वाराणसी: राजधानी में विधानसभा गेट नंबर 7 के पास खुद को गोली मारकर मौत को गले लगाने वाले दारोगा का शव शुक्रवार सुबह उसके पैतृक गांव वाराणसी के चोलापुर थाना क्षेत्र के पलहीपट्टी पहुंचा. अस्वस्थ होने के कारण दारोगा की पत्नी निरुपमा चौबे अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सकीं.
दारोगा ने मार ली थी खुद को गोली
विधानसभा गेट नंबर 7 के पास तैनात दारोगा निर्मल कुमार चौबे ने अपने आप को गोली मारकर मौत को गले लगा लिया था. फायरिंग की आवाज सुनकर पुलिसकर्मी पार्किंग में पहुंचे तो दारोगा खून से लथपथ जमीन पर पड़ा मिला. उसे तुरंत सिविल अस्पताल भेजा गया, जहां उसकी मौत हो गई. दारोगा के पास से एक लाइन का सुसाइड नोट मिला था. इस पर मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए दारोगा निर्मल कुमार चौबे ने लिखा था कि मुख्यमंत्री जी मैं बीमार हूं! मैं जा रहा हूं मेरे बच्चे का ख्याल रखिएगा.
दारोगा निर्मल कुमार चौबे के इस मार्मिक सुसाइड नोट ने पूरे पुलिस महकमे को हिलाकर रख दिया था. शुक्रवार सुबह दारोगा निर्मल कुमार चौबे का शव पुलिसकर्मियों ने लखनऊ से सरकारी पुलिस वैन से उसके पैतृक गांव वाराणसी के चोलापुर थाना क्षेत्र पलहीपट्टी गांव पहुंचाया. जैसे ही दारोगा का शव उसके पैतृक गांव पहुंचा, तो पूरे गांव में गम का माहौल हो गया. उसके घर पर पहले से ही ग्रामीणों की भीड़ लग गई थी.
मां को हार्ट की बीमारी होने के कारण निर्मल की मौत की सूचना देर रात तक नहीं दी गई थी, लेकिन लगातार लोगों के स्वभाव में परिवर्तन देखकर उन्हें आभास होने लगा था कि मेरे बेटे के साथ कुछ अप्रिय घटना हुई है. लगातार मां के द्वारा पूछा जा रहा था कि मेरा बेटा कहां है, कैसा है, बात कराओ. जब लोगों ने बात नहीं कराई, तो आधी रात को मां के प्यार का सब्र मानो टूट सा गया और उन्हें आभास हो गया था कि अब मेरा बेटा इस दुनिया में नहीं है. उसके बाद माहौल को देखते हुए परिजनों ने मां को मौत की सूचना आधी रात को दी. निर्मल के पिता स्वर्गीय देवीचरण चौबे की मृत्यु हार्ट फेल होने के कारण हुई थी.
छोटे लड़के सर्वेश ने दी मुखाग्नि
निर्मल की मौत की सूचना मिलने के बाद उसके तीनों भाई गांव पहुंचे. ग्रामीणों और परिजनों के साथ दोनों बेटे पिता की अंतिम यात्रा में शामिल हुए. वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर छोटे बेटे सर्वेश ने पिता को मुखाग्नि दी.
दो साल पहले बड़े बेटे की शादी की थी
दारोगा निर्मल कुमार चौबे ने बड़े बेटे विकास चौबे की शादी दो वर्ष पहले की थी. छोटे लड़के की शादी के लिए रिश्ता आना शुरू हो गया था.
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रामलीला में लक्ष्मण का पाठ करता था निर्मल
दारोगा निर्मल चौबे के गांव वालों ने बताया कि निर्मल बहुत ही मृदुभाषी और सरल स्वभाव अध्यात्म से जुड़ा हुआ था. ग्राम सभा में होने वाले रामलीला पाठ में लक्ष्मण का पाठ किया करता था. साथ ही खेलकूद और कुश्ती का भी शौकीन था.