लखनऊ: जनपद में एक अनुसूचित जाति की नाबालिग को बहला फुसलाकर भगा ले जाने और उसके साथ दुराचार करने के मामले में अदालत ने आरोपी इकरार अहमद को दोषी करार दिया है. लखनऊ पॉक्सो विशेष जज आशुतोष कुमार सिंह ने दोषी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. साथ ही दोषी पर एक लाख 15 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. कोर्ट ने कहा कि जुर्माने की समस्त धनराशि पुनर्वास के लिए पीड़िता को दी जाए.
कोर्ट में सरकारी वकील अनुपमा श्रीवास्तव और विनय कुमार ने बताया कि वादी ने 5 जुलाई 2015 को चौक थाने में मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. रिपोर्ट में कहा गया था कि वादी लखीमपुर खीरी जनपद का रहने वाला है और लखनऊ में अपनी पत्नी, नाबालिग पुत्री और पुत्र के साथ रहकर एक ठेकेदार के अधीन मजदूरी करता है. ठेकेदार के मेडिकल कॉलेज के बाल विभाग में निर्माणाधीन बिल्डिंग का कार्य चल रहा था. जिसमें वादी भी काम कर रहा था. बताया गया कि 5 जुलाई की रात 3 बजे उसकी 14 वर्षीय पुत्री को वहीं काम करने वाला मिस्त्री इकरार अहमद बहला-फुसला कर भगा ले गया. मामला दर्ज होने के बाद विवेचना में पता चला कि आरोपी ने नाबालिग के साथ दुराचार किया है. मामले में पुलिस ने पीड़िता को बरामद कर अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया था.
वहीं बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई कि पीड़िता अपनी मर्जी से अभियुक्त के साथ गई थी. साथ ही पीड़िता के नाबालिग होने पर भी सवाल उठाए. हालांकि कोर्ट ने पीड़िता द्वारा कोर्ट में दिए गए बयान और उम्र के सम्बंध में पेश किए गए दस्तावेजों तथा गवाहों के बयान के आधार पर अभियुक्त को दोषी करार दिया.
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