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नवजात को फेंके नहीं बल्कि पालना स्थल में छोड़ जाएं, क्वीन मैरी अस्पताल में जल्द बनेगा पालना स्थल

केजीएमयू के क्वीन मेरी अस्पताल में जल्द पालना स्थल बनाया जाएगा. जहां कोई भी अपने अनचाहे नवजात को बिना पहचान बताए छोड़ सकता है. कई बार शहर में देखते हैं कि किसी कूड़े के डिब्बे में या सड़क के किनारे नवजात को लोग छोड़कर चले जाते हैं. ऐसी ही समस्या से निपटने के लिए एक निजी संस्था ने क्वीन मैरी अस्पताल में पालन स्ठल बनाने के निर्णय लिया है.

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Published : Dec 14, 2022, 6:43 PM IST

जानकारी देतीं सवाददाता अपर्णा शुक्ला.

लखनऊ : केजीएमयू के क्वीन मेरी अस्पताल में जल्द पालना स्थल बनाया जाएगा. जहां कोई भी अपने अनचाहे नवजात को बिना पहचान बताए छोड़ सकता है. कई बार शहर में देखते हैं कि किसी कूड़े के डिब्बे में या सड़क के किनारे नवजात को लोग छोड़कर चले जाते हैं. इसके अलावा जो मानसिक तौर पर महिलाएं बीमार रहती हैं और किसी प्रकार वह गर्भवती हो जाती हैं बाद में उन्हें कोई निजी संस्था, अनाथालय या पुलिस अस्पताल लाती है तो उसका प्रस्ताव करा दिया जाता है, लेकिन मानसिक तौर पर बीमार होने के कारण उनके हाथ में बच्चे को नहीं सौंपा जाता है. जच्चा बच्चा की देखभाल निजी संस्था या फिर अनाथालय करता है. इन्हीं केसों को देखते हुए एक निजी संस्था ने क्वीन मैरी महिला अस्पताल में पालना स्थल बनाने की निर्णय किया है.

क्वीन मैरी महिला अस्पताल (Queen Mary Women's Hospital) की मेडिकल सुपरीटडेंट डॉ. एसपी जयसवार (Medical Superintendent Dr. SP Jaiswar) ने कहा कि इसको लेकर संस्था से बात हो चुकी है. जल्द ही पालना केंद्र बन कर तैयार हो जाएगा. कह सकते हैं कि प्रदेश का एकमात्र महिला अस्पताल होगा जहां पर पालना केंद्र बनने जा रहा है. फिलहाल राजधानी के भी किसी भी अस्पताल में पालना केंद्र नहीं है. क्वीन मैरी अस्पताल को इस लायक समझा गया कि यहां पर पालना केंद्र होना चाहिए तो इसे चयनित किया गया है. हालांकि एक वजह यह भी हो सकती है कि केजीएमयू एक बड़ा संस्थान है और जहां पर रोजाना 2000 से अधिक गर्भवतियां आती हैं. अस्पताल के मेन गेट के पास स्थान चिह्नित किया गया है. लगभग दो महीने में आश्रय पालना स्थल स्थापित कर समाज और प्रशासन को समर्पित कर दिया जाएगा. ये आश्रय पालना स्थल हाईटेक मोशन सेंसर से युक्त होंगे. जिससे पालना स्थल में शिशु को छोड़ने के दो मिनट बाद घंटी बजेगी.

डॉ. एसपी जयसवार (Dr. SP Jaiswar) ने बताया कि हाल फिलहाल में ऐसा कोई भी केस नहीं हुआ है, लेकिन 15 साल पहले एक ऐसी घटना हुई थी कि क्वीन मैरी अस्पताल की दहलीज पर कोई नवजात शिशु को छोड़कर चला गया था. जब हमारे पास संस्था वाले आए और उन्होंने अपनी बात रखीं तो हमें लगा कि अस्पताल में पालना केंद्र होना चाहिए. क्योंकि अस्पताल में 15 साल पहले एक ऐसी घटना हो चुकी है. इसलिए जरूरी है कि अगर अस्पताल में पालना केंद्र रहेगा तो लोग इसे पालने केंद्र में शिशु को छोड़कर जाएंगे. इसके बाद शिशु की जिम्मेदारी अनाथालय व बाल विभाग के हाथों में होगी. खासकर उन महिलाओं के लिए भी यह अच्छा रहेगा जो मानसिक तौर पर बीमार रहती हैं. पुलिस या संस्था के द्वारा कई केस अस्पताल में ऐसी आ चुके हैं जिसमें महिला मानसिक मंदित रहती हैं. किसी प्रकार गर्भवती हो जाती है तो प्रसव के लिए उसे कोई अस्पताल लाकर छोड़ जाता है और यहां पर प्रसव हो जाता है तो उसके बाद अनाथालय को उसकी जिम्मेदारी सौंप दी जाती है.

अस्पतालों में नहीं है पालना स्थल : लखनऊ में तीन बड़ी महिला अस्पताल है. जिसमें क्वीन मैरी अस्पताल, अवंती बाई महिला अस्पताल और झलकारी बाई महिला अस्पताल शामिल है. क्वीन मैरी महिला अस्पताल में दो महीने में पालना केंद्र बनकर तैयार होने वाला है. फिलहाल बाकी दोनों महिला अस्पतालों में अभी ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है और न ही कोई संस्था उनके पास पालना केंद्र बनाने के लिए पहुंची है.

यह भी पढ़ें : अखिलेश यादव ने कहा, भाजपा सरकार में अन्याय, महंगाई और भ्रष्टाचार ने लोगों का जिंदा रहना मुश्किल किया

जानकारी देतीं सवाददाता अपर्णा शुक्ला.

लखनऊ : केजीएमयू के क्वीन मेरी अस्पताल में जल्द पालना स्थल बनाया जाएगा. जहां कोई भी अपने अनचाहे नवजात को बिना पहचान बताए छोड़ सकता है. कई बार शहर में देखते हैं कि किसी कूड़े के डिब्बे में या सड़क के किनारे नवजात को लोग छोड़कर चले जाते हैं. इसके अलावा जो मानसिक तौर पर महिलाएं बीमार रहती हैं और किसी प्रकार वह गर्भवती हो जाती हैं बाद में उन्हें कोई निजी संस्था, अनाथालय या पुलिस अस्पताल लाती है तो उसका प्रस्ताव करा दिया जाता है, लेकिन मानसिक तौर पर बीमार होने के कारण उनके हाथ में बच्चे को नहीं सौंपा जाता है. जच्चा बच्चा की देखभाल निजी संस्था या फिर अनाथालय करता है. इन्हीं केसों को देखते हुए एक निजी संस्था ने क्वीन मैरी महिला अस्पताल में पालना स्थल बनाने की निर्णय किया है.

क्वीन मैरी महिला अस्पताल (Queen Mary Women's Hospital) की मेडिकल सुपरीटडेंट डॉ. एसपी जयसवार (Medical Superintendent Dr. SP Jaiswar) ने कहा कि इसको लेकर संस्था से बात हो चुकी है. जल्द ही पालना केंद्र बन कर तैयार हो जाएगा. कह सकते हैं कि प्रदेश का एकमात्र महिला अस्पताल होगा जहां पर पालना केंद्र बनने जा रहा है. फिलहाल राजधानी के भी किसी भी अस्पताल में पालना केंद्र नहीं है. क्वीन मैरी अस्पताल को इस लायक समझा गया कि यहां पर पालना केंद्र होना चाहिए तो इसे चयनित किया गया है. हालांकि एक वजह यह भी हो सकती है कि केजीएमयू एक बड़ा संस्थान है और जहां पर रोजाना 2000 से अधिक गर्भवतियां आती हैं. अस्पताल के मेन गेट के पास स्थान चिह्नित किया गया है. लगभग दो महीने में आश्रय पालना स्थल स्थापित कर समाज और प्रशासन को समर्पित कर दिया जाएगा. ये आश्रय पालना स्थल हाईटेक मोशन सेंसर से युक्त होंगे. जिससे पालना स्थल में शिशु को छोड़ने के दो मिनट बाद घंटी बजेगी.

डॉ. एसपी जयसवार (Dr. SP Jaiswar) ने बताया कि हाल फिलहाल में ऐसा कोई भी केस नहीं हुआ है, लेकिन 15 साल पहले एक ऐसी घटना हुई थी कि क्वीन मैरी अस्पताल की दहलीज पर कोई नवजात शिशु को छोड़कर चला गया था. जब हमारे पास संस्था वाले आए और उन्होंने अपनी बात रखीं तो हमें लगा कि अस्पताल में पालना केंद्र होना चाहिए. क्योंकि अस्पताल में 15 साल पहले एक ऐसी घटना हो चुकी है. इसलिए जरूरी है कि अगर अस्पताल में पालना केंद्र रहेगा तो लोग इसे पालने केंद्र में शिशु को छोड़कर जाएंगे. इसके बाद शिशु की जिम्मेदारी अनाथालय व बाल विभाग के हाथों में होगी. खासकर उन महिलाओं के लिए भी यह अच्छा रहेगा जो मानसिक तौर पर बीमार रहती हैं. पुलिस या संस्था के द्वारा कई केस अस्पताल में ऐसी आ चुके हैं जिसमें महिला मानसिक मंदित रहती हैं. किसी प्रकार गर्भवती हो जाती है तो प्रसव के लिए उसे कोई अस्पताल लाकर छोड़ जाता है और यहां पर प्रसव हो जाता है तो उसके बाद अनाथालय को उसकी जिम्मेदारी सौंप दी जाती है.

अस्पतालों में नहीं है पालना स्थल : लखनऊ में तीन बड़ी महिला अस्पताल है. जिसमें क्वीन मैरी अस्पताल, अवंती बाई महिला अस्पताल और झलकारी बाई महिला अस्पताल शामिल है. क्वीन मैरी महिला अस्पताल में दो महीने में पालना केंद्र बनकर तैयार होने वाला है. फिलहाल बाकी दोनों महिला अस्पतालों में अभी ऐसा कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है और न ही कोई संस्था उनके पास पालना केंद्र बनाने के लिए पहुंची है.

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