यह वैज्ञानिकों की निगरानी में रहा. यह फूल सफेद रंग का होता है, जबकि दो दिन बाद इसका रंग गुलाबी हो जाता है. फूल की पत्तियां पांच किलो तक का वजन उठा सकती हैं.

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